आज सोमवती अमावस्या है, खाने में लहसुन प्याज मत डालना। मंदिर से आई मेरी सास सरिता ने मुझे प्याज काटते हुए टोका।
“पर मम्मी हम कबसे अमावस्या को प्याज लहसुन का बैर मानने लगे?”
“तुझे तो बस बहस करवा लो सुबह सुबह।” सास बरस पडी।
मुझे भी गुस्सा आ गया। मैंने बोला, “मम्मी आपको नहीं खाना तो दूसरा बन जाएगा,, हमको टैस्ट नहीं आता बिना लहसुन प्याज के खाने में। और वैसे भी सब कुछ काट चुकी हूं, सब फेंकना पड़ेगा। इनके ऑफिस का time हो रहा है। “
लेकिन सास की तानों की झड़ी चलती रही।
“तुझे तो कोई बात सुन्नी ही नहीं है किसी की, माँ बाप ने संस्कार ही नहीं दिए।पूजा पाठ में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखती।”
जब सास माँ बाप को बीच में लाती हैं तो मेरी भी सुनने की क्षमता खत्म हो जाती है।
“अच्छा ऐसा है तो फिर उस दिन क्या हुआ था पूजा पाठ का, जब जेठानी के बच्चों के लिए बड़मावस के दिन अंडे बनाए थे ,,वो भी आपने, जो कि अंडे को हाथ भी नहीं लगाती???”
सास गुस्से में और लाल पीली हो गई। उनको लगा नहीं था कि मैं ये विषय बीच में ले आऊंगी।
झल्लाकर बोली, “मैं तो कभी ऐसा करने की सोच भी नहीं सकती। क्यूँ झूठ बोल रही है।”
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मैं समझ गई, ये हर बार की तरह या तो भूल चुकी हैं या भूलने का नाटक कर रहीं हैं।
मैंने बोला,”लाओ अभी कॉल पर confirm करवा देती हूं।
खेर, मुझे आपसे बहस नहीं करनी।”
अपने पति का tiffin pack करके मैं अपने रूम में आकर लेट गई।
आँखें बंद की तो वो दिन की सारी घटना मेरे सामने चलचित्र की भांति तैर गई।
दरअसल, पिछले महीने मेरे जेठ जी और उनके दोनों बच्चे 9 और 13 वर्षीय दर्श और हर्ष अपनी छुट्टियाँ बिताने singapore से हमारे यहां mumbai आये थे। पहली बार ऐसा हुआ था कि मेरी जेठानी अपनी जॉब की वजह से नहीं आ पाई थी,, तो दादी अपने लाडले पोतों की खूब खातिर कर रहीं थीं। मेरी भी कोशिश रहती थी कि बच्चों को कोई complain नहीं होनी चाहिए चाची से। बस मैं दिखावा नहीं करती। बच्चे भी बहुत समझदार थे।
तो मुझे ज्यादा कुछ परेशानी नहीं हो रही थी। बच्चों को मेरे हाथ के omlette बहुत ही अच्छे लगे ,तो मैं उनको almost रोज या जब भी वो बोलते बना देती थी।
एक दिन बीच में बड़मावस पडी। मेरे ससुराल में ये बहुत बड़ी अमावस्या मानी जाती है। शुरू से ही इस दिन सुबह पूजा करके बायना निकाल कर ही कुछ खाते हैं। सारा काम खत्म हो चुका था। जेठानी के बच्चे 11 बजे सो कर उठते थे। मैं थोड़ा free होकर अपने रूम में थी।उनमें से किसी ने उठते ही दादी se omlette की फर्माइश कर दी जो मुझे नहीं पता था। जबकि सारा breakfast तैयार था। दादी बस प्यार और लाड में झटपट
omlette बनाने में लग गई। मुझे खुशबू आई तो मैं kitchen की तरफ गई। क्या देखती हूँ, की जी सासू माँ अंडे बना रही हैं। मैं गुस्से से लाल हो गई। मैंने बोला “मुझे तो हर छोटे मोटे मौके पर लहसुन प्याज के लिए टोक देते हो, तो आज क्या हो गया?”
वो थोड़ा हडबड़ा गई और बोली कि बच्चे और कुछ नहीं खाते तो कोई बात नहीं। मैंने बोला,” भाभी तो मुझसे भी जादा पूजा पाठ करती है उनको पूछा आपने?” सास बोली, “मैं क्यूँ पूछूं किसी से। बच्चों का मन था सो बना दिया।”
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था।
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मैंने declare कर दिया कि आज के बाद ये लहसुन प्याज का ढोंग मेरे सामने मत करना।
इस घटना के बाद 1 महीने इस बात पर कुछ नहीं बोली।
लेकिन आज फिर से नया कुछ लेकर आ गईं।
आए दिन हम पर यूट्यूब और व्हाट्सएप का ज्ञान थोपती रहती हैं।
थोड़ी देर बाद kitchen में जाकर देखा तो पाया कि सास ने प्याज वाला नाश्ता नहीं किया। कुछ और बना कर खा लिया।
अब आई शाम शाम के खाने की बारी। मेरी सास अपने और ससुर जी के लिए लगभग रोज कम मसाले की उपमा बनाती है।
ससुर जी ने पहला चममच खाते ही पूछा,” इसमें क्या डाला है? तुमसे कितनी बार कहा है इसमें सब्जियां मत डाला करो। मुझे अच्छी नहीं लगती।”
सास बोली ,”केवल मटर और प्याज ही डाला है ।”
यह सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए। सुबह तो क्लेश किया और अब खुद ने प्याज वाली उपम बना दी ।
मैं कुछ बोलती, उससे पहले ससुर बोल पड़े ,”आज सुबह तो तुमने कहा था कि आज सोमवती अमावस्या है, आज प्याज नहीं खाना।”
दोनों चुप होकर मेरी शकल देख रहे थे ।
उनका ड्रामा शुरू हो गया ।
“है राम! भूल हो गई अब मैं क्या करूं? इतनी सारी उपमा है। अब इसको फेंकेंगे थोड़ी ना। आज खालेते हैं ।भगवान से माफी मांग लेंगे।”
और दोनों ने वह प्याज वाली उपमा खा ली। इतनी बेशर्मी से अपनी गलती कैसे छुपा गई।
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फिर मैंने उनको आड़े हाथों लिया। मैंने बोला ,”मम्मी इस उम्र में चीजें भूलना बहुत नॉर्मल बात होती है । आप अपना किया भूल जाती हो और बिना बात मुझसे झगड़ा करती रहती हो।और जो आप सारा दिन यूट्यूब की न्यूज़ देख देख कर नए-नए एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं, उनको अपने तक ही रखो ।हम पर थोपने की कोशिश मत किया करो । हमारे धर्म में जो नियम लिखे हुए हैं, उनको मैं दिल से मानती हूं
लेकिन आप तो मुझे रोज नया नियम बताते रहती हो। 10 साल हो गए मेरी शादी को, इतना तो मुझे पता चल गया कि कौन सा नियम सही है और कौन सा आपका यूट्यूब या whatsapp यूनिवर्सिटी से उठाया हुआ है । अच्छा होगा अगर आप अपनी रिटायर लाइफ एंजॉय करो ,अपने पोते -पोती के साथ खेलो, अपनी सेहत का ध्यान रखो। घर में शांति बनी रहेगी। अपने सास होने का फ़ायदा उठा कर
रोज नया क्लेश का कारण पैदा करने की जरूरत नहीं है। । मुझे तो बिना बात ही बदनाम कर रखा है। अपना बुढ़ापा स्वीकार करो और सबको चैन से जीने दो।”
बेटे बहू के साथ रहने वाले मां-बाप से मेरा यही अनुरोध है वह अपना बुढ़ापा स्वीकार करेंगे तो जीवन सभी के लिए आसान रहेगा, उनके लिए भी और आपके लिए भी।
ऐश्वर्या गोयल