short story with moral : रवि ने तीसरे सेमेस्टर में दाखिला ले लिया । उसके पहले सेमेस्टर का रिजल्ट बहुत बढ़िया आया था। सिमर का भी कॉलेज में दिल लगा । कुछ दिन तो रवि सिमर को सुबह कॉलेज छोड़ के आता और शाम को उसे वापस घर छोड़ कर आता । सुबह सुबह सिमर को कॉलेज छोड़ने के चक्कर में रवि का पहला पीरियड मिस हो जाता। उसने सिमर को यह बात बताई ।सिमर ने उसे कहा सुबह मैं अपने आप चली जाया करूंगी ।अब सुबह सिमर खुद लोकल बस पर बैठकर कॉलेज जाती। शाम को रवि का कॉलेज जल्दी ख़त्म हो जाता था ।
इसीलिए वह उसे कॉलेज से घर छोड़ कर आता। सिमर मामी जी के परिवार में पूरी तरह घुल मिल गई थी। वह मामी जी के साथ रसोई में काम करवाती और उनके दोनों छोटे बच्चों को पढ़ाती। मामी जी को सिमर बिल्कुल अपने बच्चों जैसी लगती । वह सिमर को बहुत प्यार करती । मामी जी के बच्चे भी सिमर के साथ खुश थे ।वह सिमर को सिमर दीदी कहते। अब सिमर की हर रोज रवि से भी मुलाक़ात हो जाती ।उसके पुराने कॉलेज वाले दिन वापस आ गए। रवि ने अपना दो हफ़्तों वाला रुटीन नहीं तोड़ा ।
लेकिन अब वह गांव में सिर्फ एक दिन रुकता। इससे पहले वो गाँव में दो रात रह कर आया करता था। इस तरह तीन महीने निकल गए । दशहरे की छुट्टियों में सिमर और रवि अपने अपने घर गए। सिमर ने अपनी मां और भाभी को मामी जी के बारे में बताया। वह सारा दिन मामी जी और उसके परिवार की ही बातें करती रहती। वह दोनों तीन दिन अपने घर रहकर वापस रोहतक आ गए। मामी जी ने सिमर को पहले ही कह दिया था । दिवाली की छुट्टियों में वो अपने घर नहीं जाएगी। हम सभी यही रोहतक रहकर ही दिवाली मनाएंगे।
पर रवि ने दिवाली को गाँव जाना था। दिवाली के मौके पर चार छुट्टियां होने वाली थी । रवि छुट्टियों का फ़ायदा उठाना जाता था । वह अपने गांव आया उसने कपास की चुगाई का काम देखा ।और हाड़ी की फसल के लिए बीज और खाद का प्रबंध किया। उधर सिमर ने दिवाली मामी जी के परिवार के साथ ही मनाई । मामी जी ने सिमर को भी अपने बच्चों की तरह नया सूट ले कर दिया। सिमर बहुत खुश थी पर उसे रवि की कमी जरूर महसूस हुई। दिवाली के बाद फिर वही रूटीन शुरू हो गई ।एक दिन जब रवि सिमर को छोड़ने मामी जी के घर आया । तो मम्मी जी ने रवि को अन्दर बुला लिया “कल पोस्टमैन आया था हमारे घर । वह कहता वो लड़का चला गया जिसके खत आते थे ।अब कभी खत नहीं आया उसका”
मामी जी ने रवि से कहा
“फिर आपने क्या जवाब दिया मामीजी” “मैंने कहा उसको ख़त लिखने वाली अब यहीं आ गई” रवि के पसीने छूटने लगे मामी जी को पता लग गया था कि सिमर वही लड़की है जो उसे ख़त लिखती थीं ।
“इधर आओ मेरी बात सुनो”
“हा जी “
“लड़की बहुत सुन्दर है और बहुत ही अच्छी है ।नसीब वाला है जो तुझे ऐसी लड़की मिली है । इससे शादी कर लेना धोखा मत दे देना”
मामी जी ने रवि को समझाया ।
रवि शर्म से धरती की तरफ देख रहा था ।
रणबीर का रवि के कमरे में आना और रवि का रणबीर के घर जाना जारी था। रवि कई बार बड़े भाई महावीर सिंह को भी मिल आता था। महावीर सिंह भी उसे अपने छोटे भाई की तरह प्यार करता ।बलदेव और उसके दूसरे साथियों ने सिमर की सिर्फ फोटो ही देखी थी । कभी उसे देखा नहीं था । पर फिर भी सारे प्रेमनगर में सिमर भाभी सिमर भाभी हो रही थी । सिमर की बीएड की क्लास का वह लेवल नहीं था। जो उसके कॉलेज की क्लास का हुआ करता था ।उसकी क्लास की लड़कियां ठीक ठाक ही थी पढ़ाई में। सिमर सबसे होशियार लड़की थी अपनी क्लास की । सभी अध्यापक उसे सत्कार की नज़र से देखते।
सिमर को यह माहौल बहुत अच्छा लगा। क्लास का भी और घर का भी। उसने फिर रवि को याद किया यह सब उसी के कारण हुआ था । मामी जी के रिश्तेदारी में किसी की शादी थी । सारे परिवार ने तीन दिन के लिए शादी में जाना था ।वह सिमर को भी अपने साथ ले जाना चाहते थे । मगर सिमर के प्रैक्टिकल थे इसीलिए वो नहीं जा सकती थी। उसका कालेज जाना जरुरी था।मामी जी को इस बात की चिंता सताए जा रही थी के सिमर तीन दिन अकेली कैसे रहेगी। मामी जी को रवि का ख्याल आया ।
मामी जी ने रवि को कहा दिन में कोई जरुरत नहीं तुम रात को इस बैठक में सो जाना । सिमर तो ऊपर वाले कमरे में सोते ही है ।रवि ने हां कर दी ।मामी जी ने सिमर से बात की उसे भी इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था। मामी जी का परिवार शादी में चला गया। सिमर सुबह ताला लगाकर कालेज चली गई ।दोपहर में रवि ने घर आकर देख लिया। शाम को रवि सिमर को लेकर सीधा मामी जी के घर आ गया ।उसे रात वहीं रुकना था । सिमर ने खाना बनाया और दोनों ने बैठ कर खा लिया । लरवि ने दीवान पर अपनी रजाई रखी और वहीं बैठकर पड़ने लगा।
सिमर भी अपनी किताबें वहीं ले आई । रवि अपनी रजाई में बैठकर पढ़ रहा था और सिमर सोफे पर बैठकर। जब सिमर को थोड़ी ठंड महसूस हुई तो उसने ने अपने दोनों पैर रवि की रजाई में रख लिए । वह काफी देर पढ़ते रहें और बातें भी करते रहे अचानक सिमर को ऐसा महसूस हुआ जैसे रवि ने जानबूझकर अपने पैर सिमर के पैर के साथ छुआए । उसको यह हरकत कुछ अजीब लगी । उसने रवि की तरफ देखा वो भी उसी की तरफ देख रहा था । वह उठकर खड़ी हो गई।
“नहीं यह शादी से पहले नहीं हो सकता” वह दौड़कर अपने ऊपर वाले कमरे में चली गई। उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। जब तक रवि को यह बात समझ आती तब तक सिमर वहां से जा चुकी थी। उसे बहुत दुख हुआ कि सिमर ने उसे गलत समझ लिया ।वह उसके पीछे ऊपर वाले कमरे में गया । उसने सिमर का दरवाजा खटखटाया वह उसे समझाना चाहता था ।
“नहीं दरवाजा अब सुबह ही खुलेगा” सिमर अंदर से बोली ।रवि ने और दरवाजा नहीं खड़काया ।लेकिन उसे इस बात की बहुत ज्यादा टेंशन हुई। उसने कॉपी के पेज पर सिमर के नाम खत लिखा । उसने सिमर को कहा सिमर तुम्हें कुछ गलतफहमी हुई है हमारा रिश्ता एकदम पवित्र है। अगर फिर भी तुम्हें कोई गलतफहमी हुई तो मैं तुमसे माफी मांगता हूं ।जब तक तू मुझे माफ नहीं करती मैं यहीं सीढ़ियों पर बैठा रहूंगा। उसने यह ख़त दरवाजे के नीचे से सिमर के कमरे में फेंक दिया। सिमर ने उस कागज को नहीं देखा और वह चुपचाप सो गई ।
रवि सारी रात वहीं सीढ़ियों में ही बैठा रहा। दिसम्बर का महीना था बाहर बहुत ज्यादा ठंड थी । सुबह 7 बजे उठकर जब सिमर ने वो ख़त देखा वह कमरे से बाहर निकली । रवि को सीढ़ियों में पड़ा देकर उसके होश उड़ गए। रवि बेहोश पड़ा हुआ था । जब उसने उसको छुआ तो वह तंदूर की तरह तप रहा था। उसको बहुत तेज बुखार था ।सिमर ने उसे सहारा देकर उसके बिस्तर पर लिटाया ।
ठंडे पानी की पट्टियां उसके माथे पर रखीें ।उसने बुखार की गोली जो घर में पड़ी थी उसको दे दी।मगर रवि का बुखार कम नहीं हो रहा था। उसको बहुत ज्यादा घबराहट हो गई। अभी सुबह डाक्टर की दुकान भी खुली नहीं होगी ।अब वो करे तो क्या करें। उसको रवि के दोस्तों की याद आई। उसको पता नहीं पता था कि रवि कहां रहता है। बस उसे यह पता था कि वो प्रेमनगर में रहता है । पर प्रेमनगर में कहा ये भी उसे नहीं पता था ।रवि ने किसी कंटीन वाले शर्मा का ज़िक्र किया था कई बार। इसीलिए सिमर ने रिक्शा लिया और प्रेमनगर के लिए चल पड़ी।
प्रेमनगर में जाकर उसने रिक्शे वाले से कहा शर्मा जी की कंटीन के बारे में पूछो ।वह जल्दी ही शर्मा जी की कंटीन पर पहुंच गए। सिमर ने शर्मा जी से रवि के कमरे के बारे में पूछा।शर्मा जी ने उसे इशारे से घर बता दिया । सिमर दौड़कर उस कमरे में चली गई ।उसने जोर जोर से दरवाजा खटखटाया । बलदेव ने दरवाजा खोला उसे देखते ही बलदेव के मुंह से निकला सिमर भाभी और सिमर ने कहा बलदेव। “हां जी” बलदेव ने कहा ।सिमर ने रवि की हालत के बारे में उसे बताया।बलदेव ने अपना साईकिल उठाया सिमर को पीछे बिठाकर वह सीधा रवि के पास आ गया।
रवि को अभी भी बहुत तेज बुखार था। बलदेव भागकर डाक्टर को ढूंढने गया ।थोड़ी देर बाद उसे डाक्टरों के घर के बारे में पता चला । वह डाक्टर को लेकर सीधा रवि के पास आ गया । डाक्टर ने रवि को देखकर कहा कि ठंड के कारण इसे नमोनिया हो गया है उसने उसके दो इंजेक्शन लगाए और कुछ खाने के लिए दवाई लिख दी ।बलदेव दवाई की दुकान से दवाई ले आया ।उसने आकर रवि को दवाई दी ।अब रवि को भी होश आ गया था ।उसका बुखार भी कम हो गया था ।उसने सिमर को कहा कि
तुम कालेज जाओ बलदेव मेरे पास है। मैं तुम्हें शाम को लेने आ जाऊंगा”
“नहीं नहीं तुम मत आना मैं अपने आप आ जाऊंगी”। सिमर कालेज चली गई और बलदेव रवि के पास रहा। वह बाजार से दूध और ब्रैड ले आया उसने दूध गर्म करके उसमें ब्रैड डालकर रवि को खिलाई । रवि को अभी भी बुखार था ।शाम को सिमर भी वापस आ गई। शाम तक रवि काफी ठीक हो गया था। सिमर ने खाना बनाया और उन तीनों ने खा लिया ।बलदेव रवि के पास ही बैठक में सो गया।
और सिमर अपने ऊपर वाले कमरे में सोई। सिमर ने रवि से कई बार अपनी गलती की माफी मांगी । अगले दिन बलदेव और सिमर अपने अपने कालेज चले गए ।मगर रवि घर ही रहा ।शाम को सिमर कालेज से वापस आई मगर मामी जी अभी नहीं आए थे । रवि उनका इंतजार करता रहा। मामी जी और उसका परिवार रात को काफी लेट घर आया। उनके आते ही रवि अपने कमरे में जाने लगा मामी जी ने उसे रुकने को कहा लेकिन वह नहीं रुका वह अपने कमरे में जाकर सो गया।मामी जी ने सिमर से पूछा सब ठीक था ना । सिमर ने हां में सिर हिलाया पर उसने मामी जी को रवि के बीमार होने वाली बात नहीं बताई ।
कहानी का बाक़ी हिस्सा अगले भाग मे
अधूरी प्रेम कहानी (भाग 10) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral
– लखविंदर सिंह संधू