अधूरी प्रेम कहानी (भाग 5) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral : रवि की पिछली चार फसलें बहुत अधूरी प्रेम कहानी भाग अच्छी हुई थी।उसकी सख्त मेहनत रंग लाई। उसने अपने पिता द्वारा लिया काफी कर्ज वापस कर दिया था । इस बार गेहूं की फसल का झाड़ भी बहुत अच्छा हुआ था। उसने काफी गेहूं  बीज बनाकर ही भेज दिया था इससे पहले  उसने कपास की फसल भी बीज बनाकर बेची थी बीज बनाने से उसकी कमाई दुगनी हो गई थी आमदनी बढ़ाने का एक काम उसने और किया उसने अपनी ही बैठक पर सरकारी दूध की  डेरी खुलवा दी।

इससे उसका अपना ही नहीं पूरे गांव का दूध अच्छे भाव बिकने लगा। दूध का मूल्य फैट के हिसाब से मिलने लगा। अब उसे दूध से काफी आमदनी होने लगी। जिससे उसका घर और फसल का खर्च निकलने लगा। फसल की आमदन जमा हो जाती थी। उसे खेती की अच्छी समझ हो गई थी। गांव वाले भी उससे खेती के बारे में  सलाह लेते । रवि की सलाह से गांव वालों की फसल भी अच्छी होने लगी थी। रिजल्ट आ गया था रवि , सिमर और मनजीत सभी अच्छे नंबरों में पास हो गए थे। सभी ने अगली क्लास में दाखिला ले लिया ।

सिमर और मनजीत का यह आखिरी साल था और रवि का तीसरा साल।रवि और सिमर का पत्र बिहार चलता रहा। कभी कबार रवि शहरा जाकर सिमर से मिल आया था । दोबारा कॉलेज खुल गया। रवि और सिमर की अब कॉलेज में पहचान थी। इस बार सरकार ने विद्यार्थी यूनियन केे चुनाव ना करवाने के आदेश दिए । क्योंकि स्टेट में सुरक्षा  के हिसाब से हालात खराब थे।रवि इस साल भी विद्यार्थी यूनियन का प्रधान ही था ।

पर विद्यार्थियों को कोई खास परेशानी नहीं थी। सब अच्छे से चल रहा था ।रवि ने इस साल अपनी फसलों पर और ध्यान देना शुरू कर दिया ।   इस बार भी उसने कपास की अच्छी किस्में बीजी।उसे पूरी उम्मीद थी इस साल भी कपास के बीज उसे अच्छेे पैसे देकर जाएंगे। दूसरी ओर सिमर के  पिता काफी बीमार थे । सिमर के बड़े भाई की बदली शहर से दूर दूसरे शहर में हो गई थी।

यह बदली उसने जान बूझकर करवाई थी। सिमर का छोटा भाई कोलकाता में ही सेटल हो गया था। जो आदमी उसे कोलकाता लेके गया था उसी ने अपनी लड़की की शादी उसे कर दी।और वह वही सेटल हो गया । सिमर के बीमार पिता की देखभाल के लिए सिमर और उसकी मां ही थी । सिमर ने कॉलेज जाना कम कर दिया। सिमर और उसकी मां के पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे ।

सिमर के पिता की बीमारी के बारे में रवि को मनजीत से पता चला वह उसी वक्त मनजीत को लेकर सिमर के घर चला गया । रवि को अचानक अपने घर देख कर सिमर फूट-फूट कर रोने लगी। वह सोच रही थी रवि हमारे घर आया वह भी इन हालातों में। दूसरी और उसे अच्छा भी लगा कि रवि और मनजीत मेरे पिता का

हाल जानने के लिए मेरे घर आए। अब रवि हर रोज सिमर के घर जाने लगा। सिमर की मां को भी वह अच्छा लगता था। रवि ने सिमर के पापा के इलाज के लिए उसकी पैसे से बहुत मदद की। पहले तो सिमर ने पैसे लेने से इनकार कर दिया था ।पर जब रवि ने उसे यह कहा “सिमर तेरे पापा मेरे भी कुछ लगते हैं ।मुझे पूरा हक है इनकी मदद करने का”।इस बात का सिमर के पास भी कोई जवाब नहीं था।

जैसे ही सिमर के पापा की सेहत कुछ ठीक हुई सिमर ने कॉलेज आना शुरू कर दिया। इस बार ना रवि ने और ना सिमर यूथ फेस्टिवल की किसी आइटम में भाग लिया ।अमनदीप सर और दिलप्रीत मैडम ने दोनों पर बहुत दबाव डाला पर वह नहीं माने । इस बार अमनदीप सर की पूरी टीम में उत्साह की कमी थी। उनकी टीम के दो मेन मेंबर इस बार उनकेे साथ नहीं थे । बेशक टीम अच्छी थी पर उत्साह की कमी के चलते कोई पोजीशन ना ले सके। रवि की फसल उसकी आशाओं से भी कई गुना अच्छी हुई ।डेरी ने भी रिकॉर्ड उत्पादन किया ।

एक बार फिर सिमर के पापा की तबीयत खराब हो गई । रवि ने उन्हें सलाह दी इन को किसी बड़े हॉस्पिटल मैं दिखाना चाहिए। सिमर और उसकी मां पैसों की कमी के चलते ऐसा नहीं कर सकती थी । पर रवि जिद करके सिमर के पापा को लुधियाना के बड़े हॉस्पिटल ले गया । सिमर और उसकी मां भी साथी थी। इसका सारा खर्च रवि ने उठाया।

उसके पापा को हॉस्पिटल में दाखिल करवा कर और सिमर और उसकी मां के लिए एक किराए का कमरा लेकर रवि कुछ दिनों के लिए गांव वापस आ गया । उसे अपनी फसल देखनी थी। दो दिन यहां रह कर वह फिर वापस सिमर के पापा के पास चला गया। सिमर के पापा की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था । सिमर और उसकी मां ने हौसला छोड़ दिया पर रवि उन्हें हौसला दे रहा था।

“बेटा अगर तू हमारा साथ ना देता तो पता नहीं हमारा क्या हाल होता” सिमर की मां ने रवि से कहा।

“मां जवाई भी तो बेटे जैसे होते हैं ” रवि के मुंह से निकल गया। सिमर की मां रवि की तरफ देखती रही। सिमर ने अपनी मां को रवि के बारे में बता दिया। और कहां शादी करना चाहते हैं । सिमर की मां कुछ नहीं बोली बस सिमर के सर पर हाथ फेर कर रोने लगी। अगले दिन सिमर के पापा की तबीयत  और खराब हो गई । डॉक्टरों की सख्त मेहनत कुछ ना कर सकी और सिमर के पापा की मौत हो गई।

सिमर और उसकी मां के सिर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। रवि ने एंबुलेंस करवा कर  सिमर के पापा का पार्थिव शरीर उनके घर लेकर आए । सिमर अपने पापा की मौत के बाद बिल्कुल टूट चुकी थी पर रवि और मनजीत ने उसे हौसला दिया ।  रवी से समझाया यह कॉलेज में उसका आखिरी साल हैं अगर वह अच्छे नंबरों से अपनी B.A. पास करेगी उसके पापा की आत्मा को  सुकून मिलेगा ।

रवि की बात मानकर सिमर ने फिर पढ़ाई में मन लगाया ।अब वह ज्यादा बात नहीं करती थी चुप ही रहती। वह हर वक्त रवि के बारे में ही सोचती रहत। कभी-कभी वह मनजीत से बातें करती और  कहती “मनजीत तेरा भाई देवता है मेरे अपने भाइयों ने मेरे पिता का हाल नहीं पूछा। लेकिन रवि ने हमारे लिए क्या नहीं किया” इतना कहती कहती वह रोने लग जाती।

“अरे वह कोई बेगाना थोड़ी है वह तेरा प्यार है सिमर ” मनजीत ने उसे समझाया ।

“मुझे अपने प्यार पर मान है” सिमर कह देती

  इस बार रवि को फसल से बहुत ज्यादा आमदनी हुई एक तो फसल अच्छी थी ऊपर से भाव बहुत अच्छा मिल गया। रवि का परिवार उसकी सख्त मेहनत और अकल मंदी पर गर्व करता था। रवि और सिमर ने पेपरों की खूब तैयारी की उनके पेपर बहुत अच्छे  हुए। एक दिन रवि के गांव में रवि की चाची जी के भाई रवि के मामा आए। उन्होंने चाचा जी के घर से रवि की काफी प्रशंसा सुनी । उनका मन रवि को मिलने को हुआ । वह रवि से मिलने उनके घर आए रवि से मिलकर वह रवि से काफी प्रभवित हुए । उन्होंने रवि को सुझाव दिया तू इंजीनियरिंग का डिप्लोमा कर तेरी रोहतक में एडमिशन करवा दूंगा । तेरी एडमिशन मेट्रिक के नंबरों के बेस पर होगी ।उन्होंने रवि को अपना एड्रेस दे दिया ।

जब भी तुम्हारा मन हो मेरे पास चले आना एडमिशन की मैं गारंटी लेता हूं ” लेकिन रवि को  यह बात अच्छी नहीं लगी ।वहअपनी मां और सिमर को छोड़कर रोहतक नहीं जाना चाहता था । वैसे भी उसकी फसलों और उसकी डेरी को उसकी जरूरत थी। उसने यह बात सिमर को बताई ।पहले तो सिमर ने भी ना बोल दी पर बाद में उसको यह सब अच्छा लगा ।उसने रवि को समझाया तू इंजीनियरिंग कर ले । रवि की मां ने भी उसे यही समझाया । अभी रवि ने कोई फैसला नहीं किया था।  लेकिन वह अपने सर्टिफिकेट मामाजी को जाकर दे आया। रवि अपने रिजल्ट का इंतजार करने लगा।

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 6) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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