राज और अंकिता के घर दूसरी बेटी ने जन्म लिया तो अंकिता की जेठानी प्रिया ने मुँह बनाते हुए कहा कि अब तो दो बेटियाँ आ गई अभी से दहेज जोड़ना शुरु कर दो । उस पर राज ने कहा कि बेटियाँ क्या बेटों से कम होती है भाभी ?
प्रिया को अपने दो बेटों के ऊपर बहुत घमंड था कि वह दो बेटों की माँ है और समय-समय पर अंकिता के लिए अंगारे उगलती रहती । बेटियाँ हैं अभी से सोचो एक अकेला राज कमाता है कैसे करोगी । पर अंकिता को ईश्वर पर बहुत भरोसा था उसका सोचना था कि बेटियाँ अपना भाग्य स्वयं लेकर आती हैं ।
अंकिता ने एक दिन राज से कहा कि प्रिया भाभी बहुत ही जली कटी सुनती रहती हैं । उस पर राज ने कहा जाने दो हमारी बेटियाँ बड़ी होकर अपने कर्मो से इस बात का जवाब देंगी ।दोनों बेटियाँ निकिता और रश्मि बड़ी होने लगी ।
पढ़ने में दोनों बहुत होशियार थी अंकिता अपनी मेहनत से प्रतियोगिता परीक्षा में अव्वल आकर डॉक्टर बन गई वहीं रश्मि की बैंक में नौकरी लग गई । दोनों बहुत ही दोनों खुश थी । दोनों बेटियों ने जॉब लगने की खुशी में सरप्राइज पार्टी प्लान किया और सबको निमंत्रण दिया ।
ऐसा भव्य पार्टी देखकर प्रिया का तो मुँह उतर गया । दोनों बेटियों ने बेटों से बढ़कर माता-पिता का नाम रोशन किया ।
आज राज और अंकिता को मेहनत और सब्र का फल मिल गया था साथ ही जो ताने उलाहने प्रिया ने दिए थे उन सब पर भी मरहम का काम किया जब दोनों बहनों ने यह अनाउंस किया की मम्मी पापा के लिए बहुत ही सुंदर सा घर खरीदा है और सबके सामने राज और अंकिता के हाथों में चाबी सौंपी और पैर छूकर प्रणाम किया ।
अनिता मंदिलवार “सपना “
साहित्यकार, व्याख्याता
अंबिकापुर सरगुजा छत्तीसगढ़