अधूरी प्रेम कहानी (भाग 12) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral : जनवरी के पहले हफ्ते में रवि रोहतक आया ।उसने अपने आखिरी सेमेस्टर का दाखिला भरा। उसका पिछले चार सेमेस्टर का रिजल्ट बहुत बढ़िया रहा। रवि पढ़ाई में पूरा होशियार था। रवि की क्लास के दूसरे साथी सारा सेमेस्टर यहीं रहते साल में सिर्फ दो बार घर जाते थे। फिर भी पिछले चार सेमेस्टर में उनके कई पेपर अभी क्लीयर नहीं हुए थे। उधर रवि हर दो हफ्तों बाद गांव जाता खेती का काम भी देखता । फिर भी उसके सारे पेपर क्लियर थे ।छहवां सेमेस्टर शुरू होते ही रवि का हाइवे का कैंप लग गया ।

यह कैंप दिल्ली लगा वह हर रोज दिल्ली से रोहतक आ जाता था। यह कैंप बड़ा दिलचस्प था ।इस कैंप में बड़े बड़े फ्लाईओवर कैसे बनाने है ये सिखाया जाता था। कैम्प के बाद रवि कुछ दिन के लिए गांव आया। उसकी छोटी बहन के दसवीं के पेपर थे। वह पढ़ाई में बहुत कमज़ोर थी ।रवि उसका मैट्रिक के बाद लड़कियों वाले कालेज में दाखिला करवाना चाहता था।

कालेज में दाखिला लेने के लिए उसको मैट्रिक पास होना ज़रुरी था। मगर वह पढ़ाई में बहुत नालायक थी। मदद के बिना उसका पास होना मुश्किल था। रवि ने उसे पास करवाने के लिए उसको पेपरों में नकल करवाने की सोची । पेपर लेने आए स्टाफ के साथ मिलीभगत करके रवि ने उसे खूब नकल करवाई। रवि को पूरी तसल्ली थी कि उसकी बहन अच्छे नंबरों से पास होगी । उसके पेपर खत्म होते ही वह फिर रोहतक चला गया ।उसका पांचवें सेमेस्टर का रिजल्ट आ गया था ।वह भी बहुत बढ़िया था रवि के पेपर मई में थे ।

सिमर उसे तीसरे दिन शर्मा जी की कंटीन पर फ़ोन करती।उसकी स्कूल  की नौकरी बहुत बढ़िया चल रही थी । उसके भाई और भाभी उससे से बहुत खुश थे। उसकी तनख्वाह से घर का खर्चा चल जाता था । रवि अप्रैल में गाँव आया उसने हाड़ी की फसल सम्भालनी थी । मई में उसके पेपर आ गए और वह पेपर देने के लिए रोहतक चला गया । यह उसके आखिरी पेपर थे ।पेपर खत्म होते ही रवि रणबीर और महावीर सिंह को मिलने गया ।फिर रवि मामा जी और मामी जी को मिलने भी गया ।मामी जी ने रवि को बहुत प्यार किया ।

अब रवि अपने गांव वापस आ गया ।बलदेव ने अभी और ‌छह महीने यहीं रुकना था। रवि के छोटे भाई ने भी प्रेप के पेपर दिए थे ।सबसे पहले रवि की बहन का मैट्रिक का रिजल्ट आया। वह बहुत अच्छे नंबरों से पास हुई ।सभी लोग हैरान थे ।लेकिन रवि को कोई हैरानी नहीं हुई । उसने अपनी बहन का दाखिला लड़कियों के कॉलेज में करवा दिया और उसे हॉस्टल भी ले दिया ।

उसकी क्लासें अभी पंद्रह दिन बाद शुरू होनी थी। रवि के भाई का भी रिजल्ट आ गया ।उसकी एक सब्जेक्ट में रिपेयर थी ।मगर उसे अगली क्लास में दाखिला मिल गया था ।उसी के गांव के एक लड़के ने बताया के राजस्थान में होम्योपैथी का डिप्लोमा होता है ।रवि ने अपने भाई को कहा कि वह होम्योपैथी के डिप्लोमा में दाखिला लें ।रवि उसे खुद ले गया और उसका दाखिला करवा दिया ।

उधर रवि की बहन की क्लासें शुरू हो गए रवि उसे हॉस्टल छोड़ कर आया ।रवि का भी रिजल्ट आ गया था। वह बहुत अच्छे नंबरों से पास हुआ उसका डिप्लोमा हो गया था । उसने यह खुशखबरी सिमर को बताई ।यह बात सुनकर सिमर बहुत खुश हुई । वह वापस रोहतक गया और अपना प्रोविजनल डिप्लोमा ले आया। व बलदेव के पास रुका उसने अपना सामान वहीं बलदेव के पास ही छोड़ दिया । अब रवि को नौकरी की तलाश थी ।वह नौकरी करना चाहता था ।सिमर भी 23 साल की हो गई उसे नौकरी करते भी एक साल हो गया।

उसके भाई को उसकी शादी की चिंता थी ।वह चाहता था कि सिमर को कोई नौकरी वाला लड़का मिले।शादी में सिमर को देने के लिए उसके पास कुछ नहीं था । वह तो खुद किराए के मकान में रहता था । उधर रवि का रिश्तेदार जो डिप्लोमा करके सरकारी नौकरी करता था ।रवि ने उससे काम के तजुर्बे के बारे में बात की । उसने रवि को ठेकेदारी करने की सलाह दी। इससे उसको तजुर्बा भी मिलेगा इसका टाइम भी पास हो जाएगा । जब तक उसे नौकरी नहीं मिलती उसको तुज़ुर्बा मिलता रहेगा ।रवि को उसकी बात अच्छी लगीं।

इस बात के रवि को दो फायदे थे। एक तो वो शहर में रहेगा और सिमर से उसकी मुलाकात होती रहेगी। दूसरा उसे काम का तजुर्बा हो जाएगा। रवि ने ठेकेदारी शुरू कर दी । मगर गांव में खेती का ध्यान वो उसी तरह रखता था। उसने शहर में रहना शुरू कर दिया अब वो सिमर को हर रोज मिलता । उसने मोटरसाइकिल ले लिया जिसकी उसको ज़रुरत थी। अब उसे गाँव जाना आसान हो गया ।एक दिन वो अपनी बहन को मिलने उसके हॉस्टल गया। अपने भाई को देखते ही वह रोने लग गई ।उसका वहां दिल नहीं लगता था ।रवि ने उससे वादा किया वह हर हफ़्ते उससे मिलने आएगा । रवि को ठेकेदारी बिल्कुल पसंद नहीं आई । इसमें बहुत ज़्यादा क्रप्शन थी । रवि के रिश्तेदार ने उसे समझाया अब उन्हें इसी महकमे में सर्विस करनी है । तेरे को ये सब बातें समझनी चाहिए यहां ईमानदारी से कोई काम नहीं हो सकता। पर रवि को करप्शन बिल्कुल पसंद नहीं थी ।रवि जब भी सिमर को मिलता वह उससे शादी के बारे में पूछती

“शादी कब करेंगे हम”

“मुझे नौकरी मिल जाने दो फिर मैं मां से बात करूंगा”

“वह मान तो जाएगी न”

“तुम मुझे डराओ मत मां के व्यवहार से मुझे भी कई बार बहुत डर लगता है।”  “वे क्यों “

“माँ हमेशा बड़ी बड़ी बातें करती है। वे कहती हैं कि मैं अपने बच्चों की शादी बड़े बड़े घरों में करूंगी”

“पढ़ाई लिखाई की कोई कद्र नहीं आपकी मां की नज़र में “

“पता नहीं परंतु तू चिन्ता मत कर मैं हूँ ना।”

“तुम्हारा ही तो सहारा है मुझे और विश्वास भी है कि तुम सब ठीक कर लोगे ” । रवि ने नौकरी की तलाश जारी रखी । वह हर हफ्ते अपनी बहन को मिलने जाता ।उसने अभी भी दिल नहीं लगाया था । इस तरह एक साल बीत गया ।रवि की बहन ने पड़ने से इनकार कर दिया। रवि उसे वापस गांव ले आया वह अपनी मां के साथ काम करवाती। वह थोड़ी मोटी थी । रवि और उसके पिता को उसकी शादी की चिंता थी। उसके लिए एक अच्छा लड़का ढूंढना मुश्किल था। पर रवि की मां ने फैसला सुना दिया लड़की की शादी सबसे पहले होगी और होगी भी बड़े घर में । वह अभी 19 साल की थी। पता नहीं उसे कब लड़का मिले इसीलिए अभी से तलाश शुरू कर दी । रवि के भाई का वहां दिल लग गया था। रवि की मां उसके भाई को कम पेैसे देती थी। मगर रवि उसे अपनी जेब से और पैसे दे देता।  उसको पता था घर से बाहर रहना कितना मुश्किल है। उसके भाई की अभी दो साल की पढ़ाई और थी

लखविंदर सिंह संधू

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

– लखविंदर सिंह संधू

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