अधूरी प्रेम कहानी (भाग 7) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral : जनवरी के महीने में रवि की दूसरे सेमेस्टर की एडमिशन थी। इस बार सभी लड़कों ने हॉस्टल छोड़ दिया । मैस का खाना उन्हें पसंद नहीं था। उन्होंने बाहर प्रेम नगर कॉलोनी में 3 मकान किराए पर ले लिए । एक कमरे में  दो दो  लड़के रहने लगे । खाना वो एक ही जगह बनवाते थे ।काम के लिए उन्होंने 2 खाना बनाने वाली रख ली थी ।

बाकी समान वह बारी बारी गांव से ले आते। यह सारा काम रवि के कहने पर हुआ था।सभी लड़के रवि को संधू भाई जी कहकर बुलाते थे। वह उनका रिंग लीडर था । उधर सिमर की मां की एक सहेली ने जो पास वाले स्कूल में काम करती थी ने सिमर को स्कूल में पढ़ाने की सलाह दी । क्योंकि स्कूल की एक टीचर छुट्टी पर चल रही थी। सिमर ने हां कर दी।उसने प्रिंसिपल से कहकर सिमर को स्कूल में टीचर की नौकरी दिलवा दी। सिमर को महीने के 200 रुपए मिलने थे । उसको यह बढ़िया लगा उसने रवि को खत लिखकर सारी बात बता दी ।

जब दो हफ्तों के बाद रवि अपने गांव आया वह सिमर से मिलने गया। सिमर स्कूल में बहुत खुश थी । उसे खुश देख कर रवि भी बहुत खुश हुआ । रवि वापस अपने  कॉलेज आ गया । एक नई पिक्चर रिलीज हुई थी “एक दूजे के लिए”। रवि और बलदेव देर रात वाला शो देखने गए । यह पिक्चर सबसे दूर वाले हॉल में लगी थी इसलिए वे साइकिल पर गए । भैरो सिंह की पिटाई वाली घटना के बाद वह जब भी बाहर जाते स्टिक अपने साथ लेकर जाते थे । पिक्चर काफी रात को खत्म हुई सभी लोग सो रहे थे । बाजार एकदम सुना था ।

एक जगह उन्हें बहुत शोर सुनाई दिया । जब वहां पहुंचे तो चार लड़के एक जीप वाले लड़के की पिटाई कर रहे थे । जब उन चार लड़कों ने रवि और बलदेव को अपनी तरफ आते देखा। तो एक लड़के ने चाकू निकालकर जीप वाले लड़के के पेट में चार पांच बार घुसा दिया । वह लड़का धरती पर गिर गया । और वह चारों लड़के भाग गए ।जैसे ही रवि और बलदेव वहां पहुंचे वह लड़का अभी होश में था । उसने अपना नाम रणवीर बताया । रवि ने अपनी पगड़ी उतार कर उसके पेट पर जोर से बांधी इससे उसका खून निकलना कुछ कम हुआ ।

उस लड़के ने रवि से कहा मुझे चौधरी हॉस्पिटल ले चलो। रवि और बलदेव ने  उसे उठाकर जीप में बैठाया  और चौधरी हॉस्पिटल की ओर चल पड़े। चौधरी हॉस्पिटल पास ही था। हॉस्पिटल काफी छोटा था मगर इमरजेंसी के प्रबंध थे । हॉस्पिटल का मालिक डॉ चौधरी रणवीर का रिश्तेदार था । रणवीर का उपचार तुरंत शुरू हो गया। उसका बहुत खून निकल गया था।

इसलिए उसको खून की जरूरत थी। डॉक्टर ने रवि से ब्लड बैंक से खून लाने को कहा। डॉक्टर ने ब्लड बैंक में फोन कर दिया था । रवि बिना पगड़ी बांधे रणबीर की जीप लेकर खून लेने चला गया। जब तक रवि खून लेकर वापस आया तब तक डॉक्टर ने फोन करके रणबीर के भाई को बुला लिया था । रणवीर का बड़ा भाई  शहर का माना हुआ बिजनेसमैन और पॉलिटिकल पार्टी का नेता महावीर सिंह था ।

जैसे ही महावीर सिंह को सारी बात पता चली । उसने रवि को अपने कैलावे मैं ले लिया “छोरे तने मेरे छोटे भाई की भी जान बचा कर मेरे और मेरे परिवार के ऊपर बहुत बड़ा उपकार किया है” महावीर सिंह ने रवि कोे उसके बारे में पूछा। रवि ने उसे अपने कॉलेज का नाम बताया ।

“अरे छोरे तू तो मारे हीे कॉलेज में पड़े  से”  महावीर सिंह हैरान होकर कहां

“वहां हॉस्टल में रहे क्या”

“नहीं जी हम प्रेम नगर में रहते हैं”  रवि ने कहा।सवेर हो गई थी रणबीर अब खतरे से बाहर था। महावीर सिंह का ड्राइवर रवि और बलदेव को उसके कमरे तक छोड़ आया था। रवि को इस बात की खुशी थी के उसकी वजह से किसी की जान बच गई । उसने खत लिख कर सारी बात सिमर को बताई। शाम को वह फिर रणवीर का हाल पूछने हॉस्पिटल चला गया । रणवीर के कमरे में उसकी मां और भाभी बैठी थी।

रवि को देखते ही रणबीर बोला “मां यह छोरा जिसने तेरे बेटे की की जान बचाई ।रणबीर की मां ने रवि को प्यार किया । रवि के बयान लेने के लिए  पुलिस वालों ने रवि को थाने बुलाया क्योंकि रवि उस घटना का चश्मदीन  था। जब तक रणवीर को हॉस्पिटल से  छुट्टी नहीं मिली । तब तक रवि हर रोज उसका हाल पूछने हॉस्पिटल आता रहा। रवि और रणवीर अच्छे दोस्त बन गए थे।

रणबीर रवि से उम्र में तीन-चार साल बड़ा था । रणबीर अपने भाई महावीर सिंह के बिजनेस मैं उसका हाथ बटाता था । महावीर सिंह के कई कॉलेज थे ।रवि के कॉलेज के साथ-साथ B.Ed कॉलेज,आयुर्वेदिक कॉलेज भी उसका था। वह शराब का  बड़ा ठेकेदार था और एक पॉलीटिकल पार्टी का जिला प्रधान था। अब रणबीर कई बार रवि के कमरे में उसे मिलने चला जाता था।

रवि भी कई बार रणबीर के महल जैसे बड़े घर में हो कर आया था। रणबीर का सारा परिवार रवि को बहुत प्यार करता था । उधर दूसरी ओर सिमर को अपना स्कूल बहुत पसंद था ।वह बच्चों के साथ घुल मिल गई थी। उसकी उदासी भी कम हो गई थी। वह हर रोज स्कूल के बारे में रवि को खत लिखती। रवि मामी जी को मिलने के बहाने उनके घर जाता और सिमर के खत भी ले आता। एक दिन जब वह उनके घर गया। मामा जी भी घर में ही थे । वह बहुत उदास थे । रवि ने जब कारण पूछा तो मामी जी ने बताया   

” तेरे मामा की फैक्ट्री के लाइसेंस की अवधि खत्म हो गई। लेकिन वह उसे    र न्यू नहीं कर रहे । बोल रहे हैं आप शर्तें पूरी नहीं करते हैं । हमें तो कोई बड़ा नेता नहीं जानता जिससे कलहवा ले। “आपका काम महावीर सिंह करवा सकता है क्या” रवि ने कहा महावीर सिंह का नाम सुनते ही मामा जी उठ खड़े हुए ।

“वही तो करवा सकता है। पर तू जानता है उसे”

“आप चलिए मेरे साथ”  रवि ने मामा जी को कहा।रवि मामा जी को लेकर महावीर सिंह के घर पहुंच गया।

महावीर सिंह घर में ही थे। बाहर के कमरे में बहुत लोग बैठे थे ।जिन्होंने महावीर सिंह से मिलना था। रवि और मामा जी भी वही बैठ गए ।

इतनी देर में रणवीर आ गया रवि को देखकर वह बोला “तू यहां क्यों बैठा है भीतर क्यों नहीं आया तेरा अपना घर से यार ” रवि ने रणबीर को मामा जी की समस्या के बारे में बताया । रणबीर रवि और मामा जी को लेकर महावीर सिंह के पास चला गया । रवि ने जाते ही महावीर सिंह के पांव छू लिया । पर महावीर सिंह ने उसे अपनी छाती से लगाया “अरे छोरे तेरी जगह हमारे दिल में है बता कैसे आना हुआ सुबह-सुबह” रवि ने महावीर सिंह को मामा जी की समस्या के बारे में बताएं । महावीर सिंह ने उस अफसर को फोन कर दिया।

मामा जी का काम हो गया। मामा जी रवि पर बहुत हैरान हुए इस लड़के ने इतने कम समय में बड़े आदमी से कैसे इतनी दोस्ती कर ली। यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को भी बताई । रवि दो हफ्तों बाद जब गांव आया । तो वह सिमर से मिलने गया। सिमर ने उसे बताया “अगर मैंने B.Ed की होती तो मुझे 800 रुपए मिलने थे स्कूल से ”  रवि ने उसे कहा “तू B.Ed क्यों नहीं  कर लेती “

कैसे करूं पहली बात तो यह है कि मुझे एडमिशन नहीं मिलेगा ।अगर एडमिशन मिल भी गया तो मेरी फीस और हॉस्टल का खर्चा कौन देगा “। हॉस्टल के खर्चे के लिए तो रवि था मगर उसकी एडमिशन की प्रॉब्लम थी। रवि के दिमाग में आया क्यों ना सिमर को महावीर सिंह के कॉलेज से B.Ed करवाई जाए । यह बात सुनकर एक बार तो सिमर बहुत खुश हुई । मगर अगले ही पल वह उदास हो गई । उसने रवि से कहा “मेरे घरवाले मुझे पढ़ने के लिए रोहतक नहीं भेजेंगे”

रवि को भी सिमर यह बात सच्ची लगी। उसने दिमाग में एक आइडिया आया।  रवि ने सिमर से कहा “तू अपने घर वालों को बता के स्कूल वाले मुझे रोहतक से B.Ed करवा रहे हैं । B.Ed करवाने के बाद मेरी तनख्वाह 1000 रुपए कर देंगे । B.Ed के दौरान मुझे 200 रुपए महीना भेजेंगे।” रवि ने सोचा इस बात के लालच में सिमर के घर वाले उसे रोहतक पढ़ने की अनुमति दे देंगे ।सिमर ने जैसे ही घरवालों से यह बात की उन्होंने हां कर दी । रवि का आईडिया काम आ गया था।सिमर की खुशी का ठिकाना ना रहा । उसने पत्र लिखकर रवि को यह खुशखबरी दी  और वह उसके आने का इंतजार करने लगी।

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 8) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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