अधिकार कैसा? – विनीता सिंह

रोशनी जब आठ साल की थी। तब उसकी मां की बीमारी से मृत्यु हो गई। उसके पिता अब रोशनी को ही उसकी मौत का जिम्मेदार समझते और दिन पर दिन उस से नफ़रत करते कहते जब इसका जन्म हुआ तब से उनकी मां बीमार रहने लगी यह बहुत ज्यादा अभागी है और उन्होंने बहुत18साल की उम्र में रोशनी की शादी रोहन से कर दी रोहन एक फैक्टरी में नौकरी करता ।

रोशनी भी को बचपन से सुख नहीं मिला वह रोहन के घर पर पूरा घर का काम करती और उसका ध्यान रखती थी उसने रोहन से कभी कोई अधिकार नहीं मांगा वह हमेशा अपना काम बड़ी मेहनत से करती और रोहन के प्रति हर कर्तव्य का पालन करती थी वह अपने काम में लगी रहती एक दिन रोहन एक सोने का कंगन लेकर आया

और उसने रोशनी के हाथ में पहनाते हुए।कहा तुम मेरे घर ही नहीं बल्कि मेरे दिल की रानी हो रोहन के यह शब्द सुनकर रोशनी को इतनी ज्यादा खुशी हुई की आज इनके दिल में मेरे लिए जगह है इन पर मेरा अधिकार है। लेकिन कहते हैं समय का कुछ पता नहीं एक दिन फैक्ट्री में रोहन का एक्सीडेंट हो गया इसका एक पैर खराब हो गया

अब वह वहां काम नहीं कर पा रहा था उसकी नौकरी छूट गई फिर रोशनी भी ने काम करना शुरू किया उसने एक सिलाई मशीन ली और लोगों को कपड़े से नहीं लगी जिसके घर का गुजारा हो सके वह दिन भर काम करती और रात में बैठ कर सिलाई करती थी यह बात रोहन को पसंद नहीं थी ।

उसने कहा एक दिन उसने गुस्से में रोशनी से कहा मैं अपाहिज हो गया हूं तुम पर बोझ हो गया हूं इसलिए तुम रात काम करती हो ।

तुम पर मेरा कोई अधिकार नहीं है जब यह बात रोशनी नहीं सुनी तो उसके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। मैं इतने सालों से रह रही थी उसे घर पर मेरा अधिकार नहीं अब मेरा यहां रहने से क्या फायदा ।तभी रोशनी ने अपने कपड़े एक बैग में रखे। और घर से निकलने के लिए तैयार हुई ।

तब रोहन सोचने लगा अगर यह चली जाएगी तो मैं बाकी की जिंदगी कैसे मैं रोशनी से माफी मांगने लगा बोला मुझे माफ कर दो अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी उसने क्या करती रोशनी को छोड़कर भी कहा जा सकती थी

क्योंकि उसके अलावा उसकी इस दुनिया में और कोई था ही नहीं कभी-कभी मजबूरी में भी लोगों को एक दूसरे के साथ रहना ही पड़ता है जैसे की रोशनी रोहन के साथ कहीं-कोई अधिकारों नहीं उससे ज्यादा कर्तव्य का महत्व होता है।

रोशनी अपने अधिकार भूल अपने कर्तव्य का पालन कर रही थी।

विनीता सिंह

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