अधिकार कैसा – सीमा सिंघी

आज नए घर की गृह प्रवेश की पूजा रखी गई थी ।जिसमें परिवार के लोग और नाते रिश्तेदार भी सम्मिलित हुए थे जिसकी वजह से घर पर चहल पहल बनी हुई थी। पूजन की सामग्री जुटाने के लिए सासू माँ और रसोई का काम मेरी देख रेख में ही हो रहा था कि अचानक मेरी चाची सास मेरी सासू मां से बोल उठी। 

अरे जीजी इस नए घर में भी आप अपना अधिकार बनाए रखना,कहीं ऐसा ना हो, इस नए घर में पुराने घर की वस्तुओं की तरह आप भी मूल्यहीन हो जाओ। 

मैं जो कहना चाह रही हूं। आप समझ रही हो ना क्योंकि आजकल ऐसा ही चलन हो गया है।

आज कि इस भागती दौड़ती जिंदगी में घर वालों के बीच बुजुर्गों का अब पहले जैसा सम्मान कहां रहा है। किसे फुर्सत है दो घड़ी बातें कर लेने की। 

चाची सास की बात सुनते ही मेरी सासू मां तुरंत बोल उठी। अरे सुमी वह तो तब होगा। जब मैं सम्मान तो चाहूंगी मगर उन्हें प्यार करना छोड़ दूंगी बस सिर्फ बैठे-बैठे सेवा की उम्मीद लिए पारिवारिक सदस्यों के मेरे करीब बैठते ही खरी खोटी सुनाने लगूंगी। बुढ़ापे को कोसने लगूंगी। मेरी नज़रें उनकी फिक्र करने की जगह बस उन पर नज़रें बनाए रखने में ही होगी ।

 जब मैं उन्हें प्यार नहीं करूंगी तो सम्मान पाने का भी मेरा अधिकार कैसा। आजकल आमतौर पर यही तो होते आया है। सच कहूं तो दोनों के बीच के अंतराल की यही वजह होती है।

 तुमने अभी-अभी कहा, नए घर में पुरानी वस्तुओं की तरह मूल्यहीन ना हो जाऊं।

 सच कहूं तो पुरानी मूल्यवान वस्तु हर जगह मूल्यवान ही बनी रहती है चाहे वह नया घर हो या कहीं ओर इसीलिए सुमी बुजुर्गों को भी खुद को मूल्यवान बनाने के लिये यानि कि सम्मान पाने के लिए सबको साथ लेकर चलना होगा। 

आज की युवा पीढ़ी की व्यस्तता भी हमें समझनी होगी। देखो सुमी बहु बेटियां पहले कहां नौकरियां करती थी कहां ऑफिस जाती थी।

 मगर आज तो जमाना बहुत बदल गया है तो हमें भी जमाने के साथ चलना ही होगा। तभी हम सम्मान पा सकते हैं और जहां सम्मान होगा वहां अधिकार कैसा। 

मैं तो कहती हूं बुजुर्गों को भी अधिकार की जगह प्यार को अहमियत देनी चाहिए तो ज्यादा बेहतर होगा ताकि इसके सहारे परिवार के सभी सदस्य हमारे करीब दौड़े दौड़े चले आए । समझी सुमी। मेरी चाची सास सासू मां की बात को समझते हुए हौले से कहने लगी। 

हां जीजी आप सही कह रही हैं । हमें भी अधिकार से पहले प्यार देना होगा कहकर चाची सास मेरी सासू मां के कार्य में उनका बड़े प्रेम से हाथ बंटाने लगी। मैं भी सासू मां की अनुभव और समझदारी देखकर प्यार से उनके प्रति नतमस्तक हो गई क्योंकि अभी-अभी उन्होंने बिन कहे ही मेरे आंचल में ढेर सारा प्यार जो डाल दिया था।

स्वरचित 

 सीमा सिंघी

 गोलाघाट असम

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