अस्तित्व – लतिका श्रीवास्तव

प्रतिदिन की भांति फिर थानेदार साब अपने कई साथियों के साथ डंडा फटकारते आ गये।

ओए रामू …सबको पेशल चाय दे और सब जगह सलोनी लगा रौबदार आवाज कानों में जाते ही यंत्रवत रामू के कांपते हाथ चाय के पतीले की ओर बढ़ गए थे।

जल्दी चाय बना एक काम भी ढंग से नहीं होता।तब तक सलोनी लगा दे।आज अकेला क्यों है ये तेरा बेटा बन ठन कर कहां जा रहा है हिकारत थी उनके स्वर में।

साब मेरा बेटा आज से कॉलेज जाएगा  रामू ने बेटे की तरफ देखते हुए गर्व से कहा।

ढंग से चायवाला काम तो करते  नहीं  बनता!पढ़ाई करने चले हैं थानेदार विद्रूप हंसी हंस रहा था।

कॉलेज जा रहा है साहब बनेगा का!!दूसरे पुलिस वाले ने उपहास का सिरा पकड़ लिया।

सर ये सब गंदी नाली के कीड़े हैं और वहीं रहेंगे जा जा चाय बनवा बाप के साथ ।सेवा कर हमारी जिसमें फायदा है उसने भी बेटे की तरफ देखते हुए ठहाका लगाया।

साब ….आज तो चाय का हिसाब दे दीजिए बेटा के कॉलेज की फीस भरनी है..जहर के घूंट पी कर भी रामू की विवशता उभर ही आई।

ए लो सुन लो एक चाय के पैसे से फीस भर जाएगी!!थानेदार ने व्यंग्य मारा।

नहीं साब पिछला हिसाब पूरा बाकी है आपका दे दीजिए फीस हो जाएगी रामू ने घिघिया कर कहा।

अब तू मेरा हिसाब रखने लगा।तेरा हिसाब कर दूं क्या अभी थानेदार आगबबूला हो गया।

साब… विवश रामू फिर से बोल रहा था लेकिन कौन सुन रहा था।

रोज का यही सिलसिला था।

रोज रामू जहर के घूंट पीकर रह जाता।लेकिन आज उसकी जिंदगी का सुनहरा दिन था।अनपढ़ रामू का बेटा कॉलेज के लिए सलेक्ट हुआ था।उसकी फीस भरनी थी।चाय के पतीले से चाय छानते उसके हाथ जोरों से कांप उठे।

ओहो तो अब नाली के कीड़े भी पढ़ने लग गए।क्या करेगा रे छछूंदर पढ़ लिख कर चलाना तो यही चाय ठेला है बाप की तरह। इसी नाली से अस्तित्व है तुम सबका समझे जा सम्भाल देख बाप के हाथ से ट्रे गिर जाएगी थानेदार  बेटे पर तीखा दृष्टिपात करते साथियों के साथ अट्टहास कर उठा।

ला जल्दी चाय पिला …..उसने बेटे को धकियाआ।

साब नाली के कीड़े भी अब पढ़ने लग गए। जानते हैं क्यों..?  रामू के रोकते रोकते भी बेटा विद्रोही हो उठा।

सब चौंक कर उसकी तरफ देखने लगे।

क्योंकि अब हम समझ गए हैं कि हम नाली के कीड़े  जिस नाली में हैं वो दुर्गंध युक्त नाली आप ही है ।इस नाली का अस्तित्व हमसे ही है।इसके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अब हमें कीड़ा बने रहना मंजूर नहीं।इस नाली को हम नष्ट कर देंगे ।शुरुआत अभी से….आज तो आप सभी को चाय तभी मिलेगी जब पिछला पूरा हिसाब चुकता होगा नहीं तो आपके विरुद्ध शिकायत दर्ज होगी…बेटे ने रामू के कांपते हाथों को मजबूती से थाम चाय की ट्रे वापिस चूल्हे के पास रखते हुए इंकलाबी स्वर में कहा ।  

लतिका श्रीवास्तव 

जहर के घूंट पीना#मुहावरा आधारित लघुकथा

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