सुरीली एक मस्त और हरफनमौला लड़की थी। उसे लगता था कि बस जो कुछ वह सोचती और करती है वही सही है। ऐसा नहीं था कि वह बददिमाग या बदतमीज थी। उसकी बहुत बड़ी कमी थी अपने आप को हर बात में सही ठहराना। अगर उसकी मम्मी मीना उसके किसी व्यवहार को गलत बताकर उसे समझाने की कोशिश करती, तो इतना तर्क वितर्क करती कि आखिरकार उसकी मां मीना ही चुप हो जाती थी।
एक दिन सुरीली स्कूल से आकर मीना से बोली मम्मी मैं आज से अपनी सहेली रिया के यहाँ पढ़ने जाया करूँगी । वहां पर मेरी दो-तीन सहेलियों और आया करेंगी।आने में थोड़ा लेट हो जाया करेगा। ठीक है मीना ने कहा।लेकिन जब रात के 9:00 बजे तक भी सुरीली नहीं आई तो उसने सुरीली को फोन किया।ओफ्फोह मैं बच्ची हूं क्या? आ जाऊँगी । घर से बाहर निकल कर देखो। सब सडकों पर ही घूम रहे हैं। पर बेटा। लेकिन सुरीली ने फोन काट दिया ।
सुरीली के पापा काम के सिलसिले में दूसरे शहर में रहते थे। मीना उन्हें भी परेशान नहीं करना चाहती थी। जब 10:00 बजे सुरीली आई तो मीना ने उसे समझाने की नाकाम कोशिश की। बेटा इतनी रात को घर आना ठीक नहीं है। वहां से जल्दी आकर अपने घर पर पढ़ाई किया करो । क्या मम्मी आप समझती नहीं, ग्रुप में पढ़ाई अच्छी होती है। और फिर सब सहेलियां वहाँ होती हैं। हम काफी दूर तक तो साथ-साथ ही आते हैं । चिंता मत करो मेरी प्यारी मां आपकी बेटी बहुत बहादुर है।
आज दस से भी ऊपर हो रहे थे। सुरीली अभी तक नहीं आई थी। मीना का मन बहुत घबरा रहा था ।मीना ने सुरीली को फोन किया ,उसका फोन बंद आ रहा था । मीना ने उसकी सहेलियों को फोन किया तो सबका एक ही जवाब था कि चौराहे तक तो हमारे साथ ही थी फिर पता नहीं। मीना का मन किसी अनहोनी की आशंका से काँप उठा।
क्या करूँ?फिर उसने अपने पति को फोन करके सारी बातें बताई ।पहले तो वह मीना पर बहुत गुस्सा हुए। उसने सुरीली को इतनी रात तक आने की इजाजत क्यों दी ।सुरीली उसकी बात नहीं मान रही थी ।तो एक बार तो उसे बताना चाहिए था। खैर अब एक काम करो बड़े भाई साहब को फोन करो। वे देखेंगे। मैं भी कल सुबह तक पहुंँच जाऊंँगा ।
मीना ने अपने जेठ को फोन किया । फोन जेठानी ने उठाया । सारी बात सुनकर हँसकर बोली। मीना किसी से चक्कर -वक्कर तो नहीं था। मीना को बहुत बुरा लगा। लेकिन चुप रह गई। जेठ और जेठानी तो दो घंटे होने को आए अभी तक नहीं आए थे। लेकिन हाँ सभी रिश्तेदारों के फोन आने शुरू हो गए थे। मीना की जेठानी ने सभी को मसाला लगाकर सुरीली के घर ना लौटने की जानकारी दे दी थी।
मीना इस बीच अपने आप ही सुरीली को ढूंढने निकल पड़ी । जब वह कॉलोनी से बाहर निकल रही थी। उसके पड़ोसी शर्मा जी और उनकी पत्नी किसी पार्टी से लौट रहे थे । जब उन्होंने मीना को इतनी रात को अकेले जाते हुए देखा। तो गाड़ी रोककर पूछा। सब ठीक है भाभी। मीना परेशान तो थी ही ,थोड़ी सी सहानुभूति मिलते ही रोने लगी। उनकी पत्नी गाड़ी से उतरकर मीना के पास आई तो मीना ने उन्हें सब कुछ बताया । उन्होंने कहा परेशान मत होओ। चलो गाड़ी में बैठो।हम तुम्हारे साथ चलते हैं।
उन्होंने सुरीली को चौराहे के आसपास सब जगह ढूँढा । लेकिन कहीं पता नहीं चला। सुबह तक पूरी कॉलोनी को पता चल गया। कोई कुछ कहता तो कोई कुछ। सबने बिना सोचे समझे सुरीली के चरित्र की धज्जियां उड़ा कर रख दी।
मिसेज शर्मा मीना से बोली, मुझे लगता है हमें पुलिस में रिपोर्ट कर देनी चाहिए । पर भाभी जी पुलिस में रिपोर्ट….अभी तो केवल कॉलोनी वाले ही मेरी बेटी के चरित्र का हनन कर रहे हैं। फिर पूरा शहर करेगा। तभी मीना के फोन पर अनजान नंबर से कॉल आई। उधर से कोई आदमी बोल रहा था । बहन जी आपकी बेटी का एक्सीडेंट हो गया है। मैं उसे कल रात अस्पताल ले आया था। इसे अभी होश आया है। आपका नंबर मुझे उसी ने दिया है । मिसेज शर्मा और उनके पति भी मीना के साथ हॉस्पिटल गये। और उसकी हर संभव सहायता की।
मीना ने उन दोनों के सामने हाथ जोड़ दिये। वह बोली अपनों की पहचान दुख के समय में ही होती है। सुख में सभी साथ देते हैं । कैसी बात कर रही हो भाभी जी। बेटियां तो सभी की एक जैसी होती हैं। उस पर उंगली उठाने से पहले चार बार सोचना चाहिए। उन्होंने सुरीली को सारी बात बताई । तो सुरीली की नजरें शर्म से झुक गई। उसने अपनी मम्मी से माफी मांगी। भविष्य में हमेशा उनकी कही बात मानने की कसम खाई।
लेखिका : नीलम शर्मा