अधूरा सत्य – लतिका पल्लवी  

रवीश ऑफिस से आया तो उसनें देखा कि घर का दरवाजा पूरा खुला हुआ है।वह यह कहते हुए अंदर गया कि दरवाजा खुला क्यों है? अँधेरा हो गया है कोई अंदर घुस जाएगा और कुछ दुर्घटना घट जाएगी तभी सब को समझ आएगा। तभी उसकी भाभी की आवाज आई भैया बत्ती जला दीजिए और ज़रा देखकर आइये मै यहाँ जमीन पर हूँ।बत्ती जलने पर उसने देखा कि उसकी भाभी आद्या जमीन पर बैठी है।उसने पूछा आप जमीन पर क्यों बैठी है? भाभी नें दर्द से कराहते हुए कहा मै शाम को दरवाजा खोलकर अभी संध्या आरती करने जा ही रही थी कि पता नहीं मेरे पैर कैसे फिसल गया और अब मुझसे उठा नहीं जा रहा है। मै तब से इंतजार ही कर रही थी कि आपके भैया आए तो उनके सहारे उठकर अपने कमरा मे जाऊ,पर पता नहीं आपके भैया अभी तक क्यों नहीं आए। भैया नहीं आए तो क्या हुआ मै तो आ गया। वैसे भी आपकी बहन और सहेलियाँ तो मुझे स्टेपनी कहती ही है। तो चलो स्टेपनी का काम भी कर देता हूँ, रवीश नें आ आद्या से हँसते हुए कहा।सही कह रहे है भैया,आप ही मदद करके मुझे कमरा तक पहुंचा दीजिए। ऐसा कहकर अद्या नें अपना हाथ रवीश की तरफ बढ़ाया।रवीश नें हाथ पकड़ते हुए भाभी से मज़ाक करते हुए कहा काश यह हाथ आपने मुझे हमेशा के लिए दे दिया होता।मै तो जब आपको देखने गया था तब ही सोचा कि वाह!लड़की कितनी सुंदर है।इससे मै ही शादी कर लूँ पर भाई बड़ा है ना इसलिए मन मार कर मैंने समझोता कर लिया और आपकी भाई से शादी करवा दी।पर कोई बात नहीं आप नहीं मिली तो क्या अपनी बहन ही मुझे दिला दो।हाथ पकडकर रवीश नें उठाने की कोशिश की पर आद्या के पैरो मै कुछ ज्यादा ही मोच आ गईं थी।वह उठ नहीं पाई तो रवीश नें उसे गोद मे उठाकर कमरा मेपहुंचा दिया। रवीश नें आद्या और अपने लिए चाय बनाइ।आद्या को चाय पानी देने के बाद उसने पूछा वैसे भाभी आप शाम से ही गिरी हुई थी तो माँ इतनी देर से कहाँ गईं है।आद्या नें कहा रोज़ की तरह मंदिर गईं है पर आज वहाँ कुछ विशेष पूजा है इसलिए देर से आएंगी।आद्या और रवीश नें अपने बातचीत मे ध्यान नहीं दिया था। जब वे दोनों बात कर रहे थे उसी वक़्त उनकी पड़ोसन उनकी माँ से मिलने के लिए आई थी और इन्हे इसतरह से बातचीत करते और रवीश द्वारा आद्या को गोद मे उठाते देखकर बिना कुछ कहे चली गईं थी। थोड़ी देर बाद माँ और कवीश घर पर आए। आद्या को इस हालत मे देखकर उन्होंने घबड़ाते हुए पूछा इसे क्या हुआ है। दोनों के मन मे कोई पाप नहीं था इसलिए रवीश नें हँसते हुए सारी बात कवीश को बताई और कहा स्टेपनी का काम इतना ही भर था अब तुम जाओ और जाकर भाभी को डॉक्टर को दिखा लाओ। आद्या ठीक हो गईं और उनलोगो के लिए यह बात आई गईं हो गईं,पर पड़ोसन को यह बात हजम नहीं हुई।उसने पुरे मुहल्ले मे यह बात फैला दी कि रवीश और उसकी भाभी मे नाजायज संबंध है।एक दूसरे से होते हुए यह बात आद्या की सास के कान मे भी पहुंची। उनकी एक हितैषी नें उन्हें यह बात बताई और सीधे पूछ भी लिया कि तुम्हारी बहू के बारे मे यह सब क्या सुनने को मिल रहा है?उसकी सास को तो कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या कहे पर उन्होंने पूछा कि आपसे किसने कहा? किसने कहा, क्या हुआ यह मै नहीं जानती पर सभी इसपर बात कर रहे है। बहुत जोर देने पर उन्होंने उन्हें जिसने बताया था उसका नाम बताया। फिर आद्या की सास उनके पास गईं। फिर उन्होंने भी एक नाम बताया। करते करते सास उस पड़ोसन के पास पहुंची जिसने यह बात पुरे मुहल्ले मे फैलाई थी।वहाँ जाकर जब उन्होंने अपने पड़ोसन से पूछा कि आपको किसने बताया है तो उसने कहा कि बहन मैंने स्वयं अपनी आँखो से सब देखा है। मै तुम्हे दुख नहीं पहुंचना चाहती पर यह बात एकदम सही है और उन्होंने उस दिन जो भी देखा था सब उन्हें बता दिया।पड़ोसन की बात सुनकर उन्हें समझ मे आ गया कि बात क्या है। इसके बाद उन्होंने पड़ोसन को बहू के पैर मे मोच आने की और देवर भाभी के हँसी मज़ाक मे की गईं बातो को उनके द्वारा गलत अर्थ मे समझ लेने की गलती को बताया और साथ ही उन्हें पूरी बात जाने बिना अपने छोटे बेटे और बहू के चरित्र के उपर कीचड़ उछालने के लिए बहुत ही फटकार लगाई।

मुहावरा —कीचड़ उछालना

लतिका पल्लवी  

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