अधूरी प्रेम कहानी (भाग 8) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral :  सिमर का पत्र पढ़कर रवि को खुशी हुई के सिमर के भाई ने उसे रोहतक पढ़ने की अनुमति दे दी । अब उसे सिमर की एडमिशन की चिंता हो गई। उसने रणबीर से बात किए बिना ही सिमर की एडमिशन का प्रोग्राम बना लिया था । इसी चिंता में वह रणबीर को मिलने के लिए रणबीर के ऑफिस चला गया । उसको इस तरह अपने ऑफिस में देखकर रणबीर भी घबरा गया। रवि ने रणबीर को सिमर के बारे में सब कुछ बता दिया। “अब सब कुछ तेरे हाथ में है भाई” रवि ने रणबीर से कहा

“अरे तू महावीर सिंह का छोटा भाई सेेे  काहे चिंता करें  “।

“भाई उसकी एडमिशन तो हो जाएगी ना यार”

“तू के बात कर रहा है छोरे वह अपना कॉलेज से “

“तू भाई से बात कर ना”रवि ने रणबीर से कहा

“अरे यह तेरा काम तो तेरा दोस्त कर देगा भाई को बुलाने की क्या जरूरत  से । पर मारी एक शर्त से ” रणबीर ने  रवि से कहां

“क्या शर्त है यार” रवि थोड़ा घबरा गया।  “शर्त जो है भाई एडमिशन तो मैं करवा दूंगा पर फीस को नहीं लेनी” रवि के सांस में सांस आई । रणबीर ने उसको कहा मई के पहले हफ्ते में  सर्टिफिकेट और उसकी दो फोटो मुझे दे देना बाकी काम मैं कर दूंगा। उसे इंटरव्यू पर आने की भी जरूरत नहीं  । रवि के दूसरे सेमेस्टर के पेपर मई में थे। कॉलेज में पढ़ाई बंद हो गई इसलिए वह 20 दिन के लिए गांव आ गया ।उसने गेहूं की फसल संभाली कपास की फसल की बुवाई करवाई।एक दिन वह सिमर से मिलने गया।उससे उसके सर्टिफिकेट और फोटो ले आया। रवि ने काम के साथ-साथ पढ़ाई भी की । वह पेपर देने के लिए वापस रोहतक आ गया । एडमिशन की चिंता तो खत्म हो गई थी अब सिमर रहेगी कहां यह चिंता हो गई। उसने अपने साथी बलदेव से इस बारे में चर्चा की। बलदेव ने उसे मशवरा दिया “मैं किसी और लड़के के साथ रहने लग जाऊंगा तू उसे अपने साथ इस कमरे में रख लेना”। पर रवि ने उसका यह मशवरा नकार दिया उसने बलदेव को समझाया इससे हमारी बदनामी होगी ।  किसी ने भी पंजाब के लड़कों को कमरा किराए पर नहीं देना । बलदेव ने कहा “यार मैंने तो यह सोचा भी नहीं”

” पर वह फिर रहेगी कहां हॉस्टल तो वहां है नहीं अकेली को किसी ने कमरा भी कराए पर नहीं देना” बलदेव ने कई सवाल खड़े कर दिए। रवि के दिमाग में एक जगह थी यहां पर सिमर रह सकती थी । वह जगह थी मामा जी का घर। रवि अगले दिन मामी जी से मिलने के बहाने उनके घर चला गया। रवि ने धीरे धीरे मामी जी को सिमर के बारे में बतलाया वह लड़की मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी । उसके पिता की मौत हो गई। नौकरी की सख्त जरूरत है।स्कूल वाले बिना B.Ed के नौकरी नहीं देते इसलिए उसको B.Ed करना जरूरी है । पंजाब में उसकी एडमिशन नहीं हो सकती। इसलिए मैंने महावीर सिंह जी के कॉलेज में एडमिशन की बात की है । एडमिशन तो हो जाएगी पर मामी जी एक मुश्किल है।  “क्या मुश्किल है फीस के लिए पैसे नहीं है” मामी जी ने कहा ।

“नहीं जी पैसों की कोई मुश्किल नहीं है”

फिर क्या बात है साफ-साफ क्यों नहीं कहता”

” मामी जी वह एक साल कहां रहेगी चिंता इस बात की है “

“अरे बेवकूफ बस इतनी सी बात थी ” “हां जी”

“यह तेरे मामा का घर नहीं है क्या” “अगर तुम उसके लिए इतना कर सकता है तो हम नहीं कर सकते”

“ऊपर वाले कमरे में रह लेगी वह साल”

मामी जी ने कहा

“मामी जी मैं किराए और खाने के पैसे दे दूंगा”  

“थप्पड़ मारूंगी एक पैसे देगा यह मुझे”

“तूने हमारा इतना बड़ा काम करवाया पैसे लिए थे क्या”।

“तू यह बता वह कब आ रही है” मामी जी ने कहा ।

अगले दिन रणबीर रवि के कमरे में सिमर के सर्टिफिकेट और फोटो लेने आ गया। फार्म पर रवि ने ही सिमर के साइन कर दिए और उसकी फोटो लगा दी ।सिमर की फोटो देखकर  रणबीर ने बलदेव से कहा “हमारी भाभी तो गनी सुंदर सेै भाई ” ।

बलदेव ने हां में सिर हिलाया ।

“तुम अब एडमिशन की चिंता छोड़ो और अपने पेपरों की ओर ध्यान दो । जो काम तु मारे पर छोड़” रणवीर सिंह रवि को चिंता मुक्त कर चला गया। रवि के पेपर खत्म हो गए वे गांव जाने से पहले रणवीर से मिलने गया। रणबीर ने उसे कहा जुलाई के पहले हफ्ते B.Ed की क्लास शुरु हो जाएंगी।  तुम सिमर को लेकर आ जाना। सिमर की एडमिशन और रहने का प्रबंध करके रवि गांव वापस आ गया । रवि सिमर से मिलने गया । सिमर के स्कूल में छुट्टियां चल रही थी। इसलिए वह पार्क में मिले। रवि ने सिमर को मामी जी और उसके बच्चों के बारे में बताया । यह भी कहा के मामी जी का स्वभाव बहुत अच्छा है।

“मैं तेरे एहसान कैसे उतारूगी ” सिमर ने रवि से कहा ।उसकी यह बात सुनकर रवि को गुस्सा आया

“मैं तेरे पर कोई एहसान नहीं कर रहा। मैं तुम्हारा दोस्त हूं यार। मैं तुम्हारी मदद नहीं कर रहा हूं तुम्हारा साथ दे रहा हूं। दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता”   “तुम मेरे दोस्त ही हो बस” सिमर ने रो कर पूछा ।

“नई सिमर मैं तेरे बिना अधूरा हूं” रवि ने भावुक होकर कहा । वे दोनों काफी देर वही बैठे रहे।

“5 जुलाई को जाना है रोहतक सुबह 9:00 बजे की गाड़ी से” रवि ने चुप्पी तोड़ी।

“तुम 8:30 बजे तक स्टेशन पर पहुंच जाना ।मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा”

सिमर ने हां में सिर हिलाया । सिमर अपने घर वापस चली गई और रवि गांव वापस आ गया । सिमर ने रोहतक जाने के लिए अपने घरवालों को बताया। रोहतक जाने के लिए अभी 20 दिन बाकी थे । सिमर की भाभी ने आपने ट्रंक से एक सूट निकाल कर दिया। और बोली इसे सिलवा ले वहां तुझे सूटों की जरूरत पड़ेगी। सिमर भाभी के गले लग गई और दोनों फूट-फूट कर रोने लगी ।

देखते-देखते जाने का समय पास आ गया। सिमर ने एक दिन पहले ही अपना कपड़ों का बैग तैयार कर लिया था। वह समय से 10 मिनट पहले ही स्टेशन पर पहुंच गई । पर वहां पहुंचकर उसकी हरानगी की हद ना रही जब उसने रवि को पहले से ही इंतजार करते देखा । रवि ने टिकट ले ली थी। वह प्लेटफार्म पर पहुंचे और गाड़ी में बैठ गए । सिमर जिंदगी में पहली बार  ट्रेन का सफर कर रही थी। और वह भी इतनी दूर उनका सफर 8 घंटे का था। वह गाड़ी में बैठते ही अपने कॉलेज  की बातें याद करने लगे । सबसे पहले उन्होंने रवि की मां द्वारा बनाए आलू के पराठे खाए ।

वे फिर बातें करने लग गए । फिर दोपहर को उन्होंने सिमर की भाभी द्वारा बनाया खाना खाया। वह देर शाम तक रोहतक पहुंच गए। रेलवे स्टेशन से वे सीधे मामा जी के घर गए। मामा जी के पूरे परिवार ने उनका जोरदार स्वागत किया। रात को रवि अपने कमरे में जाना चाहता था । मगर मामी जी ने मना कर दिया । वह भी आज रात मामा जी के घर ही रुक गया। अगले दिन रवि सबसे पहले रणबीर से मिलने गया । रणवीर ने उसको बताया कि सिमर की क्लास कल से शुरू हो गई। रवि ने उसको बताया सिमर आ गई कल से कॉलेज आएगी ।

अगले दिन मामी जी ने नाश्ता बना दिया ।सिमर ने नाश्ता करने के बाद कॉलेज जाने की तैयारी की। जैसे ही सिमर कॉलेज जाने लगी तो मामी जी ने एक चम्मच दही का खिलाया। यह शुभ होता है । मामी जी का प्यार देखकर सिमर की आंखें भर आई। रवि सिमर के साथ था। वे उसे कॉलेज तक छोड़ने गया ।फिर वे अपने कॉलेज गया। और जैसे ही सिमर की क्लास खत्म हुई वे उसे लेने आ गया । उसने सिमर को मामी जी के घर छोड़ा और खुद अपने कमरे में चला गया।

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 9) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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