विंडो सीट भाग – 3 – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

समीर : जब ट्रेन चलने लगी, मैंने खिड़की के पार से देखा — तुम अब भी मुझे देख रही थी। जैसे मन ही मन कह रही हो — “अब और इंतज़ार नहीं। अब कोई शिकवा नहीं। बस… अलविदा।” मैंने तुमसे बहुत कुछ कहा… मगर शायद जो सबसे जरूरी था, वो कह ही नहीं पाया।   इसलिए … Read more

विंडो सीट भाग -2 – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

 जो कहा नहीं गया — समीर की जुबानी विंडो सीट पार्ट -1 : वर्षों बाद एक रेलयात्रा में सुरभि और समीर आमने-सामने आते हैं। कभी एक-दूसरे से गहरे जुड़े ये दो लोग अब अजनबियों की तरह मिलते हैं । सुरभि के मन में अब भी कई अनकहे प्रश्न हैं, और समीर की आँखों में गहरा … Read more

विंडो सीट भाग -1 -अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की छुट्टियों के समय कन्फर्म सीट मिलना कोई आसान बात न थी। भतीजी की सगाई एकदम से तय हो गयी थी, सो जाना भी जरूरी था। विनय को ऑफिस से छुट्टी न मिल पायी थी। एक-दो दिन में आने का वायदा कर उसने सुरभि को जयपुर से चलने वाली जयपुर – चिन्नेई एक्सप्रेस में … Read more

सही या गलत – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

सूर्योदय वृद्धाश्रम में सुबह की हल्की धूप और ठंडी हवा के बीच आज एक नया सदस्य आया था। बाहर बारिश की हल्की बूँदें पत्तियों पर गिर रही थीं, और हवाओं में मिट्टी की खुशबू घुली हुई थी। अक्सर जब भी कोई नया सदस्य वृद्धाश्रम में आता है, थोड़ा  घबराया और उदास दिखाई देता है क्योंकि … Read more

अपनों की पहचान – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

प्लेटफ़ॉर्म नंबर 2 पर बारिश की ठंडी बूंदें लगातार गिर रही थीं। बूढ़ी महिला ट्रेन के एसी कम्पार्टमेंट से उतर, इधर-उधर घबराई सी अपने बेटे का इंतजार कर रही थी। उन्हें देख कर ही पता चल रहा था कि वे किसी सम्पन्न परिवार से संबंधित हैं। “माँ जी, आपका सामान उठा दूँ?” नंदू कुली ने … Read more

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