अपनो से गैर भले – के आर अमित

दो साल बाद जब भी छुट्टी आता तो उसकी भाभी उसे जाने से हफ्ता दस दिन पहले कोई न कोई लड़की शादी के लिए दिखा देती और कहती कि अब रिश्ता हो गया है जब अगली बार आओगे तो धूमधाम से शादी करवा देंगे। चन्द्र खुश हो जाता और बापिस विदेश चला जाता मगर हर बार चार छः महीने बाद उसे बता दिया जाता कि लड़की वाले इतना इंतज़ार नही कर सकते वो लड़की की शादी कहीं और कर रहेहैं इस तरह हमेशा चन्द्र के अरमान दिल मे ही घुटकर रह जाते।

मां बचपन मे ही गुजर गई थी चन्द्र जब अठारह साल का हुआ होगा तब एक दिन पिता भी चल बसे अब चन्द्र का सहारा उसके भाई भाभी थे। चन्द्र पूरा दिन मजदूरी करता सारा पैसा अपने भाई को दे देता बदले में गालियों और तानो के साथ रूखी सुखी रोटी मिल जाती। उसके भाई ने उसे सलाह दी कि वो दसवीं पास तो है ही क्यों नही वो पासपोर्ट बनबाकर विदेश चला जाता इससे उसकी जिंदगी भी अच्छे से गुजरेगी और घर के हालात भी बदल जाएंगे। चन्द्र को सलाह अछि लगी उसने पासपोर्ट बनबाया एक दो एजेंट से बात की। 

कुछ दिन बाद साइप्रस से एक कम्पनी इंटरव्यू के लिए आई तो चन्द्र के भाई के फ़ोन पर एजेंट का कॉल आया। उसने चन्द्र को जल्दी से इंटरव्यू के लिए जाने को कहा अगले ही दिन इंटरव्यू हुआ चन्द्र का सफाई कर्मचारी की जॉब के लिए चयन हो गया। सैलेरी ठीक ठाक थी साथ मे खाना और रहना फ्री था तो चन्द्र ने बिना सोचे समझे जाने की ठान ली। कुछ ही दिन में उसका वीज़ा आ गया चन्द्र खुशी खुशी साइप्रस चला गया।

वो वहां बारह घण्टे ड्यूटी करता और कम्पनी की कैंटीन में खाना खा कर जो भी सैलेरी मिलती खुशी खुशी घर भेज देता। वो खा पीकर महीने का पचीस तीस हजार रुपये भेज देता उसके घर मे भाई भाभी अब मजे से जिंदगी काटने लगे। जब भी चन्द्र घर जाता तो उसकी खूब आव भगत होती खिव प्यार दुलार मिलता अच्छा अच्छा खाना बनता। उसकी हर छोटी छोटी खुशी का ख्याल रखा जाता। भाई के बच्चे भी चाचा को खूब प्यार करते।

चन्द्र अब छब्बीस साल का हो गया था अब वो जब भाभी से बात करता तो भाभी उसे शादी के सुनहरे सपने दिखाती और वो खुश हो जाता और सोचता कि इस बार जब जाऊंगा तो शादी करके ही आऊंगा। उसके दोस्त उसके रूममेट भी उसे मुबारकबाद देकर भेजते। मगर हमेशा उसकी भाभी उसे लड़की तब दिखाती जब उसको बापिस जाने में कुछ ही दिन बचे होते और हमेशा यही कहती कि लड़की तो देख ही ली है अब अगली बार जब आओगे तो शादी धूमधाम से करेंगे आखिर मेरा एक ही तो देवर है हमारे भी तो सपने है कि तुम्हारी शादी गांव में सबसे अलग हो। 

हालांकि उसकी भाभी जानती थी कि अगर उसकी शादी हो गई तो वो सैलेरी अपनी बीबी को भेजेगा और उसके हाथ से अंडा देने वाली मुर्गी हमेशा हमेशा के लिए निकल जाएगी। यही सोचकर वो हमेशा कोई न कोई बहाना बनाकर उसकी शादी टालती रही। इसबार भी जब चन्द्र आया तो उसके भाई ने उसे कहा कि वो कोई दुकान खोलने चाहता है आखिर कबतक वो यूँ ही बिना काम के रहेगा उसने चन्द्र से कहा कि उसने बैंक मैनेजर से बात कर ली है बस हमारी जमीन के कागज उसे देने होंगे तुम फिक्र मत करो मैं खूब मेहनत करूँगा और जल्द ही अपनी जमीन बापिस छुड़वा लूंगा। 

चन्द्र उसकी बातों में आ गया और सारी जमीन भाई के नाम कर दी और कहा कि अब मुझे बैंक में जाने की जरूरत नही पड़ेगी जमीन आपके नाम होगी तो आप जब चाहो बैंक जाकर लोन ले सकते हो।

चन्द्र ने अपने हाथ काटकर दे दिए थे अब उसके पास न जमीन थी न घर सबकुछ भाई के नाम कर दिया। उसके जाने के बाद उसके भाई न लोन न मिलने की झूठी कहानी सुना दी और कहा कि फिक्र न करे जब भी वो आएगा तो उसके हिस्से की जमीन उसे बापिस कर दूंगा। चन्द्र को अपने भाई पर भरोसा था उसने कहा कोई बात नही भैया जमीन मेरे पास हो या आपके पास क्या फर्क पड़ता है आप कोई गैर थोड़ी हो और बैसे भी मैं तो यहां हू जमीन की देखवाल तो आपको ही करनी है।

चन्द्र अब पैंतीस साल का हो गया मगर अभी तक उसकी शादी नही हुई। एक दिन अचानक उसके पेट मे तेज दर्द हुआ वो हॉस्पिटल ले जाया गया पता चला उसके पेट मे एक गांठ बन गई है जिसे जल्द ऑपरेशन करवाना होगा जिसपर लगभग पांच लाख का खर्च आना था। चन्द्र ने सोचा कि यहां ऑपरेशन करवाएगा तो पन्द्रह बिस दिन बेडरेस्ट करनी पड़ेगी उसकी देखभाल कौन करेगा इसलिए वो छुट्टी लेकर घर आ गया।

जब उसने घर मे बात की तो घरवालो का लहजा बदल चुका था उसकी भाभी ने साफ कहा कि पांच लाख हम कहाँ से देंगे जो भी तुम पैसे भेजते थे वो तो घर खर्च में ही खत्म हो गए। अब हमारे पास तो एक पैसा भी नही है। चन्द्र ने कहा कि ठीक है मेरे हिस्से की जमीन मुझे दे दो तो भाई ने साफ मना कर दिया और कहा कि तुम्हारी न बीबी है न बच्चे तुम्हारा क्या है कल को अगर ऑपरेशन में कोई गड़बड़ हुई तो तुम तो चले जाओगे मेरे बच्चों का क्या होगा उनके पास क्या होगा अगर जमीन बिक गई तो उनके पास क्या बचेगा। चन्द्र ने काफी कोशिश की मगर अब कुछ भी हो नही सकता था क्योंकि अपने हिस्से की जमीन अपनी मर्जी से वो दे चुका था। अब उसे समझ मे आ रहा था कि काश अपनेपन के चक्कर मे न आकर उसने महीने का पांच हजार भी अलग से बचाया होता तो आज बीस साल में उसके पास दस लाख से ज्यादा हो चुका होता।

अब घर मे उसे कोई नही पूछता न पहले की तरह इज्जत होती न खाने पीने का ख्याल रखा जाता। अब चन्द्र के पास बापिस लौटने के अलावा कोई चारा नही था वो बापिस लौट गया। वहां जाकर वो मायूस उदास रहने लगा उसके रूममेट उसके दोस्त उसे पूछते तो वो यूँही ताल देता मगर उसका दर्द बढ़ता जा रहा था वो अब ज्यादा देर तक छुपा नही सकता था उसने सारी बात अपने दोस्तों को बताई। दोस्तों ने उसे फिक्र न करने को कहा अगले ही दिन उसके दोस्तो ने पूरी कम्पनी के वर्कर से बात की और यथासम्भव मदद करने को कहा। कम्पनी में कुल मिलाकर लगभग पांच सौ वर्कर था। सबने अपनी सैलेरी से थोड़े थोड़े पैसे इकट्ठा करके चन्द्र को दिए ।

इतने पैसे इकट्ठा हो गए थे कि अब उसका ऑपरेशन हो गया कुछ ही दिन में वो बिल्कुल स्वस्थ हो गया तब से कम्पनी में एक नया रास्ता खुल गया जिसे भी मुसीबत होती सब मिलकर उसकी थोड़ी थोड़ी मदद करते और इस तरह उनका काम हो जाता।

चन्द्र की उम्र अब चालीस की हो चुकी थी उसी की कम्पनी में फिनिपीन्स कई एक लड़की काम करती थी जिसका तलाक हो चुका था उम्र लगभग पैंतीस की होगी। दोनों पहले से ही एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे थोड़ी बात बड़ी एक दूसरे के बारे में जाना तो जिंदगी साथ गुजरने का फैंसला ले लिया। चन्द्र ने बहीं कोर्ट में उससे शादी कर ली दोनों कमाकर पैसे जोड़ने लगे। कुछ साल बाद जब उसकी बीबी पेट से हुई तो दोनों ने इंडिया आने  का फैंसला कर लिया। अबतक उन्होंने कुछ पैसे जोड़ लिए थे जिससे वो कोई अपना काम शुरू कर सकते।

इंडिया आकर उन्होंने अपना रेस्टुरेंट खोला दोनों खूब मेहनत करते और देखते ही देखते उनका काम चल निकला। 

आज चन्द्र के दो बच्चे हैं लड़की मां पर गई है और लड़का बाप पर। अपना एक छोटा सा घर भी बना लिया है और दोनों हंसी खुशी जिंदगी गुजार रहे हैं अब उसका भाई भाभी उनसे नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करते हैं मगर चन्द्र अब उस रिश्ते को भूल चुका है वो कहता है मेरा मेरे परिवार के अलावा अब कोई नही है। 

मगर आज भी अगर कोई गरीब बेसहारा उन्हें दिखता है तो उसकी मदद जरूर कर देते हैं और यही कहते हैं कि अपनो से गैर भले।

               के आर अमित

      अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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