अधूरी प्रेम कहानी (भाग 10) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral : दिसंबर के आख़िर में रवि के तीसरे सेमेस्टर के पेपर थे।सिमर के भी प्रैक्टिकल हो गए थे । दिसम्बर में छुट्टियां हो गई रवि और सिमर अपने अपने घर आ गए। सिमर ने तो यह दिन बहुत बढ़िया काटे। वह अपनी किताबें साथ ले आई थी। वह पढ़ लेती अपनी मां और भाभी से बातें कर लेती। और भाभी के साथ रसोई में काम करवा लेती । पर रवि के लिए यह दिन भी बड़े व्यस्त रहे ।उसने कपास का बीज तैयार करना था। और इस बीज को थैलों में भरकर बेचना था। रूई को उसने रूई बाजार में बेचना था।कब उसकी छुट्टियाँ ख़त्म हुई उसे पता भी नहीं चला। वह दोनों फिर वापस रोहतक आ गए। इस बार रवि मामी जी के लिए काफी सामान ले कर आया।व 4 किलो देसी घी ,मूंग की दाल ,चने की दाल ,और बहुत सारी सब्जियां लेकर आया।  रवि की मां ने सरसों का साग भी बनाकर भेजा और साथ मे काफी सारा मक्खन भी दिया। रवि ने अपने चौथे सेमेस्टर के लिए फीस भर दी। उसके दूसरे सेमेस्टर का रिजल्ट भी बहुत बढ़िया आया था। पर बलदेव के दो पेपर रह गए थे । इन दोनों की वही रूटीन चलती रही। सुबह सिमर खुद कॉलेज जाती और शाम को रवि उसको घर छोड़ जाता ।एक दिन जैसे ही रवि कॉलेज के लिए तैयार होकर जाने लगा। अचानक रणबीर आ गया

“तू कालेज जावे सह” रणवीर ने पूछा

“हां ” रवि ने कहा । “मेरे यार आज कालेज मत जा तू चल मेरे साथ बहुत जरुरी काम सह तेरे धारे”  रणवीर ने रवि की मिन्नत की। रवि ने जब उससे बात पूछी तो रणबीर ने कहा रास्ते में बताऊंगा ।

“मगर जाना कहां है”

“मारे फार्म हाउस में चलेंगे अब कल ही वापस आयेंगे तुम अपने कपड़े उठा लो” रणबीर ने सारा प्रोग्राम बता दिया । रवि ने अपने रात के कपड़े उठाए और बलदेव को बताकर वह उसकी जीप में बैठ गया ।और वह उनके फार्म हाउस की तरफ चल पड़े ।रास्ते में रवि ने पूछने की कोशिश की पर रणबीर ने कह दिया फार्म हाउस में जाकर बताऊंगा सारी बात।वह जल्दी ही उसके फार्म हाउस पहुंच गए। ये फार्महाउस शहर से 10 किलोमीटर दूर था ।70 एकड़ जमीन के बीचो बीच छोटी सी शानदार कोठी थी। उसके आस पास फूलों की क्यारियां थी बहुत  मनमोहक जगह थी।  रणबीर और रवि कोठी के अंदर चले गए।रवि ने उससे फिर पूछा “बात क्या है तो मुझे यहां क्यों लाया है “

“यार घर वाले मेरे लिए लड़की देख रहे हैं । वह मेरी शादी करना चाहते हैं “

“यार इसमें में बुरी बात क्या है। अब तेरी शादी की उम्र है तो शादी करेंगे ही।”

” तू बात तो बुरी सुनता नहीं ।यार वो मेरे लिए शौरी देखने लाग रहे हैं पर मैंने शौरी देख राखी सह” रणबीर ने कहा 

“अच्छा तो मेरे दोस्त की लव स्टोरी है। बताया तो कभी है नहीं। कौन है वह लड़की”

रवि ने कई सवाल पूछ लिए।

रणवीर ने उसको बताया कि वह किसी लड़की से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है मगर एक मुश्किल है।

” क्या मुश्किल है लड़की गरीब घर से है जा नीची जात की है।”

“नई यार वो तो हम से भी बड़े बिजनेसमैन सह”।

” फिर मुश्किल क्या है यार” रवि को बात समझ नहीं आ रहीे थी ।

“मुश्किल ये है यार वो हमारी बिरादरी की नहीं है । हम जाट सह और वो जाट नहीं” रणबीर ने उसको अपनी मुश्किल बताई ।उसने रवि से कहा कि वो बड़े भाई महावीर सिंह से इस बारे में बात करें। रवि यह बात सुनकर भड़क उठा “तुम्हारा मतलब है मैं तेरे भाई महावीर सिंह से बात करूँ तेरे प्यार की उस लड़की के साथ जो तुम्हारी बिरादरी की नहीं है “

“हा”

“यार मैं कैसे बडे भाई से बात कर सकता हूं। मुझे उनसे डर लगता है ” रवि ने कहा।

“बस यही यारी है यार अपने यार के प्यार के लिए तू इतना न कर सकें।”

“तू समझता नहीं है यार”

” मैं सब समझता हूं तू सीधे से कह ना मै तेरी मदद नहीं कर सकता” रणवीर ने रवि से कहा।

रवि ने उसे बहुत समझाया पर रणबीर नहीं माना। आखिर उसने रवि को महावीर सिंह से बात करने के लिए मना लिया। वह दोनों उनके खेत देखने चले गए। रवि ने उसे फसलों के बारे में पूछा तो रणवीर ने साफ कह दिया मुझे कुछ नहीं पता। यह सारा काम भाई ही देखता। उसने आदमी रखा हुआ है जो खेतों की देखभाल करवाता है। रवि का वहां बहुत दिल लगा क्यूंकि ये उसका पसंदीदा काम था।वे रात को वहीं रुके। वो जब सुबह उठे तो उस आदमी ने बताया कि महावीर सिंह 10 बजे यहीं आ रहे है। रवि ने रणवीर से कहा हम चलते हैं भाई गुस्सा तो नहीं कर जाएंगे के हम यहां क्या कर रहे हैं।

” वह गुस्सा कार्य करेंगे उल्टा व तो खुश होंगे के हम खेती में इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं”  थोड़ी देर में महावीर सिंह भी वहां पहुंच गए । उन दोनों को वहां देकर वो बहुत हैरान हुए। रणबीर ने उन्हें बताया के रवि हमारा फार्म देखना चाहता था। उसे फसलों में बहुत इंट्रस्ट है। यह बात सुनकर महावीर सिंह भी बहुत खुश हुए। वह काफी देर फसलों की बातें करते रहे । महावीर सिंह ने बातों बातों में यह समझ लिया के रवि को फसलों के बारे में बहुत ज़्यादा ज्ञान है । महावीर सिंह खुद रवि को सारे खेत दिखाने लेकर गया । रवि ने महावीर सिंह को खेती के बारे में बहुत सारी बातें बताईं । उसने महावीर सिंह से यह भी वादा किया कि वो पंजाब से कपास और गेहूं का अच्छा बीज उनके लिए लेकर आएगा । महावीर सिंह ने जल्दी जाना था लेकिन रवि से मिलने के बाद उसने सारे प्रोग्राम कैंसल कर दिए। उन्होंने दोपहर का खाना इकट्ठे खाया और खेती की बातें करते रहें। उधर दो दिन से रवि सिमर को नहीं मिला था। कल शाम जब वो सिमर को लेने नहीं गया तो उसने सोचा सुबह आ जाएगा। लेकिन रवि सुबह भी नहीं आया और शाम को भी वो सिमर को लेने नहीं आया ।उसे बहुत घबराहट होने लगी। वो कालेज से जाते ही मामी जी के गले लग कर रोने लगीं ।मामी जी को भी फिक्र हुई के वह दो दिन से आया क्यों नहीं । मामी जी ने मामा जी से बात की। “वह गांव चला गया होगा ” मामा जी ने कहा । “नई मामा जी व बिना बताए नहीं जाता” सिमर ने रोते रोते कहा।

” वह रहता कहां है मामा जी ने पूछा” “प्रेम नगर में रहता है” मामी जी ने कहा।

” तो प्रेमनगर कौन सा दूर है हम जाकर पता कर आते हैं” मामा जी ने कहा। मामी जी को भी यह बात बहुत पसंद आई ।वे दोनों रिक्शा लेकर प्रेमनगर चले गए। सिमर ने जिस शर्मा जी की कंटीन के बारे में बताया था वहीं पहुंच गए । मामा जी को देखते ही शर्मा जी समझ गए ये रवि से मिलने आए हैं। उसने उनको रवि का कमरा बताया। मामा जी और मामी जी रवि के कमरे में पहुंच गए वहां वह बलदेव से मिले। बलदेव ने उन्हें बताया कि वह रणबीर के साथ उसके फार्म हाउस पर गया है। आज सुबह उसने आना था लेकिन वो आया नहीं।

“वो फार्म पे क्या करने गए हैं “

“यह तो मुझे भी नहीं पता मामा जी”   “ऐसा कौन सा जरुरी काम था रवि के साथ बताया नहीं जी ” मामाजी भी फिक्रमंद हो गए अभी वो वहीं खड़े थे कि रवि और रणबीर आ गए। रवि ने मामा जी को बताया कि वह रणबीर की फसलें देखने गया था । रवि को ठीक ठाक देकर मामीजी और मामा जी की जान में जान आई ।वह वापिस आने लगे ।मामी जी ने रवि से कहा हमारे फोन पे फ़ोन कर लें सिमर बहुत रो रही थी ।उनके जाते ही रवि ने शर्मा जी के फोन से मामी जी के घर फोन किया। फ़ोन सिमर ने ही उठाया रवि की आवाज सुनते ही वह रोने लगीे । रवि ने उसे कहा कि वह कल सुबह उसे लेने आएगा । रवि रात भर यह सोचता रहा कि उसने महावीर सिंह से कैसे बात करनी है ।

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 11) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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