“मम्मी जी! आप जल्द से जल्द टिकट बुक करवा कर हमारे पास मुंबई आ जाइए। आपकी बेटी की तबीयत बिल्कुल भी ठीक नहीं है।” जमाई उदय ने सास सरिता को फोन पर कहा।
उदय की बात सुनकर सरिता हैरान हो गई। “हर रोज तो मेरी वृंदा से बात होती है और उसने एक बार भी यह नहीं कहा था कि उसकी तबीयत खराब है फिर अचानक यह कैसे हुआ?” सरिता ने पूछा।
“जी आपको मैं फोन पर कुछ नहीं बता सकता और प्लीज आप भी वृंदा को बिना बताए यहाँ पर कुछ दिन के लिए आ जाइए। आकर ही बात करेंगे।” कहते हुए उदय ने फोन रख दिया।
सरिता हैरान थी और ईश्वर से बार-बार प्रार्थना कर रही थी कि सब कुछ सही हो। कोई अनहोनी की आशंका से ही उसका दिल घबराने लगा था। जल्द से जल्द उसने अपनी मुंबई जाने की टिकट बुक करवा ली और दो दिन में ही भोपाल से मुंबई पहुँच गई।
माँ को अचानक आया देख वृंदा की खुशी का ठिकाना नहीं था। “अरे मां! आप अचानक यहां सब कुछ ठीक तो है ना? आपने तो आकर बहुत बड़ा सरप्राइज दे दिया।” वृंदा ने खुश होते हुए कहा।
परंतु सरिता वृंदा को देखकर हैरान थी, “तू मेरी छोड़ तुझे क्या हुआ? तू इतनी दुबली पतली कैसे हो गई है? आँखों के नीचे भी काले घेरे कैसे चमक रहे हैं और सूख कर लकड़ी हो गई है।” सरिता ने चिंतित स्वर में कहा।
“क्या माँ! इसको दुबला पतला होना नहीं इसको फिट होना कहते हैं और अब देखो लग रही हो ना बिल्कुल हीरोइनों की तरह फिट एंड फाइन।” गोल चक्कर में घूमते हुए वृंदा मुस्कुराते हुए बोले, “चलिए अब आप यहां बैठे मैं अभी आपके लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ।”
सरिता अपनी छः माह की धेवती परी के साथ खेलने लग गई। डाइनिंग टेबल पर नाश्ते को देखकर सरिता हैरान थी, “यह क्या वृंदा यह कैसा नाश्ता है कहीं उबली सब्जियाँ पड़ी थी तो कहीं पर सूखी डबल रोटी के टुकड़े और यह क्या ग्रीन टी लेकर बैठ गई हो तुम? अभी तो परी को दूध पिलाती होना तो तुमने दूध क्यों नहीं लिया?” सरिता ने चिंतित स्वर में कहा ।
“अरे माँ ! परी के होने के बाद इतनी मोटी हो गई थी और तुम्हें तो पता ही है कि मुझे पतले रहने का और अपनी बॉडी को फिट रखने का इतना शौक है इसीलिए मैं जिम, योगा और डाइटिंग पर पूरा ध्यान रख रही हूँ। मुझे देख कर कोई भी नहीं कहता कि मैं छः माह की बच्ची की माँ हूँ।”
जैसे ही अकेले में उदय को समय मिला उसने सरिता के सामने सारी कहानी बयां कर दी, “माँ बनने के बाद हर औरत में कुछ ना कुछ बदलाव तो आते ही हैं परंतु वृंदा के पतले रहने के शौक में ना जाने कितने कितने घंटे जिम में एक्सरसाइज करती रहती है कई बार तो चक्कर खाकर गिर भी जाती है परंतु मेरा कहा नही सुनती। इधर परी को भी उचित मात्रा में ध्यान नहीं दे पाती है।
परी आया के सहारे पल रही है। सारा दिन सिर्फ अपने आपको पतला करने में ही लगी रहती है। कितनी बार डॉक्टर ने भी इस को कहा है कि अपनी सेहत का ध्यान रखा करें और अभी इन सब चक्करो को छोड़ दें परंतु इसके यह पतले होने का शौक जुनून की हद पार कर चुका है । मुझे तो डर लगता है कि अत्याधिक दबाव डालकर कहीं यह अपने आपको एक बहुत बड़ी हानि ना पहुँचा दे।” उदय की बात सुनकर सरिता को भी अत्यधिक चिंता हुई। अनेक प्रकार से वृंदा को समझाने की कोशिश की गई परंतु ना जाने क्यों वृंदा के मन में सिर्फ यही बात घर कर गई थी कि छरहरे बदन वाली महिलाएं ही समाज में एक अपना अलग व्यक्तित्व रखती है ।अपने शरीर में आए बदलावों को मानने के लिए तैयार ही नहीं थी और ना ही उचित खान-पान पर ध्यान देने के लिए भी तैयार थी।
आखिरकार उदय और सरिता वृंदा को जबरन एक मानसिक चिकित्सक के पास ले कर गए कई दिनों की लगातार कोशिशों के पश्चात आखिर वृंदा को समझ में आ ही गया कि एक इंसान के लिए स्वास्थ्य शरीर होना अत्यधिक आवश्यक है और शौक जुनून की हद तक नही पहुँचना चाहिए।
दोस्तों आधुनिक समय में हम मनुष्य अपने शरीर के प्रति बहुत अधिक जागरूक हो गए हैं जो कि एक अच्छी बात है परंतु यदि यह एक सीमा के बाद जुनून बन जाए तो इसके अत्यधिक घातक परिणाम भी हो सकते हैं ।
40 से 45 वर्ष की उम्र के पश्चात औरत हो या मर्द उनके शरीर में कुछ बदलाव आ जाने आवश्यक होते हैं जिससे उनकी उम्र का पता भी चलता है। हमें उस बदलाव को सकारात्मक मन से स्वीकार करना चाहिए ना कि जबरन अपनी आयु को रोकने के लिए अपनी बाहरी सुंदरता को ध्यान देते रहे और कहीं यह ना हो कि इस सुंदरता को दिखाने के चक्कर में हमारे अंदर शारीरिक बीमारियां बढ़ती जाए। आवश्यकता है इसमें एक संतुलन बनाए रखने की। अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान रखते हुए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक मनुष्य की शारीरिक बनावट भिन्न-भिन्न होती है और उसको अपने शारीरिक परिवर्तन को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए।
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पूजाअरोड़ा
दिलसेदिलतक