अहंकार छोटा कर बहु – मधु वशिष्ठ

    घर बचाना है तो अहंकार छोटा कर बहु, माधवी जी मैं बड़ी बहू सुजाता को डांटते हुए बोला परंतु आज  सुजाता कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी। उसने भी अपनी पूरी आवाज बढ़ाते हुए कहा यह अहंकार नहीं आत्मसम्मान है। आज आप केवल रीना की आए दहेज के सामान के कारण ही उसकी हर गलतियों को दरकिनार कर रही हो, आपने जो करना है वह आपकी इच्छा है खूब करो परंतु मैं उसकी दहेज के दबाव में नहीं हूं ना ही मुझे उससे कुछ चाहिए, परंतु उसको बिना वजह ही खुश करने के लिए या कि उसको सम्मानित करने के लिए आप मुझे अपमानित नहीं कर सकती। आप चाहो तो मुझे अलग कर सकती हो और अगर घर से जाने के लिए भी कह रही हो तो भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सुजाता गुस्से में फट पड़ी और अपने कमरे में चली गई, माधवी जी ने गुस्से से अपने बेटे सुजाता के पति दिनेश की और देखा तो वह भी आग्नेय नेत्रों से माधवी जी को ही घर कर बिना कुछ कहे सुजाता के पीछे कमरे में चला गया।

     आइए आपको उनके परिवार से मिलाएं।माधवी जी के दो बेटे दिनेश और प्रकाश है। उनकी बेटी दिव्या का विवाह हो चुका है। लगभग छः साल पहले दिनेश का विवाह सुजाता के साथ हुआ था। माधवी जी ने सुजाता के माता-पिता को कहा था हमें दहेज की कोई इच्छा नहीं है बस लड़की सर्वगुण संपन्न चाहिए जो कि हमारे घर को जोड़कर रख सके। सुजाता ने विवाह के बाद घर में सबको प्रसन्न रखने की पूरी चेष्टा की। दिव्या को बहन से भी अधिक प्यार किया। दिव्या के विवाह के समय दिनेश और सुजाता ने अपनी सारी सेविंग खर्च कर ली थी। घर का सारा काम सुजाता ने विवाह के बाद अकेले ही संभाल लिया था ।सास ससुर की सेवा में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी थी। घर का प्रत्येक रीति रिवाज उसने शिद्दत से निभाया था। घर में क्योंकि सूट पहनने का रिवाज नहीं था इसलिए मन मार कर उसने अपनी आदत में ही साड़ी पहन कर कर रखना डाल लिया था। रसोई में क्योंकि बिना नहीं नहीं जा सकते थे इसलिए सुबह विवाह के बाद से ही 5:00 बजे उठकर नहाने की आदत भी डाल दी थी। ननद के विवाह की शुभ अवसर पर उसको चढ़ाए हुए गहनों में से भी एक सेट उसकी ननद को दे दिया गया परंतु फिर भी सुजाता ने कुछ नहीं कहा और अपनी अच्छी बहू  होने की फ़र्ज़ को निभाई चली गई। उसके बेटे बिट्टू के जन्म के सवा महीने बाद ही उसने घर का सारा काम फिर से संभाल लिया था। 

         अभी 8 महीने पहले ही प्रकाश का विवाह उसकी पसंद की लड़की रीना से हुआ। क्योंकि रीना अपने माता-पिता की इकलौती लाडली बेटी थी और उसका भाई कनाडा में रहता था। वह अपने साथ विवाह में गाड़ी के अतिरिक्त बहुत सारा इंपोर्टेड सामान और बढ़िया गाड़ी भी लाई थी। बस उसके आने के बाद घर में सबके रंग ढंग, रीति रिवाज सब बदल गए। अब घर में केवल साड़ी पहनना ही जरूरी ना था, सवेरे नहाने की भी कोई आवश्यकता महसूस नहीं हो रही थी। परंतु यह सब सुविधाएं केवल रीना के लिए ही थी। सुजाता से आज भी सब पहले की सी ही उम्मीद रखते थे कि घर का काम करने के साथ-साथ वह सारे रीति रिवाज भी निभाएगी। रीना के लिए तो सब हंस कर यही कह देते थे बेचारी को घर का काम करना नहीं आता फिर भी सीख रही है। यदि रीना किसी को कुछ भी उल्टा सीधा बोल भी देती थी तो भी बहन दिव्या और सास ससुर सहन कर लेते थे क्योंकि वह अपने घर से सबके लिए महंगे महंगे उपहार लाती थी। हालांकि उपहार तो वह सुजाता के लिए भी लाती थी परंतु सुजाता को उपहार से ज्यादा सम्मान की इच्छा थी जो कि उसे बिल्कुल नहीं मिल रहा था। 

        उस दिन बिट्टू की ज्यादा तबीयत खराब थी इसलिए सुजाता बिट्टू के साथ ही लेटी रही और खाना भी नहीं बना पाई। शाम को हमेशा के जैसे जब सासू मां और रीना अपने कमरे से सो कर बाहर निकले तब तक सुजाता ने शाम की चाय भी नहीं बनाई थी खाना तो बहुत दूर की बात है। हालांकि रीना सामने खड़ी थी परंतु सासू मां चिल्लाए जा रही थी और सुजाता को आवाज लगा रही थी। उन्होंने गुस्से में सुजाता से पूछा तुमने अभी तक चाय खाना कुछ भी नहीं बनाया, सुजाता के कहने पर कि मैं तो बड़ी बहू हूं आपके सामने छोटी बहू खड़ी है आप उसे क्यों नहीं कहती? मुझे अपने कमरे से बुलाया बिट्टू भी उठ गया। सासू मां ने रीना को कुछ भी कहने की बजाय सुजाता को ही डांटना शुरू कर कि अगर घर बचाना है तो अहंकार छोटा कर बहू। तुम घर की बड़ी हो, घर को जोड़ना तुम्हारी जिम्मेदारी है। मैंने अपनी जिम्मेदारी इतने साल तक निभाई है और पूरी तरह से निभाई है परंतु आपकी आंखों पर जो इसके पैसों का चश्मा चढ़ गया है उससे आपको मेरा कुछ करा हुआ दिख नहीं रहा अब कृपया करके मुझे अलग कर दीजिए और अपनी इस लाडली बहू के साथ ही रहिए, कहकर सुजाता अंदर चली गई। दिनेश को भी शायद सुजाता ने बिट्टू के कारण बुलाया था। दिनेश भी यह सब सुनकर बिना कुछ बोले कमरे में ही चला गया था शायद सुजाता की बात कि हमें अलग कर दो इसमें दिनेश की भी मौन स्वीकृति ही थी। 

     थोड़ी देर में बिट्टू को लेकर सुजाता और दिनेश डॉक्टर के जाने लगे और बाहर से बना बनाया खाना जोमैटो से आ चुका था। यह शायद दिनेश ने मंगवाया होगा। पाठकगण आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि उसके बाद माधुरी जी ने दोनों बेटों को ऊपर और नीचे अलग-अलग कर दिया  हालांकि माधवी जी अभी भी छोटी बहू के साथ है परंतु इतने गृह सहायकों के होने के बावजूद भी माधवी जी सविता के पास ही खाना खाना पसंद करती हैं।

मधु वशिष्ठ फरीदाबाद हरियाणा 

अपना अहंकार छोटा कर बहु विषय के अंतर्गत रचना।

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