अंधी दौड़ – रश्मि झा मिश्रा  :

Moral Stories in Hindi

“सुबह से चार घंटे हो गए… अभी तक एक भी ढंग का वीडियो नहीं बन पाया यार… आज का वीडियो थीम ही बीच साइड का था…!”

” एक काम कर ना… चल कहीं और बनाते हैं… बैकग्राउंड डाल देंगे…!”

” रियल नहीं लगेगा ना… ऊपर से मम्मी यार… बार-बार फोन करके इरिटेट कर रही है….!”

 आखिर शाम होते तक एक परफेक्ट वीडियो बन ही गया..… पलक अपने स्टेप्स, मूव्स, फेस एक्सप्रेशन देखकर खुद ही खुश हुए जा रही थी…

” वाह… इस बार जबरदस्त बना है… यह वीडियो तो छा जाएगा…!”

 रात होते-होते तक पलक ने अपना वीडियो अपने सारे अकाउंट्स पर अपलोड कर दिया…

 पलक एक सोलह साल की ग्यारहवीं की छात्रा थी… उसके सोलहवें जन्मदिन पर उसे, उसके पेरेंट्स ने एक फोन और साथ में सारी आजादी और सुविधाओं का तोहफा दिया था…

 इन सुविधाओं का मतलब… मां पिता के लिए भले ही शिक्षा के क्षेत्र में बेटी के रास्ते को आसान बनाना रहा हो… मगर पलक के लिए यह एक दूसरी दुनिया में प्रवेश करने का रास्ता बन गया…

 पलक ने सोशल मीडिया पर खुद को स्थापित करने की मुहिम छेड़ दी थी… उससे दो साल सीनियर कोमल दी कि सोशल मीडिया पर बहुत अच्छी पकड़ थी… उसके हाव-भाव और नृत्य के लाखों फॉलोअर्स बन गए थे… उसके वीडियो देख देख कर पलक बार-बार सोचती… वह कोमल से ईर्ष्या करने लग गई थी…

” मैं तो इससे कितना बेहतर कर लेती हूं… फिर मेरे फॉलोअर्स क्यों नहीं बढ़ते…!”

अपनी दोस्त रेखा की मदद से वह फोन मिलते ही जी जान से स्वयं को स्थापित करने में लग गई थी… घर में मां पिता उसके जुनून से अनजान थे… वे सोचते थे की पढ़ाई के साथ थोड़ा बहुत मनोरंजन कर रही है… कोई बात नहीं…

 कुछ दिनों के बाद उन्हें पता चल गया… मां उसे हर तरह से समझाने की कोशिश में लग गई… पापा से डांट खाना… मां की नजर बचाकर फोन चलाना… पलक हर दिन नए बहाने बनाने… झूठ बोलने में लग गई… मगर उसने वीडियो बनाना नहीं छोड़ा…

 पलक ने एक के बाद एक पूरे सौ वीडियो यूट्यूब पर डाल दिए… कुछ को बढ़िया रिस्पॉन्स भी मिला था… शुरू शुरू में कुछ वीडियो तो बहुत बढ़िया चले… बाद में उसके वीडियो सफल नहीं हो रहे थे…

 वह बार-बार कुछ नया करने की कोशिश करती… फिर घंटों उसका परिणाम देखने के लिए फोन से चिपकी रहती… इसी क्रम में आज वह एक घंटे का रास्ता तय कर समुद्र के किनारे पहुंची थी… बढ़िया लोकेशन में वीडियो बनाने… मगर यह भी सफल नहीं हुआ…

 पलक हर दो चार मिनट पर अपने फोन को चेक करती रहती थी… कितना रिस्पांस मिला… क्या कमेंट आया… फॉलोअर्स बढ़े या नहीं… सब्सक्राइबर्स बढे या नहीं… उसका दिमाग इन शब्दों के मकड़जाल में बुरी तरह उलझ गया था…

 इस अनावश्यक बोझ को सर पर लादे… वह अपनी जिंदगी जीना ही भूल चुकी थी…

 सफलता पाने के अंधी दौड़ का हिस्सा बनी पलक… अपनी ग्यारहवीं की परीक्षा में दो विषय में फेल हो गई… घर में मां पिता के तीखे सवालों का जवाब देना उसके लिए मुश्किल हो गया…

 एक शाम वह उदास होकर बैठी हुई थी… मां अंजलि यूं तो पहले उससे बात करने को हमेशा तैयार रहती थी… मगर इस एक साल में पलक ने खुद को मां से काफी दूर कर लिया था…

 वह हर बात पर मां के पूछने से चिढ़ जाती… टेढ़े जवाबों से तंग आकर अंजलि ने सवाल ही कम कर दिए थे… मगर आज उसे अकेला बैठा देख उसके पास आ गई…

” क्या बात है पलक… फोन तुम्हारे हाथ में नहीं बगल में रखा है….!”

” मां… तुम तो जानती हो ना मैं क्यों फेल हुई…!”

” हां… अच्छे से जानती हूं… तुम्हारे सफल होने के शॉर्टकट के चक्कर में… तुमने अपनी पढ़ाई के साथ धोखा किया है…!”

” मगर इसमें क्या गलत है मां… लोग तो कुछ भी करके सफल हो जा रहे हैं… कितना कमाते हैं उससे… पता भी है तुम्हें… मैं तो कितना अच्छा डांस करती हूं… फिर भी मैं क्यों नहीं हिट हो रही… उस कोमल दी को देखा है तुमने… मुझे ईर्ष्या होती है उससे…… उससे तो मैं लाख गुना अच्छी हूं… फिर….!”

” देखो बेटा… पहली बात हर काम हर किसी के लिए नहीं होता… दूसरी यह भी एक लॉटरी की तरह है, जिसकी निकल गई तो निकल गई… तीसरी और सबसे अहम बात… सफलता के शॉर्टकट निकालना बंद कर दो… सफल होने के लिए तुमने अपने मन की बहुत दिनों तक कर ली… अब उसे छोड़कर जो सुनिश्चित सफल होने का जरिया है उस पर ध्यान दो… एक बार अपना कैरियर बना लो… सफल इंसान तो सोशल मीडिया पर यूं ही छा जाता है… यह तो सोचो……!”

 बातें करते-करते ही अचानक पलक के फोन में मैसेज फ्लैश करने लगा… बहुत सारे मैसेज थे…

” वाॅव मॉम… पता है… मैंने अपने फेल करने का सैड वाला पोस्ट डाला था… देखो कितना हिट हो रहा है.… अब तो मैं स्टार बन ही गई समझो…!”

मां अंजलि उसे देखती रह गई… आखिर किसे समझा रही थी वह… अंजलि ने उसके हाथ से फोन छीन लिया, और खींचकर एक तमाचा उसके गालों पर जड़ा… फिर निकल गई… 

पलक रात तक गुमसुम थी… रात को उसने चोरी से फोन हासिल कर लिया… फिर मां के नाम एक नोट लिखा…” मां… मैं बस कुछ ही कदम दूर हूं सफलता से… अब मैं नहीं रुक सकती… मुझे कोमल दी से आगे निकलना है…!”

 रात ही पलक घर से निकल गई… पांच दिनों तक उसका कुछ भी पता नहीं चला… छठवें दिन लगभग सौ किलोमीटर दूर… नदी की तराई में उसकी लाश मिली…

 पुलिस की खोज में पता चला… रात को नदी में, अकेली नाव पर सवार लड़की… कोई वीडियो बना रही थी…

 उस वीडियो पर लाखों लाइक अब तक आ चुके थे… पलक स्टार बन चुकी थी… लेकिन अपनी जान देकर….

 यह पागलपन नहीं तो और क्या है… इस गहरे अंधे कुएं में हमारा युवा डूबता जा रहा है… एक को सफल होता देख, उसके पीछे एक हजार दौड़ लगा देते हैं… और कई बार ऐसे हादसों के शिकार हो जाते हैं… यह अंधी दौड़ कहां जाकर खत्म होगी… पता नहीं क्या होगा इसका अंत…

रश्मि झा मिश्रा 

साप्ताहिक विषय… ईर्ष्या.

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