हस्तरेखा – आरती मिश्रा : Moral Stories in Hindi

” मुलाकात हुई, पाण्डेय जी से !” कनक खाने की थाली मेज पर परोसती अपने पति विनय से पूछ बैठी। हां ,हुई तो ! क्या कहा उन्होने? “उन्होंने कहा है कि केस मुकदमा करने की कोई जरूरत नहीं है बस समय का इंतजार करो !” मेरा कहा तो माना नहीं, तो कम से रिश्ते तोड़ने … Read more

दिखावे की जिंदगी – आरती मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“सीढ़ियों से उतरती हुई , रेशमा की कानों में जो आवाज पड़ी वो बादल के गर्जना से कम नहीं थी , जिससे वह डरकर बुत बन गई , दूसरे ही पल अपने होश को संभाला,  क्योंकि बहुत जरूरी था उसका होश में आना । कानों में वो गर्जना जैसे शब्द ऐसे गूंज रहे थे जैसे … Read more

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