अहंकार – खुशी

प्रिया एक पढ़ी लिखी लड़की थी जो आत्मविश्वासी थी ।एक बड़ी आईटी कंपनी में मैनेजर थी ।घर में मां आराधना और पापा मयंक थे।मयंक घर जमाई थे क्योंकि आराधना के पापा का बहुत बड़ा बिज़नेस था और आराधना उनकी इकलौती बेटी थी जो मयंक के साथ पढ़ती थी और वो मयंक को पसंद करती थी।

इसलिए इंटर्न शिप  के लिए उसने अपने पापा का रिकॉमडेशन दिया। मयंक की मेहनत देख कर आराधना के पापा रवि मल्होत्रा भी मयंक से बहुत इंप्रेस थे इसलिए वो आराधना के मयंक के रिश्ते पर तैयार हो गए।मयंक के माता पिता रजत और रजनी लखनऊ में रहते थे।

और एक छोटा भाई हेमंत जो बैंक की लिखित परीक्षा दे रहा था।रजत govt school में मैथअस के टीचर थे।मयंक और आराधना की शादी हो गई चार दिन आराधना लखनऊ रही और वापस दिल्ली आ गई।मयंक एक हफ्ते बाद आया मयंक ने आराधना से कहा कि मैं फ्लैट देखता हूं तब तक तुम अपने डैड के घर रहो फिर हम शिफ्ट हो जाएंगे।

रवि और आकृति बोले बेटा आराधना हमारी अकेली बेटी है तुम लोग यही रहो हम चारों साथ रहेंगे।फिर आगे सारा बिजनेस तुम दोनों ने ही तो संभलना है इसलिए तुम लोग यही रुको धीरे धीरे मयंक ने सारा बिजनेस संभाल लिया।उसके माता पिता एक दो बार आए पर उन्हें पता चल गया कि यहां उनका सम्मान नहीं है बेटा खुद ही घर जमाई है

इसलिए उन्होंने वहां जाना ही छोड़ दिया।मयंक ही साल में एक दो बार उनसे मिलने चला जाता।पिताजी तो उससे बात ही नहीं करते थे क्योंकि उन्हें अपनी इज्जत मिट्टी में मिला देने जैसा लगता था कि बेटा ससुराल में रहता है।आराधना ने दो साल बाद प्रिया को जन्म दिया।मयंक बहुत खुश था पर आराधना को मां बनने की कोई खुशी नहीं थी उसे लगता था

उसका फिगर खराब हो जाएगा।बेटी का नामकरण खुप धूम धाम से हुआ ।मयंक के इसरार पर उसका भाई मां और उसकी पत्नी आनंदी नामकरण में आए । फंक्शन बहुत अच्छा था शहर के बड़े बड़े लोग आए थे पर मयंक की मां और भाई साइड में ही थे।

मयंक ने ही उन्हें पूछा आराधना तो एक बार ही मिलकर चली गई।वो लोग प्रिया के लिए चैन,आराधना के लिए टॉप्स साड़ी,कपड़े सब लाए थे आराधना ने तो कुछ ध्यान दिया नहीं इसीलिए वो सब सामान मयंक को दे कर जाने लगे।मयंक ने उन्हें रात को ना जाने दिया एक होटल में अरेजमेंट किया।

इतना बड़ा घर होने पर भी मयंक अपने माता और भाई भाभी को रोक नहीं सका। प्रिया बड़ी होती गई पढ़ने में जाहिंन सब अच्छा पर अपनी मां की तरह वो भी अहंकारी जिद्दी और घमंडी हो गई जो आदमी को  आदमी ना समझती।वक्त बिता आराधना अपनी पार्टी और किटी में बिजी रहती।मयंक काम में सास ससुर अपने में इतने लोग होने पर भी घर में सन्नाटा रहता।

प्रिया के ऑफ़िस की कॉन्फ्रेंस थी बैंगलोर में वो वहां उसकी मुलाकात विवान से हुई नाम के अनुरूप ही विवान बहुत हैंडसम खुशमिजाज लड़का था।वहां मौजूद हर  लड़की का दिल उसकी तरफ धड़का होगा।एक्टिविटीज में प्रिया और विवान पार्टनर बने और कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन उन्होंने उन एक्टिविटीज को एंजॉय किया लंच करते हुए दोनो को पता चला दोनों ही दिल्ली में रहते है। प्रिया प्रोपर दिल्ली ग्रेटरकैलाश और विवान फरीदाबाद रहता है।

दोनो जहीन थे तो उनका ग्रुप फर्स्ट आया ।विवान के घर से बार बार कॉल्स आ रहे थे।मां ,पापा छोटी बहन और दादाजी। प्रिया ने आखिर पूछ लिया ये आपको इतने कॉल किसके आ रहे है समवन स्पेशल ।विवान बोला यस माई लाइफ लाइन ? Who your girlfriend? No my family my strength. अच्छा जी मेरे बेस्ट फ्रेंड मेरे दादू आदित्य सिंह शर्मा ,

मेरे पापा मोहन शर्मा मेरी मां गायत्री और मेरी छोटी सी चिड़िया मेरी बहन वैशाली ये मेरी दुनिया है।ओके आप की गर्लफ्रेंड भी होगी नहीं अभी तो कोई ऐसी मिली नहीं मुझे विवान बोला पर प्रिया इतनी सुंदर थी कि विवान भी उसकी तरफ आकर्षित हो गया था।वापस आकर भी दोनों मिलते एक साल डेट करने के बाद उन्होंने अपने परिवार में बात की पहली बार विवान के घर प्रिया गई ।विवान के घर वालो ने उसे सर आंखों पर बिठाया घर में प्यार का माहौल था सब हसी मजाक कर रहे थे।

प्रिया को अटपटा लगा क्योंकि उसके घर में तो सबका अपना स्पेस था।सब अपने में बिजी और यहां सब साथ है थोड़ी देर में प्रिया को इरीटेशन होने लगी।वो बोली अब मै चलती हूं पर पर विवान के दादा जी और मां ने उसे खाना खाए बिना आने नहीं दिया।खाने में भी खाना अच्छा था

उनके घर तो डाइट कॉन्शस रेसिपीज होती थी यहां तो गरिष्ठ पकवान थे।पर खाना लाजवाब था। प्रिया खाना खा कर निकल रही थी कि विवान की मम्मी ने उसे एक गिफ्ट बॉक्स दिया।बेटा ये तुम्हारे लिए विवान के पापा मम्मी उसे छोड़ने आए बाहर तक।

प्रिया अपने घर आई सिर्फ पापा ने पूछा लेट कैसे हो गई। प्रिया कुछ बोलती इससे पहले ही आराधना बोली प्लीज़ ये मिडिल क्लास बाते बंद करो उसकी मर्जी जब आए जब जाए। प्रिया अपने रूम में आ गई अगले दिन सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर प्रिया बोली मैने एक लड़का पसंद किया है और मैं उससे शादी करना चाहती हूं लड़के का नाम विवान है

वो भी मेरी तरह gm है अपनी कंपनी में फरीदाबाद रहता है घर में दादा मम्मी पापा और एक बहन है।तुम उसके साथ रहेगी उसके घर ।मॉम कुछ दिन otherwise इतना इंटरफेस तो मै बर्दाश्त नहीं कर सकती बस नेक्स्ट सैटरडे शाम को आप सब घर में रहना विवान की फैमिली आ रही हैं।

विवान के परिवार से मिलकर सबसे ज्यादा खुश मयंक हुआ उसे लगा बरसो बाद अपने परिवार से मिल रहा है।ऐसे ही तो होता था उसके घर शाम को पिताजी ट्यूशन पढ़ा कर आते बच्चों का मां का दिन कैसा गुजरा ।पढ़ाई में कोई दिक्कत तो नहीं सब खाना खाते फिर एक साथ  बाते करते सुबह की तैयारी कर सो जाते।

सुबह जल्दी उठा कर पापा प्रॉब्लम्स सॉल्व करवाते टिप्स बताते।कितना अच्छा समय था जब दादाजी गांव से आते तो मां पिताजी उनकी आव भगत में लग जाते कम था पर सब खुश थे। विवान का परिवार सबको पसंद आया और रिश्ता तय हो गया।सबके जाने पर आराधना बोली बाकी सब तो ठीक है पर इतना चेप परिवार बेबी तुम कैसे टॉलरेट करोगी।

मामा देखेंगे कौन रहता है साथ में शादी की तैयारी हुई बड़े धूम धाम से शादी हुई।मयंक ने अपने माता पिता और भाई भाभी को भी बुलाया एस usual किसी ने उनसे बात नहीं की पर विवान के दादा जी मयंक के पिता के साथ लगे रहे ।दादा दादी ने प्रिया को सोने का हार दिया और विवान को चैन और अंगूठी।

आराधना कोई और दिन होता तो बाहर फेंक देती पर आज उसकी कुछ ना चली।शादी हो गई प्रिया विदा हो कर ससुराल आ गई।रिसेप्शन में विवान के दादा जी के इसरार के कारण मयंक के माता पिता और भाई भाभी उनके यहां रिसेप्शन में गए।सब बढ़िया हो गया शादी रिसेप्सन एक महीने का यूरोप टूर सब होने पर दोनों ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया।

प्रिया सबसे लिए दिए अंदाज में रहती।एक दिन सैटरडे था प्रिया की छुट्टी थी और वो सो रही थी 11 बज गए थे।उस दिन विवान की बहन वैशाली विवान के कमरे में आई भाभी भाभी प्लीज़ उठे मेरा मेकअप करदे ।मुझे पार्टी में जाना है प्लीज़ । प्रिया चिल्लाई यू डोंट हैव मैनर्स तुम कमरे में घुसी चली आई मै तुम्हारा मेकअप करूं।मै तुम्हारी नौकर हूँ।

इडियट आवाज सुन कर विवान और उसकी मां गायत्री आए उन्होंने वैशाली को डाटा और बोला बाहर आओ ।विवान बोला क्या हुआ तुम चिल्लाई क्यों? प्रिया बोली तुम्हारे घर में प्राइवेसी है ही नहीं कोई भी कभी भी कही भी मुंह उठा कर आ जाता हैं।ये क्या तरीका है आज मेरा ऑफ है मै घर जा रही हूं और प्रिया किसी से बिना कुछ कहे अपनी मां के घर आ गई।

आराधना घर से बाहर निकल रही थी बोली क्या हुआ तुम अचानक बस मॉम i want to sleep वहां सोना जागना सब मुहाल है प्लीज़ मुझे डिस्टर्ब मत करना। प्रिया अपने रूम में जा कर सो गई शाम को वो उठी तो फोन में विवान की मिस कॉल्स थी और वैशाली का सॉरी मैसेज।उसने वैशाली को रिप्लाई नहीं किया।

पर विवान को कॉल कर बोली मै अभी नहीं आ रही पर मुझे तुमसे बात करनी है तो फिर एड्रेस भेज रही हूं उस रेस्तरां में आ जाओ।विवान के यहां सब संडे इवनिंग एक साथ स्पेंड करते थे पर विवान की शादी के बाद ये हुआ  ही नहीं आज भी प्लान था तो प्रिया गुस्सा हो कर मायके चली गई।

दादा जी ने कहा जा विवान बहु को मना उसे इन सब चीजों की आदत नहीं है।विवान रेस्तरां पहुंच गया प्रिया पहले से ही मौजूद थी ।

प्रिया बोली i don’t want to leave with your family. कोई प्राइवेसी नहीं है हर समय तुम्हारी मॉम इंटरफेस करती है बहन हर समय आगे पीछे लगी रहती हैं।तुम्हारे दादा जी रोज क्या किया क्यू किया ऐसा करती वैसा करती यार i am fed-up now।please तुम दूसरा अपार्टमेंट देखो।

सॉरी प्रिया मै अपनी फैमिली से अलग नहीं हूंगा।मैने तुम्हे पहले ही बताया था कि मेरी फैमिली मेरे लिए इंपोर्टेड है। सारी अगर मेरी फैमिली के साथ रह सकती हो तो वेलकम वर्ना।वरना क्या वरना मैं भी तुम्हारी उस हिप्पोक्रेट फैमिली के साथ नहीं रहना चाहती मै भी कमाती हूं मेरे नानू का घर इतना बड़ा है जहां प्राइवेसी है।

प्रिया वहां से अपने घर आ गई आकर वो गुस्से में थी मयंक। बोला प्रिया बेटा तुम जी पापा पर अभी मैं किसी से बात करने के मूड में नहीं हूं। प्रिया को तीन चार दिन हो गए किसी ने नहीं पूछा क्यों आई है सिर्फ आराधना और उसकी मां ही उसे कहती तू कोई सड़क छाप थोड़ी है मुझे तो वो फैमिली पहले ही समझ नहीं आई थी।

मां और नानी की बात सुन वो और अकड़ गई।मयंक ने समझाने की कोशिश की पर घमंड और अहंकार में प्रिया कुछ सुनना नहीं चाहती थी।समय बीता शुरू शुरू में ससुराल वाले फोन करते बात करने की कोशिश करते पर प्रिया अपनी अकड़ में जवाब नहीं देती। इसी तरह 6 महीने बीत गए एक दिन प्रिया ऑफिस से घर आई घर में कोई नहीं था

सिर्फ मयंक अकेले बैठा था प्रिया आई तो वो बोला कॉफी पियोगी। प्रिया बोली जी पापा प्रिया उदास बैठी थी क्या हुआ बेटा? इतनी उदास क्यों है कुछ नहीं पापा विवान की याद आ रही हैं।नो papa never और वो अपने रूम में आ गई।आज सच में उसे विवान की याद आ रही थी।

आज अपनी सहेली वंदना के घर गई थी वो उसका हसबैंड ललित प्यारी सी बेटी न्यारा इतना प्यारा परिवार था सास ससुर भी वंदना के नखरे उठा रहे थे कही प्रिया को अपने परिवार की याद आई।अगले दिन सुबह आराधना बोली बहुत हुआ अब हम डायवोर्स फाइल कर देते है क्यों ये झूठा रिश्ता निभा रही हो।

छोड़ दो उसे प्रिया बिना कुछ बोले ऑफिस चली गई वो ऑफिस में बैठी थी तभी प्यून आया मैडम आपसे कोई मिलने आया है वो रिसेप्सन पर आई तो देखा दादा जी है अपने आप ही उसके हाथ उनके पैरों पर चले गए उन्होंने आशीर्वाद दिया वो बोले बेटा मुझे तुम्हारा आधा घंटा मिल सकता है

वो बोली जी मै आती हूं प्रिया हॉफ डे लेकर दादा जी के साथ कॉफी शॉप में आ गई।दादा जी बोले बेटा क्या हुआ है बताओ मुझे मेरा विवान घुल रहा है हंसना बोलना सब छोड़ दिया है उसने तुम थी तो वो मुस्कुराता था तुम्हारे बिना वो अधूरा है तुम्हारे लॉयर ने डायवोर्स पेपर भेजे है जिसमें उस पर कई संगीन इल्जाम लगे हैं

क्या ये सब सच है।तुम तो एक दूसरे से प्यार करते थे तुम्हारे बिना वो टूट जाएगा। घर बचाना है तो अहंकार छोटा कर बहु वो घर तेरा है वहां रहने वाले भी तेरे अपने है।पता चले इस अहंकार में तुम खाक हो जाओ और हाथ में सिर्फ राख रहे।सोचना जरूर विवान को अभी इन पेपर्स के बारे में कुछ नहीं पता वो बैंगलोर गया है मैं चाहता हूं उसके आने से पहले तुम आ जाओ।

प्रिया को अपनी मां पर गुस्सा आया वो घर लौटी तो फोन की आवाज आ रही थी मां शायद किसी से बात कर रही थी।हा Mrs मेहता मैने उसकी ब्रेन वाशिंग की है डायवोर्स पेपर भेज दिए हैं ऐसे ऐसे इल्ज़ाम लगाए हैं कि वो खुद ही तलाक दे देगा।जैसे मैने मयंक को अपने इशारों पर नचाया वैसे ही मेरी बेटी भी करेगी यही रहेगी वो।

मयंक भी आ चुका था दोनो ने आराधना की बात सुनी प्रिया अपने कमरे में गई और अपना सामान समेटने लगी ।उधर मयंक ने भी सिर्फ अपने कपड़े रखे और वो भी निकल पड़ा। दोनो को बैग के साथ देख आराधना और उसके माता पिता हैरान थे बोले कहा जा रहे हो तुम लोग प्रिया बोली अपने घर आपने अपने मतलब के लिए मुझे उकसाया

मै विवान और उसके परिवार के साथ रहूंगी ।पागल हो क्या तुम बंधन में कैसे रहोगी ओह मॉम वो बंधन नहीं प्यार है मै जा रही हूं रुको कहा जा रही हो नहीं आराधना आज नहीं मै अपनी बेटी को खुद उसके ससुराल छोड़ कर आऊंगा।तुम चुप रहो आराधना मयंक पर चिल्लाई तुम चुप रहो फिर यहां कभी मत आना आराधना बोली।मयंक ने कहा मै खुद भी यहां नहीं आना

चाहता मै भी अपने परिवार के पास जा रहा हूं पहले प्रिया को उसके ससुराल छोड़ उसकी गलती के लिए मयंक ने माफी मांगी और प्रिया ने भी उस दिन उन लोगों ने मयंक को वही रोक लिया रात को विवान आने वाला था अच्छा सा डिनर बनाया गया घर की लाइट्स बंद कर दी गई डोर बेल बजी दरवाजा वैशाली ने खोला ।विवान बोला अंधेरा क्यों है

लाइट जलाओ लाइट लगते ही सामने प्रिया को देख विवान रो पड़ा और प्रिया भी दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया। प्रिया ने विवान से माफी मांगी और बोली मै मेरे अहंकार में सब बर्बाद करने चली थी पर तुम्हारे प्यार ने मुझे तुमसे दूर नहीं होने दिया।सबने मिल कर खाना खाया फिर मयंक विदा ले अपने माता पिता के पास चल दिया वहां भी सबने दिल खोल उसे अपनाया ।

प्रिया अपने घर में खुश थी और मयंक अपने प्रिया ने छह महीने बाद खुशखबरी दी घर वालो ने उसे सिर पर बिठा लिया।उधर मयंक भी खुश था आराधना बोली क्या झंझट पाल रही है। प्रिया की गोद भराई में दादा दादी ,चाचा चाची पापा सब आए आराधना और उसके माता पिता भी आए बेटी को खुश देख मयंक मुतमिन था।

आराधना मयंक से बोली तुम आओगे या नहीं मयंक बोला नहीं तुम आना चाहो तो तुम्हारा स्वागत है पर अब मै वहां नहीं आऊंगा जहां सिर्फ अहंकार ही अहंकार है। प्रिया खुश थी वो भी अपनी मां को बोली मां पापा के साथ रहो परिवार का प्यार सबसे बड़ी खुशी है।

आराधना अपने घमंड में वहां से चली गई। प्रिया और मयंक अपनी जिंदगी में बढ़ गए। प्रिया आज दो बच्चों की मां है अपने परिवार में खुश है।

मयंक मां पिताजी को तीर्थ यात्रा करवा रहा है।आराधना के माता पिता का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया वो अकेली है अहंकार के कारण ना पति ना बेटी  किसी से संबंध नहीं रखती।पर प्रिया ने अहंकार को त्याग सही समय पर अपना जीवन सुधार लिया।

अहंकार मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति हर लेता है आदमी सिर्फ अपने आपको सर्वोपरि और दूसरे को हीन समझता है।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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