राधा दो बेटों और एक बेटी की मां थी।पति कैलाश बैंक में नौकरी करते थे।बेटे विवेक और विराज दोनो कॉलेज में थे और बेटी प्रीति 12 में थी।राधा गृहिणी थीं ऐसा नहीं था कि राधा पढ़ी लिखी नहीं थी।हिंदी में MA।संगीत की अच्छी समझ अच्छा गाती थी।
पेंटिंग बहुत अच्छी करती।शादी होकर आई तो सास सरला स्कूल में प्रिंसिपल थी।तो वो घर को भी स्कूल ही समझती थी।कैलाश के पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था तो सरला ने कैलाश को अपनी देख रख में ही पाला था
तो इसलिए कैलाश भी जरा कड़क स्वभाव के ही थे। सासू जी ने शादी होते ही कहा मै स्कूल जाऊंगी तुम घर संभालो।एक दिन सुबह राधा गाना गा रही थी तो बोली ये शरीफों का घर है तबलची का नहीं तो गाना भी बंद हो गया।
घर बच्चे उन्हीं पर दुनिया सिमट गई। कुछ बच्चों की ड्राइंग प्रोजेक्स इन के कारण आर्ट्स का काम चलता रहा। कुछ साल पहले सास का निधन हुआ तो उसे लगा कि शायद कुछ सुधरेगा पर कैलाश उसकी दूसरी सास था बात बात में टोका टाकी करना। कुछ भी बोलना पैसे पैसे का हिसाब मांगना।राधा ने इतने सालों में अपनी खुशी से 100रुपए भी खर्च नहीं किए होंगे।
हर चीज में सरला और कैलाश का ही अस्तित्व होता।कौन क्या पहनेगा कौन क्या खायेगा।राधा अपनी पहचान खो चुकी थी।इसलिए बच्चे भी उसे कम पढ़ा लिखा और कम अकल ही समझते। प्रीति हमेशा अपनी मां को प्रोत्साहित करती मां आप कितना अच्छा खाना बनाती है।आप कितनी सुंदर पेंटिंग करती है आप अपने लिए कुछ कीजिए।
तभी उन्हें एक मौका मिला ।कैलाश बैंक के काम से दिल्ली गए थे तीन दिन और विवेक और विराज कॉलेज ट्रिप पर तभी प्रीति के चाचाजी की एग्जीबिशन लगने वाली थी।प्रीति बोली मां आप अपनी पुरानी पेंटिंग्स निकालो ।
हम एक्सिबिशन में लगाएंगे।राधा बोली नहीं तुम्हारे पापा को पता चला तो वो गुस्सा होंगे।प्रीति बोली पापा tuesday को आएंगे। एग्जीबिशन सैटरडे और संडे को है। विवेक और विराज भी अगले हफ्ते आएंगे। राधा ने अपनी पुरानी पेंटिंग्स निकाली।प्रीति बोली wow मम्मा आप ने कितनी अच्छी पेंटिंग्स बनाई हैं।
प्रीति ने अपनी सहेली से बात की उसके काका राधा की पेंटिंग्स के लिए एक कोना देने को तैयार हो गए।शनिवार को सारी पेंटिंग्स सज़ चुकी थी।आज राधा भी पिंक शिफॉन की साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी। ढीला जुड़ा उस पर गुलाब का फूल उसकी खूबसूरती बढ़ा रहे थे।प्रीति बोली मां आप कितनी टैलेंटेड है पर इन लोगों ने आपकी कदर नहीं समझी।
राधा की पेंटिंग्स की बहुत तारीफ हुई और उसकी 4 पेंटिंग्स 40 हजार में बिक गई।प्रीति बोली मां ये आपकी पहली कमाई।राधा बोली ये सब समेट लेते है।घर जाकर उठा कर रख देंगे तेरे पापा के आने से पहले।प्रीति की सहेली निशा के काका राघव बोले राधा जी आपको ये सब उठाने की जरूरत नहीं है।ये सब आप यही रहने दीजिए और आप मेरे स्टूडियो में आ सकती है
पेंटिंग्स करने के लिए।निशा और प्रीति बोली आज तो पार्टी होनी चाहिए काका और आंटी की तरफ से प्रीति बोली हा मां चलो।सब एक चाइनीज रेस्टोरेंट में आए क्योंकि प्रीति को पता था मां को चाइनीज पसंद है पर पापा की वजह से खा नहीं पाती।
राधा ने आज अपना दिन अच्छे से एंजॉय किया।फिर दो चार दिन में सब घर लौट आए।वही रूटीन शुरू हो गया।पर प्रीति ने राधा से कहा कि आप पापा और हमारे जाने के बाद स्टूडियो जरूर जाया करो।प्रीति 12 में होने के कारण अब घर रह कर पढ़ाई करती इससे राधा भी निश्चिंत होकर चली जाती।
ऐसे ही 6 महीने बीत गए और शहर में फिर एग्जीबिशन लगी जिसमें राधा की पेंटिंग्स बहुत अच्छे दाम में बिकी।उसी बीच राधा के बेटे विवेक का बर्थडे आया।घर पर ही पार्टी रखी गई।सब लोग आए तभी वहां पर राघव और निशा भी आए ।
उस दिन प्रीति की जिद पर राधा ने गाना गाया।सबने बहुत तारीफ की।तभी वहां कैलाश के सीनियर भी वहां आए हुए थे बोले आप वहीं मशहूर चित्रकार राधा जी है ना राधा कैलाश को देख घबरा गई। प्रीति बोली जी अंकल ये मेरी ग्रेट मां है जो खाना बनाने,गाना गाने, पढ़ने लिखने और पेंटिंग बनाने में मास्टर है।
तभी राघव आगे आया और बोला हा प्रीति ये तुम्हारी मम्मी की पेंटिंग्स का अमाउंट इस बार आपकी पेंटिंग्स का 1.5 लाख रुपए आया है।ये उसी का चेक है।विवेक और विराज बोले वाह मम्मा आप तो छुपी रुस्तम निकली।कैलाश खामोश खड़ा था और राधा को डर लग रहा था।खाना खा कर सब मेहमान चले गए।सब अंदर आए कैलाश बोले राधा यहां बैठो। तुमने तो आज हम सब को
आश्चर्यचकित कर दिया।प्रीति बोली सारी पापा आप लोगों ने हमेशा मां को underestimate किया ।दादी ने आपने हमेशा मां की सभी इच्छाओं का गला ही घोटा।हर इंसान का अपना अस्तित्व होता हैं।उसके अस्तित्व की पहचान छीन ले तो वो कैसे जीवित रहेगा।फिर भी मां इतने साल अपनी पहचान खो आपके रंग में ही रंगी रही।पर अपनी पहचान खो दी।
प्लीज पापा मां को भी जीने दे। कैलाश ने हाथ जोड़ राधा से माफी मांगी। विराज और विवेक ने भी अपनी मां को सारी बोला।कैलाश।ने कहा राधा सुबह बैंक चलना तुम्हारा अकाउंट खुलवाना है।और हा हम अगले हफ्ते ऊपर के पोर्शन में तुम्हारा स्टूडियो का सेटअप रेडी करवा देंगे।बच्चे अपने कमरे में चले गए।
राधा चेंज कर कमरे में आईं वो गुनगुना रही थीं। कैलाश बोला तुम ऐसी ही रहना मुस्कुराती गुनगुनाती।मुझे माफ करदो मै तुम्हारी भावना समझ ही ना सका।तुम्हारे अस्तित्व को मैने ही नजर अंदाज किया।राधा बोली कोई नहीं देर आए दुरुस्त आए पर अब ऐसे ही रहिएगा बदलिएगा नहीं।कैलाश बोला अब तुम्हारे सपनो को पूरा करने की जिम्मेदारी मेरी।
कैलाश राधा को अपनी बाहों में ले सो गए और राधा अपने सुखद भविष्य की कामना करते हुए कैलाश की छाती से सर लगा लेटी रही।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी