अधपकी सब्जी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मम्मी….. मम्मी….आज टिफिन में सब्जी काहे का दी थीं…..?

 क्यों… क्या हुआ…? 

   आरंभ के प्रश्न पर स्वरा ने भी आश्चर्य से प्रश्न ही कर डाला….! 

     बहुत तारीफ हुई सबको बहुत पसंद आया…. वैसे तो मेरे टिफिन की हर रोज ही तारीफ होती है पर आज सब्जी तो वाकई कमाल का बना था….।

बेटा मिक्स वेज ही तो था…. सब थोड़ी थोड़ी सब्जी बची थी.. बस मिलाजुला कर बना दिया था… चलो अच्छा है सबको पसंद आया… स्वरा ने खुश होते हुए कहा….।

 मेरे ऑफिस मैं तो लोग मजाक भी करते हैं ….कहते हैं ….सर अभी मां है ना तो एक से एक वैरायटी लंच बॉक्स में होता है … बीवी आ जाएगी तो अंकुरित चना , मूंग ही नाश्ते में मिलेगा ….! आरंभ ने भी हंसते हुए मां की तारीफ की….। 

     अरे ऐसी बात नहीं है बेटा …आजकल के बच्चे बहुत ही स्मार्ट है…. देखना मेरी बहू मुझसे भी अच्छा खाना बनाएगी…..

   वो भी देख लेंगे मम्मी…. कहकर आपस में सब हंसी मजाक कर रहे थे…।

 अगले दिन सुबह स्वरा को उठने में देर हो गई….

मम्मी… ओ मम्मी… टिफिन बन गया है क्या..? 

     मेरा टाइम हो गया ..मैं चला…

    बाइक स्टार्ट करते करते जोर से आवाज देकर आरंभ ने स्वरा से पूछा…. 

       हां बेटा बस एक मिनट …लाई… चले मत जाना… कहते हुए स्वरा गैस का फ्लेम तेज कर जल्दी-जल्दी सब्जी को उलट-पुलट करने लगी …एक प्लेट में निकाल कर फटाफट पंखे में ठंडा कर रही थी …इतनी हड़बड़ी में थी कि कहीं आरंभ बिना टिफिन लिए ही चला ना जाए…. आनन-फानन में टिफिन डब्बा पकडाते हुए कहा… आज थोड़ी देर हो गई बेटा…! कोई बात नहीं मम्मी ….कह कर आरंभ भी  टिफिन ले कर जल्दी से निकल गया….।

 आरंभ के जाने के बाद पूरे दिन स्वरा सोचती रही… पता नहीं कैसा बना होगा सब्जी ….? अच्छे से पका भी या नहीं … नमक ठीक तो था ना …जल्दी-जल्दी में कुछ याद भी नहीं … आज सो कर उठने में जाने कैसे देर हो गई… कल से थोड़ा जल्दी उठूंगी और रात में ही सब्जी काट कर रख लूंगी… तो सवेरे इतनी हड़बड़ी नहीं रहेगी… !

कल के लिए न जाने कितने प्लान स्वरा ने मन ही मन बना डाले…!

 साल भर पहले ही तो आरंभ की नौकरी लगी थी… पोस्टिंग दूर है सो दुपहर के लिए टिफिन लेकर जाता है…

 अगले दिन स्वरा नियत समय से पहले ही उठ कर …कम तेल में धीमी आंच पर धीरे-धीरे पकाते हुए सब्जी बनाकर …एकदम सही समय पर तैयार कर दी… बस अब क्या था… प्रतिदिन स्वरा ने उठने का समय ही जल्दी कर दिया…। कभी-कभी तो रात में ही सारी तैयारी करके रख लेती थी….।

 आरंभ रोज देखता …मम्मी अब कुछ ज्यादा ही अपने काम के प्रति सक्रिय रहने लगी हैं… उनका पूरा ध्यान पापा और मेरे ऊपर ही होता है …उनकी बढ़ी हुई व्यस्तता साफ दिखाई दे रही थी…।

 रात में भोजन करने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए ….आरंभ भी अपने कमरे में चला गया.. स्वरा अगले दिन के लिए सब्जी काटने बैठी ….इसी बीच आरंभ आया ….मम्मी को सब्जी काटते देख बोला अरे मम्मी अभी सब्जी क्यों काट रही है….? बेटा वो सुबह जल्दी जल्दी में समय नहीं मिलता है… 

 देखा ना… परसों कैसे देर हो गया था …जल्दी-जल्दी में तुझे अधपका सब्जी ही दे दी थी …पता नहीं कैसा लगा होगा….।

 अरे मम्मी … हां मैं तो बताना ही भूल गया था …उस दिन की अधपकी सब्जी बड़ी स्वादिष्ट लग रही थी ….क्रंची क्रंची ….. वैसे ही बनाया कर …..सब तारीफ कर रहे थे… और वैसे भी मम्मी ज्यादा पकाने से सब विटामिन नष्ट हो जाते हैं ….वैसे ही अधपका.. कच्चा पक्का खाना चाहिए…। 

 चल … ना …मम्मी  ….इतनी रात में पापा टीवी में न्यूज़ देख रहे हैं… मैं भी मस्त मोबाइल चला रहा हूं …..और तू अकेली बैठकर सब्जी काट रही है….. चल …चल ….कमरे में जा… आराम कर …..और वैसे भी मम्मी तीन रोटी ही तो खाता हूं किसी तरह भी खा लूंगा….. इतना परेशान क्यों होती है…।

 आरंभ ने हाथ पकड़ कर स्वरा को काम करने से मना कर दिया…. स्वरा मन ही मन सोच रही थी… जानती हूं बेटा…… मेरी सुविधा के लिए तू अधपकी सब्जी को… क्रंची क्रंची कहकर तारीफ कर रहा है….. अरे मां हूं मैं तेरी….. तेरे नस नस से वाकिफ हूं….. एक दिन गोभी ठीक से गला नहीं था…. तो तू पूरी सब्जी छोड़ दिया था …आज चला है बड़ा क्रंची क्रंची खाने….!

 खैर…… मैं सवेरे देख लूंगी …स्वरा कमरे में आकर सोचने लगी ….तीन रोटी खाता है… पर मैं टिफिन में हमेशा पांच रोटी देती हूं…. क्योंकि मैं जानती हूं …..ये हमेशा दैनिक कर्मचारी को जरूर खिलाता है … वो टिफिन जो नहीं लाते हैं …. 

      सब्जी भी जानबूझकर ज्यादा देती थी… ताकि बांट कर खाने के बाद भी आरंभ के लिए पर्याप्त बचे….।

 बेटा… कभी-कभी काम की अधिकता खीझ की वजह तो बन जाती है…. पर हर मां की ख्वाइश होती है…कि वो बच्चे पति की पसंद के अनुसार बेहतर से बेहतरीन खाना बना कर खिलाए…. जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी आवश्यक हो….। इस खाने में प्यार तो होता ही है स्वाद और सेहत से कभी समझौता नहीं होता….।

 मम्मी तू फिर …..नहीं मानेगी ….सबके साथ टीवी क्यों नहीं देखतीं…. आराम क्यों नहीं करतीं …अगले दिन स्वरा को रात में काम में उलझा देखकर आरंभ ने पूछा…

 चुप रहेगा आरंभ….अब मुझे मत सिखा और मत बता…. कि मुझे कैसे सब्जी बनानी है और तुझे कैसी सब्जी पसंद है ……बेटा सेहत को ध्यान में रखते हुए कम तेल डालकर धीमी आंच पर पकी सब्जी तुझे बेहद पसंद है…।

 आरंभ ….तू मेरे काम को आसान करने के लिए अपने स्वाद से समझौता करने को तैयार है ……

   तो मैं भी तो तेरी ही मां हूं ना बेटा ……! आरंभ मां के प्यार और ममता के आगे निरुत्तर हो गया…..।

दोस्तों…. मां बेटे के प्यार भरे रिश्ते की मेरी कहानी आपको कैसी लगी … जरूर बताएं ..!

(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित रचना)

✍️ संध्या त्रिपाठी

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