अंधेरा के बाद का उजाला – लतिका पल्लवी :

मोबाईल बजा तो मीता नें अपनी बेटी से कहा देख तो सोनम पापा का फोन है?उनसे पूछना तो आज रात मे  निकलेगे या कल चलेंगे?  मीता रसोई मे आटा गुंथ रही थी इसलिए वह मोबाईल  नहीं उठा सकती थी। अतः उसने रसोई से फोन उठाने के लिए बेटी को आवाज लगाई।बेटी नें मोबाईल देख कर कहा -माँ फोन मे किसी का नाम नहीं नंबर दिखा रहा है।अच्छा उठा कर दे मुझे,देखु कौन है।मीता नें

जैसे ही हैलो कहा उधर से आवाज आई आप शंकर सिंह के यहाँ से बोल रही है?मीता नें कहा हाँ, मै उनकी पत्नी बोल रही हूँ। मैडम मै उनका असिस्टेंट बोल रहा हूँ। ऐसा है मैम कि सर की तबियत थोड़ी खराब हो गईं है।हम उन्हें डॉक्टर के पास लाए है। फोन करने वाले नें मीता को बताया।हैलो उन्हें हुआ

क्या है?घबराते हुए मीता नें पूछा।कुछ खास बात नहीं है मैम,लग रहा है थोड़ा गैस बढ़ गया है। सर को बहुत बेचैनी सी हो रही थी तो हमने उन्हे गैस की गोली दी थी,पर आराम नहीं हुआ तो उन्हें क्लिनिक पर लाए है।उधर से जबाब मिला।अभी सर कैसे है? मीता नें पूछा।अभी ठीक है चेकअप हो रहा है

आगे डॉक्टर जैसा बोलता है बताता हूँ। सर को ज़रा ठीक लगा तो उन्ही से बात करवाता हूँ। यह कहकर सामने वाले नें फोन काट दिया। मीता के पति एक प्राइवेट फार्म मे मार्केटिंग का काम देखते है। वे प्रायः कम्पनी के काम से बाहर जाते रहते है। मीता अपनी दोनो बेटियों के साथ धनबाद रहती

है।पति भी साथ ही रहते है पर क्लाइन्ट मीटिंग के लिए वे पुरे बिहार मे घूमते रहते है। कल वे चम्पारण जिला मे गए थे। यह फोन वही से आया था। मीता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?उसके पास फोन का इंतजार करने के आलावा कोई चारा नहीं था।थोड़ी देर बाद फिर से फोन आया।मीता नें फोन बड़ी आतुरता से उठाया।उसकी बेटियां भी  पास ही ख़डी थी।पति के असिस्टेंट नें कहा मैम सर की तबियत कुछ ज्यादा ही खराब लग रही है। लगता है कि गैस सिर पर चढ़ गया है। डॉक्टर

का कहना है कि ब्रेन हेमरेज का केस भी हो सकता है।सर को पटना ले जाना होगा।हम उन्हें लेकर जा रहे है। आप भी जल्द से जल्द पहुंचने की कोशिश कीजिए। यह सुनकर वह कुछ समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए। उसका दिमाग़ एकदम सुन्न पड़ गया था। किसी भी औरत के लिए

उसके पति की बीमारी को सुनकर एकदम से जड़वत हो जाना कुछ अनोखी बात नहीं है। मीता भी एकदम जड़ हो गईं थी। रात का समय था।आठ बज रहा था। इस रात  मे दो सयानी बेटियों को लेकर एक औरत के लिए अकेले सफर करना इतना आसान भी नहीं था।धनबाद से पटना काफ़ी दूर है। सारी रात सफर करना होगा।रात तो शरद पूर्णिमा की थी पर मीता के लिए यह काली रात बनकर

आई थी।थोड़ी देर बाद फिर फोन आया मैम आप निकल गईं? यदि ऑपरेशन करना पड़ा तो आपको फॉर्म साइन करना पड़ेगा।अब डरने से काम नहीं चलेगा यह मीता समझ गईं थी ।बात उसके पति और उसकी बेटियों के पिता की जान की थी।उसने तुरंत कैब बुक किया और पटना के लिए निकल पड़ी। यह काली रात उसके लिए अब कोई बाधा नहीं बनी। पूरी रात तीनो नें आँखो ही आँखो मे निकाल दिया। पुरे रास्ते बस ईश्वर से प्रार्थना करते रहे, हे ईश्वर इस काली रात को हमारे जीवन से

खत्म करके हमें उजाले की तरफ ले चलो।मीता नें बेटियों से कहा भी कि बच्ची कुछ खा लो,ज़रा आँख मुंद लो पर बेटियों के लिए यह कहा सम्भवथा।जिसके पिता का प्राण संकट मे पड़ा हो उसके बच्चे भला क्या खा, सो सकते है?सारी रात सफर के बाद वे लोग सुबह सुबह पटना पहुँचे। वहाँ जाकर पता

चला माइनर ब्रेन हेमरेज हुआ है, पर सांस लेने मे दिक्कत है इसलिए आक्सीजन लगा है। ऑपरेशन होगा तो जल्द ही ठीक हो जाएंगे।औपचारिकते पूरी होने के बाद डॉक्टर नें आपरेशन किया जो कि

सफल रहा।उसके बाद किसी तरह से कम्पनी के कर्मचारियों नें माँ और बेटियों को समझा बुझा कर खाना खिलाया। जैसे तैसे चौदह दिन बीते फिर शंकर सिंह को अस्पताल से छुट्टी मिल गईं।तब तक साथ काम करने वाले सहयोगियों नें मीता और उसके बच्चो का बहुत साथ दिया। दीपावली के दिन वे

लोग अपने घर धनबाद पहुंच गए। जीवन की काली रात का अंत हुआ। इनके लिए आमावस्या पूर्णिमा बनकर आई। माता लक्ष्मी की दया से गृहस्वामी का जीवन बच गया था। जीवन से अँधेरा दूर हो गया था।

विषय —काली रात 

लतिका पल्लवी

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