*गांव की लाज* – आसिफ त़ालिब शेख  : Moral Stories in Hindi

रूपा के बापूऽऽऽ अरे ओ रूपा के बापूऽऽ दिन ढलने को आ गया अब तो अंधेरा फैलने लगा है रूपा अभी तक घर नहीं लौटी अब कोई छोटी बच्ची तो ना रही हाथ पीले करने की आयु हो गई है उस की इतने समय तक घर से बाहर रहना उचित नहीं और तू यहां चौपाल … Read more

**नेक नीयत** – आसिफ त़ालिब शेख : Moral Stories in Hindi

बीरजू अभी कुछ ही वर्षों पहले कमाने के लिए शहर आया था उसे पैसों की बहोत ज़्यादा ज़रुरत थी क्योंकि अब उस की बहन के विवाह को कुछ ही माह बचे थे अभी तक उस ने अच्छा ख़ासा पैसा जोड़ लिया था परंतु इतने पैसे काफी नहीं थे वो तो भाग्य का साथ था कि … Read more

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