अधूरी प्रेम कहानी (भाग 2) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral :

इस तरह 2 दिन बीत गए  स्ट्राइक के दौरान लंबे लंबे भाषण दिए जाते । स्टूडेंट यूनियन पर  कामरेडओं का कब्जा था। स्टूडेंट लीडर बात अमेरिका से शुरू करके रूस तक ले आते। लीडरों की भाषा आम विद्यार्थियों को समझ में नहीं आती थी बहुत बोरियत फील करते । यह भाषण आम भाषा में ही होते थे लेकिन फिर भी आम स्टूडेंट्स को यह समझ में नहीं आते थे। बस विद्यार्थियों को तो इंकलाब जिंदाबाद का नारा ही पसंद आता था  इस नारे को बहुत जोर से लगाते है। नारों के जोश से प्रभावित होकर स्पीकर अपने भाषण और  गुंजल दार कर देते । वह समझते  हमारे भाषणों से विद्यार्थियों में जोश आ जाता है। लेकिन विद्यार्थी  भाषणों  से अपनी बोरियत दूर करने के लिए जोर से नारे लगाते थे। तीसरे दिन स्टेज सेक्टरी ने कहा कोई और विद्यार्थी बोलना चाहता है तो वह भी बोल सकता है । सभी विद्यार्थी  हैरान हुए जब रवि ने हाथ खड़ा करके बोलने की इजाजत मांगी ।स्टेज सेक्टरी ने रवि का नाम अनाउंस कर दिया । रवि पीछे से धीरे-धीरे स्टेज की ओर बढ़ने लगा सभी विद्यार्थी तालियां बजा रहे थे और सिमर सबसे ज्यादा उछल रही थी  । रवि ने माइक संभालते ही अच्छे  बुलारे की तरह बोलना शुरू किया । उसने अपने संबोधन में कहा हम पिछले 2 दिनों से अमेरिका और रूस की बातें सुन रहे हैं। मैं वहां कभी नहीं गया इसलिए वहां के बारे में मुझे कुछ नहीं पता। मैं जिस कॉलेज में पढ़ता हूं मैं तो उसकी बात करूंगा ।हमारे जहां विद्यार्थियों की जो कैंटीन है वहां बैठने की बहुत कम जगह है और बहुत ही कम कुर्सियां हैं। वह सभी लड़के रोक लेते हैं लड़कियों के बैठने की कोई भी जगह नहीं है। उसकी यह बात सुनकर सभी लड़कियों ने जोर से ताली बजाई ज्यादा तालियां सिमर बजा रही थी । रवि ने अपने भाषण में कॉलेज की सभी वह बुराइयां गिनाई जिससे विद्यार्थी परेशान होते थे। उसने क्लास रूम में बंद पड़े पंखों की बात की पीने वाले पानी की बात की। रवि का भाषण सुनकर सभी विद्यार्थी बहुत ज्यादा खुश हुए ।जोर-जोर से तालियां बजा कर उसका स्वागत किया। विद्यार्थी यूनियन के लीडरों को रवि को टाइम देना गलती लग रहा था। आज का दिन रवि का था ।दोपहर को जब रवि अपने घर जाने लगा सिमर और उसकी एक सहेली भागकर रवि के साथ हो ली ।

“आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जी” सिमर ने रवि से कहा “शुक्रिया किस बात का जी”रवि ने हैरान होकर पूछा

“आपने आज हमारी बात स्टेज पर की कोई भी विद्यार्थी नेता ऐसी बातें नहीं करता हमारे लिए कोई नहीं बोलता आपने आज हमारी बात करके बहुत अच्छा काम किया जी “

“मैं बहुत दिनों से लड़कियों की परेशानी को देख रहा था  इसलिए मैंने यह बात वहां कर दी “

“आप रोज इसी तरह गांव जाते हो” सिमर रवि से बातें करना चाहती थी पर रवि ने हां जी ना जी के सिवाय और  कोई बात नहीं की।इतनी देर में रवि बस स्टैंड पहुंच गया । सिमर उससे और भी बातें करना चाहती थी पर रवि ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और सीधा अपनी      बस की और बढ़ गया। सिमर उसे जाते हुए देख रही थी । अचानक वहां मनजीत पहुंच गई

” तू मेरे भाई का पीछा कर रही है” मनजीत ने सिमर को कहा

“तेरा भाई है ही इतना अच्छा मनजीत मैं क्या करूं “

सिमर ने बेबस होकर मनजीत से कहा “अच्छा यह बात है तू चल मेरे साथ तेरे ससुराल ले चलूं  दोनों एक ही सीट पर बैठ कर जाना और बातें करते जाना”  मनजीत ने कहा

“मैं आऊंगी जरूर लेकिन आज नहीं       पर आऊंगी जरूर”

इतना कहकर सिमरअपने घर की ओर चल पड़ी और मनजीत अपनी  बस की ओर। 2 दिनों बाद प्रिंसिपल ने वह मांग मान ली उस लड़के को दाखिला दे दिया और हड़ताल खत्म हो गई । इस हड़ताल में जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय था वह था रवि का भाषण । सभी विद्यार्थियों ने उसके भाषण की बहुत प्रशंसा की। अब कॉलेज में सभी रवि को जानने लगे थे। उसके बहुत सारे दोस्त बन गए अब वह ग्रुप में घूमता । सिमर के लिए उससे बात करना भी मुश्किल हो गया जब भी कोशिश करती बात करने की रवि के दोस्त आ जाते । सिमर काफी परेशान हो गई। लेकिन जल्दी उसने अपनी समस्या का हल ढूंढ लिया। उसकी समस्या का हल था मनजीत । वह मनजीत के द्वारा ही रवि से बात कर लेती ।उसने मनजीत को कहा कि रवि के साथ हम बाजार चलते हैं। लेकिन मनजीत ने साफ मना कर दिया।

” ना बाबा ना !!! बाजार नहीं हमारे गांव के बहुत सारे लोग होते हैं । वह हमें इकट्ठे घूमता देखेंगे तो बातें करेंगे। तेरे चक्कर में हम भाई-बहन भी बदनाम हो जाएंगे कॉलेज में बात और है”

मनजीत ने सिमर की आशाओं पर पानी फेर  दिया।  कॉलेज में फिर से पढ़ाई होनी शुरू हो गई। रवि अपनी क्लास लगाता और बस से गांव चला जाता। पर सिमर रवि से बात करने के बहाने ढूंढती रहती । रवि अपनी ही धुन में सवार रहता ।  वह अपनी फसल अपने कर्जा के बारे में सोचता रहता।   इस तरह एक महीना बीत गया। सिमर चाह कर भी रवि से ज्यादा बात ना कर सकी। एक दिन कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर नोटिस चिपका  था इस बार  यूथ फेस्टिवल इस कॉलेज में होना है जो विद्यार्थी इसमें भाग लेना चाहते हो वह अपने नाम दर्ज करवा दें।नोटिस पढ़कर सिमर बहुत खुश हुई वो मनजीत को साथ लेकर इंचार्ज मैडम दिलप्रीत के पास चली गई।  यह एक बड़ा हाल कमरा था अमनदीप  सर जो लड़कों के इंचार्ज थे वह भी वहीं बैठे थे। जब सिमर और मनजीत कमरे में दाखिल हुई तो उन्होंने सामने रवि को खड़ा हुआ देखा ।सिमर तो जैसे  खुशी से पागल ही हो गई । वह बात तो मैडम से कर रही थी लेकिन देख रवि  को रही थी । दिलप्रीत मैडम ने उसे  जब रवि की और देखते देखा तो मैडम ने सिमर को कहा

“सिमर यह लड़का बहुत सरीला है बहुत अच्छा गाना गाता है अभी-अभी इसने गाकर सुनाया अब यह भी हमारी टीम का हिस्सा है “

यह बात सुनकर सिमर की खुशी  देखते बनती थी । सिमर को तो जैसे स्वर्ग मिल गया था।सिमर ने मनजीत से कहा इसको अपने पास बुला और पूछ मनजीत ने पूछा “भैया इस बार तुम भी पार्टिसिपेट करोगे” 

“हां बहन मैं भी इस बार पार्टिसिपेट  करूंगा” रवि ने इतनी बात करी और कमरे से निकल गया । प्रोग्राम की रिहर्सल 10 दिन बाद शुरू होनी थी। सिमर को यह 10 दिन काटने बहुत मुश्किल हो रहे थे । वह सोच रही थी कि रिहर्सल में हम इकट्ठे रहेंगे रवि और मैं । फिर मैं उससे बातें करूंगी पर अभी वह डेट आने में नहीं आ रही थी।  धीरे धीरे वह दिन भी आ गया जिसकी इंतजार सिमर को थी । उस दिन वह भागकर उस कमरे में पहुंची सभी लोग वही थे  और रवि भी था । रवि को अमनदीप सर कुछ समझा रहे थे मगर रवि “सॉरी सर”  कहकर चला गया। रवि को जाते देख सिमर की तो जान ही निकल  गई। उसने  मैडम से पूछा यह लड़का क्यों चला गया मैडम ने बताया “बड़ा अजीब लड़का है इतना अच्छा गाता है एक्टिंग भी अच्छी करता है पर कहता मैं रिहर्सल के लिए शाम तक नहीं रुक सकता हूं । गांव जाना होता है मेरी बस दोपहर को जाती है। इसलिए यह अपना नाम कटवा कर चला गया ।”

िमर तो जैसे गुम हो गई ।

“मैडम मेरा भी नाम काट दो  मैं भी  इस बार हिस्सा नहीं लूंगी”

“यह तू क्या कह रही है सिमर । तेरे को पता है ना इस बार फेस्टिवल हमारे कॉलेज में हो रहा। और हमें गिद्दा हर हाल में जीतना है तेरे बिना गिद्दा हम कैसे जीतेंगे ।तेरे बिना यह टीम अधूरी है “

“पर मैडम उस बिना मैं अधूरी हूं” सिमर  मैडम को साफ कह दिया।

“क्या बकवास कर रही है तू “

“मैं सच कह रही हूं मैडम “। अजीब मुसीबत थी मैडम ने सर से बात की अमनदीप  सर ने रिहर्सल का टाइम 2:00 बजे तक कर दिया जो रवि को सूट करता था । रवि वापस आ गया । इस बार गिद्दा के पहले एक नई आइटम डाली गई इसमें सिमर स्टेज पर चरखा  कातती है  रवि पीछे से गाना गाता है गाने के बोल थे 

“जोगी उत्तर पहाड़ों आया चरखे की खक सुनकर”

सिमर और एक और लड़की जो लड़का  बनी थी इस गाने पर एक्टिंग करती हैं। गाना खत्म होते ही बाकी सारी टीम स्टेज  पर आ  जाती है और गिद्दा शुरू हो जाता है। यह बिल्कुल नई आइटम थी । इस बार गिद्दे की प्लेबैक सिंगिंग में भी  रवि ने बोलियां डाली  यह पहली बार था कि किसी मेल सिंगर ने गिद्दे की प्लेबैक सिंगर के तौर पर बोलियां डाली। रवि की बेहद सुरीली आवाज में सभी को मगन मुक्त कर दिया । सिमर ने भी अपना सब कुछ गिद्दे पर लगा दिया । जब यह आइटम रिहर्सल के लिए हाल में की गई तो सभी  बहुत प्रसन्न हुए। प्रिंसिपल साहब ने मैडम और सर को बधाई दी ।सर ने रवि की तरफ हाथ करके कहां

“सर इसका श्रेय इस लड़के को जाता है”  । सर को रवि के लिए रिहर्सल का समा बदलना बहुत ही सस्ता लग रहा था ।कॉलेज को अब कई साल के लिए सिंगर मिल गया था । आज सभी को पता चल गया था कि हमारी इस आइटम का कोई मुकाबला नहीं । सिमर सबसे ज्यादा खुश थी। अपने घर में भी रवि द्वारा गाया गाना ही गुनगुना रही थी उसने अपनी भाभी  को कहा  “आज मैं बहुत खुश हूं भाभी”। रवि  के सपने लेती लेती वह कब सोई उसे भी पता नहीं था

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 3) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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