बिल्कुल नही ….अमन! ये संभव नहीं।
ये शादी नहीं हो सकती, तुमने सोच भी कैसे लिया ,तुमने फैसला कर लिया,आगे बढ़ने से पहले हमें बताते तो सही..!
मां मैं आशना से प्यार करता हूं और प्यार क्या मैं आपसे पूछ कर करता ?
नही अमन। ये नही होगा,तुम्हें अपना फैसला बदलना होगा।
मां फैसला आपको बदलना होगा।
लेकिन आशना ही क्यों…साधना जी ने कहा।क्योंकि मैं आशना से प्यार करता हूं ..अमन ने कहा।
क्या आशना भी प्यार?? हैरान होकर साधना जी ने कहा।
हां मां…हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं।
अरे …उसे शर्म नही आई, निर्लज्ज।
ये सब करते हुए ,, तैश में साधना जी बोली।
मां प्लीज अपने शब्दों को संभालिए, हाथ जोड़ते हुए अमन ने कहा।
इस के लिए आशना को दोष मत दीजिए, मैने ही आशना के आगे पहले शादी का प्रस्ताव रखा था।
लेकिन आशना एक …कहते कहते साधना जी चुप हो गई।
मां… इसमें आशना का क्या कसूर?? अमन ने कहा।
शादी के सालभर में ही उसके पति का एक्सीडेंट में जाना …मां क्या ?इसलिए …अमन ने कहा।
हां अमन वह लड़की अपने जीवन साथी पर भारी थी, उसकी मनहूसियत का साया.. तभी उसका पति वरुण…
वाह मां.. इतना कसूरवार तो वरुण के माता पिता ने आशना को नही माना। वह उस अनहोनी के लिए अपनी मासूम बहू को दोष नही देते आशना को आज भी उन्होंने अपनी बेटी की तरह घर में रखा है और आप?
वाह मां आप और आपकी सोच।
अगर हादसे में वरुण नही रहा तो इसमें आशना का क्या कसूर?
क्या उसने चाहा था कि वरुण न रहे।
क्या मां कैसी बातें कर रही हैं आप।
पापा समझाइए न मां को, अमन ने शांत बैठे सत्येंद्र जी को कहा।
अमन सही कह रहा है साधना,सत्येंद्र जी बोले।
अमन ने मां का हाथ पकड़ते हुए कहा,मां बताइए क्या आशना को फिर से खुश होने का अधिकार नहीं?
क्या उसे दोबारा जीने का अधिकार नहीं ?
क्या सारी उम्र वह वरुण के वियोग में निकाल दे?
सत्येंद्र जी ने भी बेटे का पक्ष लेते हुए ,साधना जी को कहा ।
उस बच्ची का क्या कसूर साधना ये हादसा किसी के साथ भी हो सकता है।
वो बच्ची क्या सारी उम्र ऐसे ही बिताएगी?
जीवन में उसने क्या देखा?
आज नही तो कल खुद उसके माता पिता और वरुण के माता पिता उसकी शादी करेंगे ही।
देखो साधना ,,तुम इतनी समझदार हो, समाज सेवा में हमेशा अग्रणी रहती हो विशेषकर लड़कियों के लिए …आज बात बेटे पर आई तो…?
तुम खुद एक महिला हो और मां भी। फिर आशना के लिए इतनी कठोर क्यों?
और तुम खुद जानती हो आशना कितनी संस्कारी और सुशील है…सत्येंद्र जी बोले।
मुझे भी यही लगता है हमें अमन के लिए इससे बेहतर लड़की नही मिल सकती और उस पर खुद अमन भी उससे ही विवाह करना चाहता है। अगर तुम जोर जबरदस्ती करोगी भी तो क्या तुम अपने बेटे को खुश देख पाओगी। अमन कोई छोटा बच्चा नहीं अपना भला बुरा बहुत अच्छे से समझता है
मां आज मौका है,,एक नई पहल तो कीजिए । आप समाज में एक उदाहरण बनिए..अमन ने प्यार से मां को देखते हुए कहा।
साधना जी ने कुछ सोचते हुए सिर हिलाते हुए अमन के सर पर हाथ रख दिया… आप दोनों सही कह रहे हो आशना को भी जिंदगी नए सिरे से जीने का अधिकार है।
हम कल ही उसके माता पिता और सास ससुर से मिलने जाएंगे।
तुम आशना को फोन कर दो अमन,, साधना जी ने अमन से कहा।
अगले दिन साधना जी, सत्येंद्र जी और अमन आशना के घर गए।
जहां उन्होंने आशना के माता पिता और सास ससुर से अमन के लिए आशना को मांग लिया।
अमन जैसा संस्कारी दामाद और साधना जी और सत्येंद्र जी जैसे समधी पाकर दोनों परिवार धन्य हो गए।
साधना जी और सत्येंद्र जी ने दोनों बच्चों को आशीर्वाद दिया और उन्होंने आशना को गले लगाते हुए कहा,” जल्दी ही अब मेरे घर को… नही नही अपने घर को संभालो बेटा। साधना जी के इस तरह कहने पर सभी मुस्कुरा दिए।
पूनम भारद्वाज