short story with moral : अगले दिन रवि सुबह सिमर को कालेज छोड़ आया और उसे शाम को खुद आने को कह दिया । आज शाम उसने महावीर सिंह से मिलना था। उसको काफी टेंशन हो रही थी। पर महावीर सिंह के साथ फार्म हाउस पर बताया टाइम उसको हौसला दे रहा था । वह शाम को महावीर सिंह के घर पहुंच गया। महावीर सिंह घर के पीछे बने बगीचे में घूम रहा था। रवि भी वहीं उन्हीं के पास चला गया। रवि ने जाते ही महावीर सिंह के पैर छुए महावीर सिंह ने उसे सीने से लगा लिया ।उसने धीरे धीरे महावीर सिंह को रणबीर की प्रेम कहानी सुनाई । महावीर सिंह उसे बड़े ध्यान से सुना बात सुनकर महावीर सिंह को ज्यादा गुस्सा नहीं आया।
“छोरी कौन सह”
रवि ने महावीर सिंह को लड़की और उसके मां बाप के बारे में बताया। वह पहले ही रणबीर से सब कुछ पूछ कर गया था ।
“तन्नै शौरी देख रखी सह”
“नहीं मैंने लड़की नहीं देखी” रवि ने कहा ।
“फिर तने कैसे बेरा के छोरी अच्छी सह “
“भाई साहब जब रणवीर को लड़की पसंद है तो समझो अच्छी ही है”
“थारी ये बात सही है। वैसे पार्टी भी हमारे मुक़ाबले की है। पर अपनी बिरादरी की भी तो सोचनी पढ़ें
वे के कहेंगे “
“भाई साहब एक बात है कल को अगर आपने यहां से चुनाव लड़ना होगा।तो आपकी बिरादरी आपके साथ है उलटा ये बिरादरी भी आपके साथ हो जाएगी” रवि ने महावीर सिंह की दुखती रग पर हाथ रख दिया ।
“छोरे यह तो तूने बहुत पते की बात की” । काफी सोच विचार के बाद महावीर सिंह ने रणबीर के रिश्ते के लिए हां कर दी। और ये भी कहा वह रिश्ता मांगने खुद उनके घर जाएगा। रवि ने आकर रणवीर को यह खुशखबरी सुनाई । रवि ने रणबीर की प्रेम कहानी तो पूरी कर दी। लेकिन उसकी अपनी प्रेम कहानी अभी अधूरी ही थी। कई बार रवि को अपनी मां के तेवर देकर बहुत डर लगने लग जाता।
आजकल मां बड़ी बड़ी बातें करने लगीं थी । माँ के अंदर अहंकार बोल रहा था। पर उसे इस बात का यकीन था कि उसकी मां उसके प्यार की अनदेखी नहीं कर सकती। वह झोली फैलाकर मां से अपनी ख़ुशी मांग लेगा। रवि का रुटीन चालू रहा । सिमर की पढ़ाई भी बहुत अच्छी चल रही थी।मामी जी के साथ उसका प्यार बहुत बढ़ गया था। वह मामी जी की हर छोटी छोटी ख़ुशी का ख्याल रखती। मामी जी वी सिमर को अपने बच्चों से ज्यादा प्यार करती। महावीर सिंह ने रणबीर की मंगनी की तारीख तय कर दी।
रणवीर ने रवि और बलदेव को भी अपनी मंगनी में बुलाया। व मामा जी के परिवार और सिमर को भी बुलाना चाहता था मगर रवि ने मना कर दिया। पहले लड़की वालों ने महावीर सिंह के घर आना था। फिर शाम को महावीर सिंह के परिवार ने लड़की वालों के घर जाकर चुन्नी चढ़ाने की रस्म करनी थी। रवि को दोनों फंक्शनों में जाना था। शाम को वह महावीर सिंह के परिवार के साथ लड़की वालों के घर गया । रणवीर की होने वाली पत्नी बहुत सुन्दर थी । रणवीर ने लड़की को रवि से मिलवाया। “यह छोरा सह जिस ने हमें मिलवाया”
रणवीर की होने वाली पत्नी ने रवि को नमस्ते की। सिमर की टीचिंग प्रैक्टिस दूर गांव के स्कूल में लग गई। यह प्रैक्टिस एक महीना चलनी थी। सिमर वहां अकेली नहीं जा सकती थी। महीना भर रवि ने सिमर को छोड़ के आने और वापस लाने का काम किया। पर बीच में छुट्टी वाले दिन व गांव चक्कर लगा आया। रवि और सिमर के पेपर मई में थे। अप्रैल के पहले हफ्ते रवि फ्री हो गया उसमें अपने गाँव जाना था।
मामी जी ने सिमर को यहीं रहकर पढ़ने की सलाह दी सिमर ने बात मान ली। मगर रवि गांव चला गया । गांव जाकर उसने पढ़ाई के साथ साथ गेहूं की कटाई और कपास की बुआई कराई। रवि और सिमर के पेपरों की डेटशीट आ गई । रवि पेपर देने के लिए रोहतक वापस आ गया। सभी के पेपर हो गए सिमर की बीएड हो गई थी। और रवि के दो साल पूरे हो गए थे अभी उसने एक साल और यहां रहना था।उसका डिप्लोमा तीन साल का था ।आने वाले दो सेमेस्टर रवि बहुत ज्यादा व्यस्त रहने वाला था।
उसकी दो ट्रेनिंग लगनी थी। पहली उसकी सर्वे की ट्रेनिंग लगनी थी जो किसी पहाड़ी इलाके में लगनी थी । और दूसरी उसकी ट्रेनिंग हाइवे पर लगनी थी ।बड़े बड़े पुल और बड़ी बड़ी सड़कें कैसे बनती है यह सिखाया जाना था। अब सिमर ने भी वापस जाना था । मामी जी ने रवि से कहा “सिमर की पढाई ख़त्म हो गई ।अब ये लड़की वापस चली जाएगी । इसके वापस जाने से पहले उसे दिल्ली तो घुमादे “। मामी जी की यह बात रवि को बहुत अच्छी लगी।
उन्होंने अगले दिन दिल्ली जाने का प्रोग्राम बना लिया । दिल्ली वहां से ज्यादा दूर नहीं थी । सुबह वह गाड़ी में बैठे और दिल्ली चले गए। रवि तो कई बार दिल्ली आ चुका था। मगर सिमर की यह पहली फेरी थी। सबसे पहले वह चांदनी चौक गए। फिर उन्होंने लाल किला देखा ।लाल किले से दिल्ली घुमाने के लिए बसें चलती थीं ।रवि ने भी बस में बुकिंग करवा ली वह बस में सवार होकर पूरी दिल्ली घूमते रहे।
इंडिया गेट, क़ुतुब मीनार महात्मा गाँधी जी की समाधि , राष्ट्रपति भवन और संसद भवन उन्होंने सब कुछ देखा। शाम 7 बजे बस वापस लाल किला पहुंच गई । रोहतक के लिए गाड़ी 10 बजे चलनी थी। उनके पास अभी घूमने का और वक्त था । व चांदनी चौक के जनपथ में घूमते रहें वहाँ नीचे दुकानें लगाकर सस्ता सामान बिकता है।फिर उन्होंने खाना खाया तब तक गाड़ी का टाइम हो चुका था ।वो गाड़ी में बैठे और रोहतक वापस आ गए। सिमर के लिए यह दिन बहुत ही अच्छा दिन था। अब रवि और सिमर ने वापस जाना था।
जैसे ही सिमर जाने लगीं मामी जी और उसके बच्चे बहुत रोये ।सिमर को भी रोना आ रहा था । मामी जी को पता था के सिमर वापस नहीं आएगी। वह दोनों अपने अपने घर आ गए ।सिमर ने आते ही स्कूल ज्वाइन कर लिया। उसने प्रिंसिपल को अपनी बीएड के बारे में बताया तो प्रिंसिपल ने उसकी तनख्वाह 700₹ कर दी।उधर रवि अपने काम में व्यस्त हो गया ।
वह रोहतक वापस आ गया और उसने पांचवें सेमेस्टर की फीस भर दी। इस बार रवि का यहां बिल्कुल भी दिल नहीं लग रहा था। उसे हर वक़्त सिमर की याद आती वह उसे हर रोज चिट्ठी लिखता ।सिमर स्कूल में व्यस्त हो गई लेकिन वो रवि की के खत का जवाब जरूर देती ।अब सिमर मामी जी को और रवि को फोन करती । मामी जी को उसके फोन नम्बर पर और रवि को कंटीन वाले शर्मा जी के नम्बर पर ।उधर रवि की सर्वे की ट्रेनिंग कालका की छोटी पहाड़ियों में लगे । ट्रेनिंग लगाकर रवि गांव आ गया। रवि के छोटे भाई ने इस साल मैट्रिक पास कर ली थी ।
उसने भी शहर के कॉलेज में दाखिला ले लिया । सिमर का रिजल्ट आ गया वह बहुत अच्छे नंबरों से पास हुई। देखते देखते रवि के पांचवें सेमेस्टर के पेपर भी हो गए। उसने रणबीर को कह कर सिमर की प्रोविजनल बीएड की डिग्री ले ली । पेपर देकर और सिमर की डिग्री लेकर वो वापस आ गया। वह सिमर से मिलने गया उसकी डिग्री उसे दी । अपनी डिग्री देख कर सिमर बहुत खुश हुई। यह सब रवि की मेहरबानी से हुआ था । सिमर ने अपनी डिग्री की फोटोकापी स्कूल में जमा करवा दी। रवि अपने गांव आ गया उसने अपनी फसलों को देखना था। वह महीना भर गांवों में रहा बीच बीच में वह सिमर से भी मिल जाता था
कहानी का बाक़ी हिस्सा अगले भाग मे
अधूरी प्रेम कहानी (भाग 12) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral
– लखविंदर सिंह संधू