अधिकार – पल्लवी बंसल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : रामा आज दो राहों पर खड़ी थी एक तरफ उसका प्यार दूसरी तरफ उसकी ममता उसके कलेजे का टुकड़ा जिसे वह कभी अपने से अलग करने के बारे में सोच भी नहीं सकती । 

 अपने पति रवि से तलाक लेने के बाद किट्टू के लिए ही अपना जीवन समर्पित करने की सोच चुकी थी। सब कुछ शांत और अपनी गति से चल रहा था तभी नीरज ने उसकी जिंदगी में प्रवेश किया। किसी सहकर्मी के घर ही पार्टी में हुई मुलाकात बच्चे के बहाने ही नजदीकियां बढ़ने लगी। मित्रता से शुरू हुआ यह संबंध चाहत में बदलने लगा। अब तो नीरज रामा की जिंदगी बन गया। वह एक बार भूल गई की ओ एक स्त्री ही नहीं बल्कि एक मां भी है। 

आखिर एक दिन नीरज ने अपना फैसला सुनाया रामा मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं ।रमा इंतजार करने लगी कि आगे वह कुछ कहेगा पर नीरज बात करते-करते कहीं खो सा जाता। 

 रमा ने अपने स्नेहिल हाथ नीरज के कंधे पर रखते हुए पूछा नीरज बोलो क्या बात है। 

  नीरज ने रामा को देखते हुए बोला रामा तुम जानती हो मैं किट्टू से बहुत प्यार करता हूं पर हम चाहते हैं कि हम दोनों के विवाह के बीच किट्टू हम लोग के बीच नहीं बल्कि हॉस्टल में रहे। उसका  सारा खर्चा हम उठाएंगे ।यह सुन रमा चौक गई ,तुम कैसी बात करते हो नीरज मैंने तो तुमसे शादी करके किट्टू को मां और पिता दोनों का प्यार देना चाहती थी । मैं जब रवि से तलाक ली थी तो किट्टू सात महीने का था मैं मां-बाप के देहरी पर भी नहीं गई खुद पर भरोसा कर नौकरी करने लगी। पड़ोसियों सहकर्मियों के मुक व्यंग प्रश्नों की परवाह किए बिना आगे बढ़ती रहि। नीरज तुम मजाक तो नहीं कर रहे। 

रमा तुम समझती क्यों नहीं भविष्य में कोई गलतफहमी  ना हो इससे अच्छा है कुछ बातें पहले ही साफ हो जाए। रमा बुदबुदाइ नीरज तुम जानते हो मैं अपने बच्चे के बिना नहीं जी सकती । 

रामा तुम अभी उन बातों के बारे में नहीं समझ पा रही हो। मैं उसे कितना भी प्यार दूंगा पर कहलाऊंगा सौतेला बाप ही ऐसे माहौल में क्या उसका विकास ठीक ढंग से हो पाएगा ।तुम्हें किट्टू को हॉस्टल मे रखने में परेशानी जरूर होगी पर मेरा फैसला यही है। 

  रामा फूट पड़ी कि यह सच है कि तुम्हें मैं जीवन साथी के रूप में देखना चाहती हूं पर यह भी सच है कि मैं अपनी किट्टू को खुद से अलग नहीं कर सकती नीरज तुम एक बार फिर से पुनर्विचार करो। 

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 रमा मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं मैं तुमसे जुदाई तो बर्दाश्त कर लूंगा पर तुम्हारे साथ रहते हुए अविश्वास और झुंझलाहट को नहीं बर्दाश्त कर पाऊंगा मैं फिर आऊंगा कहते हुए नीरज बाहर निकल गया। 

  नीरज को जाते ही रामा होश में आ गई और फूट-फूट कर रोने लगी बगल में सोते हुए किट्टू को देखने लगी नीरज जब भी घर आता था किट्टू दौड़ कर उसकी गोद में चल जाता था ।नीरज भी उसके लिए ढेरों  टॉफिया और खिलौने लेकर आता था

उन दोनों को देखकर निहाल हो जाती थी वो। वह नीरज को जीवनसाथी और बेटे के पिता के रूप में देखने लगी थी । सोचती किसी दिन बेटे से कहेगी नीरज ही तुम्हारे पापा है बेटा ।सपनों का महल बनने से पहले ही टूट गया। 

  उसे रह रह कर नीरज से हुई बहसें याद आ रही थी। ‘ नीरज प्यार शर्तों का मोहताज होता है क्या ? तुम एक मां की फीलिंग समझ सकते हो ?इतने छोटे बच्चे को कैसे अलग कर सकती हूं मैं? उसे नीरज की कही हर बात याद आने लगी ।…. हॉस्टल का खर्चा हम उठाएंगे। 

  नहीं, वह नीरज से प्यार जरूर करती है लेकिन बेटे की कीमत पर वह शादी नहीं कर सकती । अंत में उसने फैसला ले लिया वह केवल मां होकर जिएगी ।वह अपने बच्चे को अकेले बड़ा करेगी। पता नहीं क्यों वह सोचने लगी कि बच्चे को पिता मिल जाए। अगली बार नीरज आएगा तो साफ कह देगी कि शादी का फैसला गलत था किन्ही कमजोर क्षणों में उसने ऐसा सोच लिया लेकिन अब वह दुविधा से बाहर निकल चुकी है। नीरज अपनी जिंदगी नए ढंग से शुरू करें। अच्छा हुआ जो उसने अपनी दुविधा पहले जाहिर कर दी शादी के बाद ऐसा होता तो निर्णय लेते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। 

   नहीं, किट्टू मेरा है और इसकी जिंदगी के फैसले का ‘अधिकार ‘सिर्फ मेरा है। 

           स्वरचित- पल्लवी बंसल (पटना)

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