मधु तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी थी।पिता एक छोटी सी साड़ी की दुकान पर काम करते थे।मां घर में ब्लाउज सिलती पीको फॉल का काम करती। मधु कॉलेज के दूसरे वर्ष में थी वहां कॉलेज के एनुअल फंक्शन में रतिराम जी आएं थे जिनका कारखाना था समाज के प्रतिष्ठित लोगों में उनकी गिनती थी।
उनके दो बेटे थे आशीष और वनराज आशीष कम पढ़ा लिखा था और थोड़ा वो बुद्धि से भी कम था वहीं फंक्शन में मधु को देख उन्हें वो पसंद आई उन्होंने घर आकर अपनी पत्नी अलका से बात की अलका बोली मै किसी बड़े घर की बेटी लाऊंगी।रतिराम बोले अपने बेटे में कमी है ये मत भूलो छोटे घर की लड़की लाएंगे
तभी घर बसेगा बेटे का और गरीब घर की होगी तो चुप रहेगी और सहेगी भी समझी इसी लिए मै उस लड़की की खोज खबर लगवाता हूँ फिर देखते है।अलका बोली ठीक है अगले दिन अपने मुनीम को भेज रतिराम ने मधु की जानकारी निकलवाई और अगले दिन रिश्ता ले पहुंच गए ।मधु के पिता गिरधारी बाबू बड़े खुश हुए आशा जी भी खुश थीं
कि बेटी का इतने बड़े घर से रिश्ता आया है।उनका आंगन और कमरे का फर्श कच्चा था।फटी हुई चटाई बिछी थी फर्श पर घर में सामान के नाम पर एक सिलाई मशीन एक फोल्डिंग एक ट्रक था रसोई में भी जरूरत भर का सामान था। इतनी गंदी जगह थी
कि कोई एक मिनट खड़ा ना हो सके पर अब मतलब था तो क्या करते।गिरधारी बाबू बोले साहब मेरी तो हैसियत नहीं है बेटी ब्याहने की ।रतिराम बोले भाई तुम चिंता मत करो सारा इंतजाम हम कर लेंगे आप तो रिश्ता दो बस ।ठीक है जी तो सुनो ये मोहल्ला बड़ा ही गंदा है मुनीम जी हमारे सर्वेंट क्वार्टर में इन्हें वो 3 कमरे वाला घर दो और बाकी हम देख लेंगे तो अगले महीने की 3 तारीख पक्की ।मधु ने अगले दिन अपनी सहेली नीला को सब बताया ।
नीला बोली लड़का देखा कैसा है? मधु बोली नहीं । नीला बोली तुझे कुछ अटपटा नहीं लगा शहर का इतना बड़ा आदमी उसके लड़के के लिए लड़कियों की कमी होगी क्या।अरे वो बोले कि कॉलेज के फंक्शन में उन्होंने मुझे देखा था और मैं उन्हें पसंद आ गई थी।नीला बोली फिर भी मुझे लगता है
लड़के से मिलना जरूरी हैं।घर आ कर यही बात मधु ने अपनी मां आशा से की तो आशा बोली बड़े लोग है उनके व्यहवार अलग होते है देख हमे घर दे रहे हैं तेरा भी ध्यान रखेंगे तू राज करेगी अब ज्यादा सोच मत बेटा।पर मधु का ध्यान उस तरफ अटक गया था कि बिना लड़के के देखे कैसे रिश्ता तय हो गया आज कल के समय में तो लड़के दस बार मिले बिना नहीं रहते ।
अगले दिन से हल चल शुरू हो गई उस मोहल्ले से निकल वो सर्वेंट क्वार्टर में आ गए। भाई बहनों का दाखिला भी दूसरे स्कूल में हो गया पर वो दूसरे शहर में था। शादी के गहने कपड़े सब पहुंच गए और तय दिन पर शादी थी शादी का समारोह एक मंदिर में था गिने चुने लोग थे।मंडप में लड़का लड़की को बिठाया गया लड़के को मां लेकर आई जो देखने में अजीब सा लग रहा था
फेरे और सब में अटेंडेंट और मां साथ रही।सबको अटपटा लग रहा था पर कुछ कह नहीं सकते थे।शादी होकर मधु सुसराल आई और दो तीन दिन बाद ही उसे घर के कामों की जिम्मेदारी थमा दी गई।आशीष पहले तो एक दो दिन मधु के कमरे में होने के कारण कमरे में आया ही नहीं
तीसरे दिन उसे उसका नौकर रामावतार कमरे में लाया।बोला देखो ये कौन है उसने पूछा कौन है ये दीदी ।मधु हक्की बक्की रह गई फिर उठी और बोली मै आपकी नई दोस्त हूँ।मां ने तो नहीं बताया आप मेरे साथ खेलोगी।मधु इतनी कम उमर में घर और आशीष जैसे मंदबुद्धि को भी संभल रही थी।घर वालो से कोई सम्बन्ध नहीं होता था।घर में उसकी हालत
नौकरानी जैसी हो गई थी।अलका तो उसे पसंद करती ही नहीं थी। रतिराम ने छोटे बेटे वनराज की शादी तय हुई वनराज बहुत हैंडसम था उसकी शादी रागिनी से तय हुई जिसके पिता का कारोबार था समाज में प्रतिष्ठा थी बहुत धूम धाम से शादी हुई सारा शहर को बुलाया था।मधु ने पूछा मांजी मै भी अपने मायके वालों को बुला लूं।साल हो गया उन्हें देखे।औकात में
रहो उन कंगालों को मै अपने यहां शादी में बुलाऊंगी तुम्हे झेल रहे है वो काफी नहीं है क्या? दफा हो जाओ यहां से मधु अंदर आई बहुत रोई और आशीष उसे तंग कर रहा हैं वो सोच रही थीं कहा फंस गई मै ।शादी में भी वो आशीष को ही संभालती रही कोई देखने नहीं आया।रागिनी का रिसेप्शन जोर दर हुआ स्वागत सत्कार हुआ।पलकों पर बिठाया उसे यहां
मधु नौकरानी और रागिनी महारानी थी उसके मायके वाले जब मर्जी आते उनका स्वागत सत्कार होता उधर मधु को मां बाप से मिलने की भी मनाही थी।उधर एक दिन मधु की मां मिलने आई क्योंकि उसके पिता की तबियत ठीक नहीं थी। पहले तो गार्ड ने मना ही कर दिया पर वो गिड़गिड़ाई तो उसने इजाज़त मांगी अंदर बड़ी मिन्नत करके मधु दरवाजे पर आई ।
मां को देख उसकी रुलाई फुट गई।मां भी मधु की हालत देख घबरा गई थी सिर्फ हड्डियों का ढांचा रह गया था। इतनी सुंदर लड़की का क्या हाल हो गया था। मां माफी मांग रही थी बेटा हमने गलत किया तेरे साथ मां कुछ गलत नहीं हुआ जैसी मां बाप की आर्थिक स्थिति होती हैं वैसा ही बेटी का ससुराल में सम्मान होता है।
हमारी परिस्थिति कहा थी जो हम कही अच्छी जगह ब्याहते शुक्र है कि मेरे भाई बहनों का जीवन सुधर गया।बहुत मुश्किल है ये सब हा बेटा सबको बसाते बसाते तुम उजड़ गई तुम्हारे पिताजी की तबियत भी कुछ ठीक है।क्या हुआ मां उन्हें बस बीपी की शिकायत है ,हा बेटा शुगर बीपी सब हो गया है।ठीक हो जाएगा मां सब ठीक है बेटा चलती हूँ।
मधु अंदर आई तभी रागिनी चिल्लाती हुई आई कल तूने मेरे कमरे की सफाई की थी मेरी सोने की चेन कहां है मधु बोली मुझे नहीं पता ।रागिनी ने उसे एक थप्पड़ मार दिया।दूसरी तरफ से अलका आई बोली क्या हुआ मां इसमें मेरी चैन चुरा ली कल ये मेरे कमरे में आई थी।नहीं माजी मैने कुछ नहीं किया अलका ने भी उसे दो तीन थप्पड़ लगाए और बोली इस लिए तेरी मां यहां आई होगी इतना गंदा गंदा वो उसे बोली मधु को इतना बेइजत महसूस हुआ
नौकर चाकर के सामने वो पिट रही थी।वो कमरे मेंआ गई घर के सारे काम करवाए पर खाना देने से इनकार कर दिया। अलका बोली चोरों के लिए कोई खाना नहीं है यहां दफा हो जाओ यहां से कमरे में आई तो आज आशीष बहुत हाइपर था।उसने कांच का गिलास मधु के सिर और पेट पर मार दिया मधु के शरीर से खून बह रहा था। कोई मधु को देखने नहीं आया ज्यादा खून बह जाने के वजह से उसकी मौत हो गई।
शाम को जब चाय का समय हुआ तो अलका चिल्लाने लगी नौकरानी रानी बुलाने आई तो देखा कि मधु गिरी पड़ी है डॉक्टर को बुलाया गया उसने बताया ये तो मर गई और एक तरफ आशीष कांच का टूटा गिलास लिए बैठा था।फौरन ही उसका दाहसंस्कार कर दिया गया और घरवालों को खबर करवा दी कि वो कही चली गई है इसलिए अब हमारी सारी मदद बंद ।मधु के मां बाप फिर सड़क पर आ गए।
उधर अपनी पहुंच और रसूख के कारण आशीष को कोई सजा नहीं हुई पर अब उसको कमरे में बंद रखा जाता बाहर ना आने दिया जाता।सब हसी खुशी चल रहा था पर एक लड़की अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अमीरों की भेंट चढ़ गई ।पैसा नहीं हो आदमी के पास तो उसका कोई नहीं है।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी