अनमोल तोहफा – बेला पुनिवाला : Moral Stories in Hindi

संध्या और राजेश की शादी को 25 साल हो चुके थे। ये 25 साल उनके जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्ष, और खुशियों से भरे हुए थे। इस सफर में उन्होंने साथ में हर चुनौती का सामना किया और हर खुशी को बांटा। लेकिन इन सबके बीच, जैसे-जैसे जीवन की व्यस्तता बढ़ी, समय का महत्व कहीं पीछे छूट गया।

राजेश एक सफल व्यवसायी थे। उनका दिन दफ्तर की बैठकों, क्लाइंट्स और व्यापारिक निर्णयों में बीतता था। वहीं, संध्या एक गृहिणी थीं, जिन्होंने अपना सारा समय और ऊर्जा अपने घर, बच्चों और परिवार को संवारने में लगा दी। राजेश ने अपनी मेहनत से घर को हर सुख-सुविधा से भर दिया था, लेकिन संध्या के दिल में एक खालीपन था, जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर पाती थी।

राजेश को हमेशा से अपनी शादी की सालगिरह को खास बनाने का शौक था। हर साल वह संध्या के लिए कोई न कोई महंगा तोहफा लाते थे – कभी एक खूबसूरत गहना, कभी विदेशी यात्रा का प्लान, और कभी किसी बड़े होटल में रात्रिभोज। लेकिन इस बार 25वीं सालगिरह थी। इसे यादगार बनाने के लिए राजेश ने कुछ खास करने का मन बनाया।

एक दिन, उन्होंने संध्या से पूछा,
“संध्या, हमारी 25वीं सालगिरह आ रही है। इस बार तुम्हें मुझसे क्या तोहफा चाहिए?”

संध्या थोड़ी देर चुप रहीं। उनके मन में बहुत सारी बातें चलने लगीं। 25 साल पहले उनकी शादी हुई थी। उस वक्त राजेश एक साधारण नौकरी करते थे। उन्होंने एक छोटे से घर से शुरुआत की थी। तब पैसे कम थे, लेकिन प्यार और एक-दूसरे के साथ बिताया समय बहुत ज्यादा था।

लेकिन जैसे-जैसे राजेश ने अपने करियर में तरक्की की, वैसे-वैसे उनके बीच का समय कम होता गया। राजेश हमेशा अपनी व्यस्तता का हवाला देकर घर से दूर रहते। और जब वह घर पर होते, तो भी उनका ध्यान फोन कॉल्स और ईमेल्स में ही लगा रहता।

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संध्या ने गहरी सांस ली और कहा,
“वैसे तो इतने सालों में आपने मुझे सब कुछ दिया है। गहने, कपड़े, विदेश यात्राएं – मुझे किसी चीज की कमी नहीं है। लेकिन अगर आपने मुझसे पूछा है कि मुझे क्या चाहिए, तो मैं चाहूंगी कि इस बार आप मुझे   तोहफे मे अपना समय दें।”

राजेश थोड़ा हैरान हुआ।
“समय? इसका क्या मतलब है, संध्या?”

संध्या मुस्कुराई और बोली,
“मैं चाहती हूं कि हमारी 25वीं सालगिरह के दिन आप सिर्फ मेरे साथ समय बिताएं। न कोई काम, न कोई फोन कॉल, न ईमेल। सिर्फ आप और मैं, जैसे पहले हुआ करता था। यह मेरे लिए सबसे अनमोल तोहफा होगा।”

राजेश को यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा। लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और वादा किया कि इस बार वह अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करेंगे।

राजेश ने अपनी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव किया। उन्होंने अपने दफ्तर के स्टाफ से कहा कि 25वीं सालगिरह के दिन उन्हें किसी भी काम के लिए परेशान न किया जाए। उन्होंने अपने फोन को भी बंद रखने का फैसला किया।

इसके साथ ही, उन्होंने संध्या के लिए एक खास दिन प्लान करना शुरू किया। राजेश को समझ में आ गया था कि उनकी पत्नी के लिए समय कितना महत्वपूर्ण था।

सालगिरह का दिन आया। सुबह-सुबह राजेश ने संध्या को एक गुलाब का फूल दिया और कहा,
“आज का दिन सिर्फ तुम्हारे लिए है।”

संध्या ने मुस्कुराते हुए कहा,
“यह तोहफा सबसे खास है।”

राजेश ने अपने दिन की शुरुआत संध्या के साथ चाय पीते हुए की। दोनों ने एक-दूसरे के साथ बिताए पुराने दिनों की यादें ताजा कीं। उन्होंने अपनी शादी के शुरुआती दिनों के बारे में बात की – कैसे उन्होंने छोटे-छोटे सपनों के साथ अपनी जिंदगी शुरू की थी।

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राजेश और संध्या ने अपने पुराने फोटो एल्बम निकाले और उन्हें देखते हुए हंसी-मजाक किया। तस्वीरें देखकर उन्हें अपने पुराने दोस्तों, रिश्तेदारों और बच्चों की शरारतों की याद आई।

इसके बाद, राजेश ने कहा,
“चलो, आज मैं तुम्हें एक खास जगह ले चलता हूं।”

राजेश संध्या को उस घर में ले गए जहां उन्होंने अपनी शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत की थी। वह छोटा सा मकान अब काफी पुराना हो चुका था। लेकिन वहां पहुंचकर संध्या की आंखें चमक उठीं।

“यह वही जगह है जहां हम पहली बार साथ आए थे। यहां की हर चीज मुझे याद है।”

दोनों ने उस घर के बाहर खड़े होकर अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में ढेर सारी बातें कीं।

शाम को, राजेश ने संध्या के लिए एक खास डिनर डेट प्लान की थी। यह किसी बड़े होटल में नहीं, बल्कि उनके अपने घर की छत पर थी। राजेश ने छत को खूबसूरत रोशनी और फूलों से सजवाया। उन्होंने खुद संध्या के लिए उनका पसंदीदा खाना बनाया।

संध्या ने कहा,
“मुझे नहीं पता था कि तुम इतना अच्छा खाना बना सकते हो।”

राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा,
“शायद मैंने पहले कोशिश ही नहीं की। लेकिन आज तुम्हें खुश करने के लिए कुछ भी कर सकता हूं।”

डिनर के बाद, राजेश और संध्या छत पर बैठकर तारों को देखते हुए बातें करते रहे। राजेश ने संध्या से कहा,
“संध्या, मैं हमेशा अपने काम में इतना व्यस्त रहा कि तुम्हें और हमारे रिश्ते को समय नहीं दे पाया। लेकिन आज मैंने महसूस किया कि तुम्हारे साथ बिताया गया समय ही सबसे महत्वपूर्ण है।”

संध्या की आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा,
“राजेश, मैं सिर्फ तुम्हारा समय चाहती थी। आज मैंने वह पा लिया। इससे बेहतर तोहफा मुझे कभी नहीं मिल सकता।”

मूल रचना 

बेला पुनिवाला

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