सुनीता ज़ोर ज़ोर से उषा मासी पर चिल्ला रही थी। “तुमने मेरी 25000 की ड्रेस जला दी। कोई काम तुम्हें ठीक से नहीं आता। कभी देखी हो इतनी महंगी ड्रेस तो जानो ? ” सुनीता अभी दो महीने पहले ही इस घर में बहू बन के आई थी। बड़े बाप की बिगड़ी बेटी थी।बहुत घमंडी और बुरा मिजाज था।अपना कोई काम खुद से नहीं करती थी।
ज़रा ज़रा सी बात पर गुस्सा होकर मुँह से अंगारे उगलती रहती थी। सभी ससुराल वाले उससे परेशान थे। उषा मासी घर की पुरानी नौकरानी थी। उसने उषा मासी को अपनी ड्रेस प्रेस करने को दी थी। मासी मना कर रही थी कि बेटा हमसे नहीं हो पाएगी इसपर प्रेस।लॉन्ड्री से करा लो। पर सुनीता बोली , “बहुत कामचोर हो आप।
काम ना करने का बहाना कर रही हो”। और वही हुआ जिसका डर था। ड्रेस सिल्क की थी ।उषा मासी प्रेस की सही सेटिंग नहीं कर पायी और ड्रेस का कोना जल गया।और अब सुनीता उनपर अंगारे उगल रही थी। सुनीता के चिल्लाने की आवाज़ सुन कर माँ जी कमरे से बाहर निकल आयीं और बोलीं “क्यों आग उगल रही हो बहू?
उषा मासी थार-थर कांप रही थी। सुनीता चिल्लाए चली जा रही थी। डरते-डरते रोते हुए मासी ने पूरी बात बताई। तब माँ जी बोली,” बहू तुम्हारी ड्रेस की कीमत 25000 है ना, वो तुम मुझसे ले लेना। पर उषा मासी जिस लगन और ईमानदारी से 25 साल से हमारे घर में काम कर रही हैं उसकी कोई कीमत नहीं लग सकती।
उनकी सेवा अनमोल है. वो हमारी नौकरानी नहीं, परिवार का सदस्य है। तुम्हें हम सब के साथ इनकी भी इज्जत करनी होगी। वरना तुम भी एक बहु का सम्मान नहीं पा सकोगी”।”माँ जी बिल्कुल सही कह रही हैं। तुम्हें अपना व्यवहार सब के साथ अच्छा रखना चाहिए,” सुनीता का पति पवन बोला जो ऑफिस से आ चुका था
और उसने भी माँ जी की बातें सुन ली थीं। सुनीता के पास कोई जवाब नहीं था। वह शर्मिंदा हो गयी थी।पवन के कहने पर उसने उषा मासी से माफी माँग ली। । मासी ने उसके सिर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया।
.महजबीन सिराज