बहू यह क्या सुन रही हूँ ?चिंटू कह रहा है कि मेरी माँ मैडम बनेगी। मै समझी नहीं वह क्या कहना चाहता है। क्या तुम नौकरी करने की सोच रही हो? तुम्हे पता नहीं है कि हमारे घर की बहूऐं नौकरी नहीं करती है?तुम्हारे नौकरी करने से समाज मे हमारी कितनी बेइज्जती होंगी तुमने सोचा है?
जब महेश था तब भी हमने तुम्हे नौकरी नहीं करने दिया तो तुमने यह कैसे सोच लिया कि उसके जाने के बाद हम तुम्हे नौकरी करने देंगे? तुम क्या चाहती हो कि समाज मे लोग यह कहे कि बेटा के नहीं रहने पर इनलोगो को पोता -पोती और बहू इतने भारी लगने लगे कि बहू से नौकरी करवाने लगे?
मंजूला की सासु माँ उसपर लगातार चिल्लाए जा रही थी। उसे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दे रही थी। मंजूला नें MCA किया था उसे नौकरी करने का बहुत मन भी था पर उसके पिता नें उसके जिद करने पर उसे पढ़ा तो दिया था पर नौकरी करने की बात पर कहा कि पढ़ाने को बोली तो मैंने पढ़ा दिया ना? पर अब हम बेटी की कमाई नहीं खाएंगे ,
समाज मे क्या जबाब देंगे? सभी कहेंगे कि बेटी को घर बैठा कर उसकी कमाई खा रहे है। तुम्हे जो भी करना होगा अपने ससुराल मे जाकर करना। मै तो तुम्हारी शादी करके जिम्मेदारी मुक्त होना चाहता हूँ।उसके बाद पिता नें अपने जैसे ही एक व्यपारिक परिवार मे मंजूला का विवाह कर दिया। ससुर का कपड़ा का दुकान था।
मंजूला के पति और देवर दोनों ही अपने पिता के साथ दुकान मे हाथ बटाते थे। ससुराल मे किसी चीज की कमी नहीं थी।नौकरी की बात करने पर यहाँ भी वही समाजिक प्रतिष्ठा की बात आड़े आ गईं। पति नें कहा तुम्हे किस चीज की कमी है जिसके लिए नौकरी करनी है?सास नें कहा यह सब सोचना बंद करो और घर गृहस्थी पर ध्यान दो।हमारे घर की बहूए घर संभालती है नौकरी नहीं करती।
मंजूला की नौकरी करने का शौक मायके ससुराल के प्रतिष्ठा के कारण मन मे ही धरे के धरे रह गए। कुछ दिनों बाद उसे एक एक कर के दो बच्चे हो गए।बस वह भी उन दोनो मे ही व्यस्त रहने लगी और नौकरी की बात भूल गईं। पर सास नहीं भूली थी जैसे ही बच्चे नें कहा कि माँ मैडम बनेगी उन्हें महसूस हुआ कि बहू शायद नौकरी करना चाहती है क्योंकि उनका बड़ा बेटा अब उनके साथ नहीं है।
बहू के कुछ निर्णय लेने से पहले ही उन्होंने सोचा कि उसपर दवाब बना दिया जाए नहीं तो बाद मे रोकना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वे लगातार बहू को डांटे जा रही थी। उनके चिल्लाने की आवाज को सुनकर मंजूला की ननद अपने कमरे से बाहर निकल कर आई और कहा माँ क्यों इतना जोर जोर से चिल्ला रही हो?मुझे पढ़ने मे दिक्कत हो रही है। मुझसे क्या पूछती है अपनी भाभी से पूछ कि वह क्या करने कि कोशिश कर रही है।मेरे पूछने पर जबाब भी नहीं दे रही है।
यह सुनकर उसने मंजूला से कहा भाभी माँ आपसे क्या पूछ रही है? आप उसका जबाब क्यों नहीं दे रही है? आपको पता है ना कि आप जब तक जबाब नहीं देंगी तब तक माँ चुप नहीं होंगी फिर ऐसा क्यों कर रही है? थोड़ा तो मुझ पर रहम खाओ। ठीक है आप जाकर पढ़िए।मै माँ से बात करती हूँ। ननद के जाने के बाद मंजूला नें अपनी सास से कहा आपने सही समझा है
मै नौकरी करने वाली हूँ।सास नें गुस्साते हुए कहा अब इस बात पर तुम्हारे ससुर ही कुछ फैसला करेंगे। रात मे खाना खाने के बाद मंजूला की सास नें दिन मे जो कुछ भी हुआ था उसे अपने पति को बताया।उनकी बातो को सुनकर उन्होंने कहा कि जाओ जाकर बड़ी बहू को बुलाकर लाओ।
मंजूला के आने के बाद उन्होंने उससे पूछा बड़ी बहू तुम्हारी सास जो कुछ कह रही है क्या वह सच है। जी पिताजी मंजूला नें कहा।मंजूला का जबाब सुनकर उसके ससुर नें फिर उससे पूछा तुम्हे इस घर मे किसी चीज की कमी हो रही है? क्या महेश के नहीं रहने से तुम्हारी किसी अवश्यकता की पूर्ति नहीं हो रही है या तुमने मुझे इतना असमर्थ समझ लिया है कि मै अपने बेटे के नहीं रहने पर उसके दायित्व की पूर्ति नहीं कर सकूँगा, उसके पत्नी और बच्चो का भरण पोषण नहीं कर पाउँगा?
मै अभी जिन्दा हूँ तुम्हे चिंता करने की आवश्यकता नहीं है और मरने के पहले तुमलोगो के भविष्य की भी सुरक्षा करके जाऊंगा।अपने ससुर को इतना असमर्थ नहीं समझो बहू। तुम्हारे इस निर्णय से मेरे मन को बहुत ही ठेस लगी है। वैसे तुम जो करोगी मै तुम्हे रोकूंगा
नहीं पर इस बूढ़े ससुर की इज्जत अब तुम्हारे हाथो मे है। ससुर के चुप होने पर मंजूला नें उनसे कहा पिताजी आप जो सोच रहे है वैसा कुछ भी नहीं है। मेरी मंशा आपके मन को ठेस पहुंचाने की नहीं है और नाही मुझे यहाँ किसी चीज की कमी है। मुझे आपके सामर्थ्य पर भी कोई अविश्वास नहीं है। बात मेरे बच्चो के
सम्मान की है और मेरे सामर्थ्य की है। क्यों ऐसा क्या हुआ जो तुम्हे अपने बच्चो के सम्मान कि चिंता होने लगी? किसी नें कुछ कहा है क्या उनसे? और तुम्हे अपना सामर्थ्य किसे दिखाना है? ससुर नें चिंता व्यक्त करते हुए पूछा।मंजूला नें कहा सामर्थ्य अपने बच्चो को दिखाना है। मानती हूँ कि मुझे या मेरे बच्चो को यहाँ किसी भी वस्तु की कमी नहीं है पर अपने पिता के द्वारा प्राप्त वस्तु मे जो
अधिकार की भावना बच्चो मे आती है वह अघिकार की भावना दादाजी या चाचा के द्वारा प्राप्त सामान मे नहीं मिल सकती है। उसे बच्चे हमेशा कृतज्ञता की भावना से ही लेंगे। मेरे बच्चो के मन मे एक ऐसी हीनभावना भर जाएगी जो बड़े होकर अपने पैरो पर खडे होने के बाद भी नहीं निकल पाएगी। बहू यह सब जो तुम कह रही हो उसका आधार क्या है ?ससुर जी नें पूछा। आज से दश बारह
दिन पहले मिंटू एक खिलौने से खेल रहा था जिसे देखकर चिंटू नें कहा तुमने कहा से खरीदा है। मिंटू नें कहा पापा नें खरीदा है।मै भी खरीदूंगा चिंटू नें कहा। इसपर मिंटू नें कहा मै जो भी सामान लेता हूँ तुम भी उसे मेरे पापा से मंगवा लेते हो। तुम्हारे पापा भगवान के पास चले गए तो क्या तुम अब हमेशा सभी कुछ मेरे ही पापा से मांगोगे? मानती हूँ कि यह सब सुनकर छोटी नें मिंटू को बहुत
डांटा पर बच्चे के मन मे यह बात तो घर कर ही गईं कि उसे अब हमेशा मिंटू के पापा से ही कुछ भी माँगना है। बाद मे उसने मुझसे पूछा कि माँ क्या पैसे पापा ही कमा सकते है जिसके पापा भगवान के पास चले जाते है उनके बच्चे ऐसे ही दुसरो से माँग कर काम चलाते है?क्या आप पैसे नहीं कमा सकती?आप हमारे लिए कुछ नहीं खरीद सकती? अब आप ही बताइये कि मै चिंटू को क्या जबाब
?क्या मै इतनी असमर्थ हूँ कि अपने पति के निशानी अपने बच्चो का सही ढंग से पालन पोषण भी नहीं कर सकती?दोनों पति पत्नी एकदम चुप खडे थे उन्हें कोई जबाब ही नहीं सूझ रहा था। जबाब दिया देवर नें जो सारी बात जानकर अपने पिता के कमरा मे यह जानने आया था कि पिताजी भाभी से क्या कह रहे है। भाभी आप पूर्णतः समर्थ है। आप कोई भी काम कर सकती है। गलती मेरी है।
मुझे पहले ही इस परिस्थिति का आंकलन करना चाहिए था। घर मे जब दो बच्चा है तो हमेशा दो सामान लाना चाहिए था पर मै हमेशा सोचता था कि एक ही जैसा दो क्या खरीदना है जिसको जो खिलौना पसंद होगा उसे वह दिला दिया जाएगा। पर मेरी इस गलती का एक फायदा भी हुआ कि आज हमें यह समझ आया कि बच्चे जितना अघिकार अपने माता पिता पर रखते है उतना किसी
पर नहीं रख सकते है। भाभी आपको काम करना है कीजिए पर अपने दुकान पर। आपको कम्प्यूटर का अच्छा ज्ञान है और आजकल सभी काम ऑनलाइन ही हो रहा है तो अब कल से आप दुकान का सारा हिसाब कम्प्यूटर पर लोड करके संरक्षित करेंगी। मेरे इस फैसले पर किसी को आपत्ति है? नहीं किसी को भी नहीं सभी नें एक स्वर मे कहा।
विषय —असमर्थ
लतिका पल्लवी