अब कभी किसी से सासू मां की बुराई ना सुनूंगी – मधु वशिष्ठ

भावना जी जितनी सर्वगुण संपन्न थीं, लगभग उसी अनुपात में उनकी बहू भी थी। हालांकि कॉलोनी में सभी का ख्याल था कि भावना जी के तेज़-तर्रार स्वभाव के रहते किसी भी बहू का टिकना नामुमकिन ही है। सोने पर सुहागा यह कि वह सर्वगुण संपन्न भी थीं। सिलाई, कढ़ाई, बुनाई या घर का काम हो, शायद ही कोई काम ऐसा हो जिसमें कि भावना जी कमतर हों। सुंदरता में भी कोई उनका सानी ना था। इस उम्र में भी अपने रखरखाव पर वह पूरा ध्यान देती थीं। घर में और बाहर उनकी बढ़ती हुई पूछ के कारण उनमें घमंड भी काफी मात्रा में था।

उनकी पीठ पीछे बात करते हुए अक्सर औरतें कहती थीं कि जब इनकी बहू आएगी तभी इन्हें पता पड़ेगा। यह किसी को भी अपने सामने, कुछ नहीं समझती| बहू के आने के बाद ही इन्हें आटे दाल का भाव मालूम होगा। बस ऐसी ही बातें करके कुछ दुखी आत्माएं अपने मन को संतोष दे दिया करती थीं।

लेकिन यहां तो उनकी बहू प्रिया को भी आए 6 महीने हो गए लेकिन भावना जी की अकड़ तो अब पहले से भी ज्यादा हो गई थी। हालांकि उनकी बहू तो अपने में ही व्यस्त रहती थी लेकिन भावना जी उसकी तारीफ में अनेकों पुल बांधती रहती थीं।

दो-तीन दिनों के लिए भावना जी को अपनी बेटी के घर जाना पड़ा, तभी जाने या अनजाने रमा ताई भावना जी के घर गई| बहुरानी से यथोचित आदर सत्कार कराने के बाद बोली “मैं तो तुम्हारी सासू से अपनी पोती की फ्रॉक का कपड़ा कटवाने के लिए लाई थी| सुनने में तो आया है कि तुम भी अच्छी सिलाई जानती हो, क्या तुम काट दोगी? माना बहुरानी को अच्छी सिलाई आती भी हो, पर अधिकतर उसने अपने सूट या ब्लाउज भी बनाए थे| अब ना तो उससे मना करते बना, ना हां करते। रमा ताई के जिद करने पर उसने फ्रॉक का कपड़ा काटकर दे दिया।

बहुत दिनों बाद यूं ही आंगन में और औरतों के साथ बातें करते हुए जब सासू मां के चिल्लाने की आवाज आई तो वह भी बाहर आ गई| सासू मां जोर जोर से उन औरतों को कह रही थीं “रमाताई की हिम्मत कैसे हुई मेरी बहू के लिए कुछ भी कहने की? उस समय मेरे पीछे बेचारी पूरा घर संभाल रही थी अपने काम में व्यस्त थी जो समय उसने उसका कपड़ा काटा वह सो भी सकती थी, आराम भी कर सकती थी| इस बात के लिए उसकी तारीफ तो करने से गई पूरी कॉलोनी में फैला रही है बहू को काम करना नहीं आता। उसको खुद को कपड़े सिलने आते हैं क्या? उसे तो मैं देख लूंगी।

जब उन औरतों के साथ सभा भंग हुई और सासू मां अंदर आई तो प्रिया ने बेहद डरते डरते कहा “हो सकता है मम्मी मेरे से ही कपड़ा काटने में कुछ गलती हो गई हो। यूं भी मुझे फ्रॉक काटने का अनुभव तो नहीं है।”

भावना जी हंस कर बोली “बेटा जो भी हो, तू मेरी बेटी है| यूं ही थोड़े ही ना किसी को भी तेरी बुराई करने दूंगी। अगर बेटा तुझे कोई काम ना समझ में आए तो बेशक मना कर दिया कर। घर में भी तो हर दिन तुम हर काम अच्छे से सीख कर कर ही तो रही हो। मेरे होते हुए तुम बिना वजह परेशान मत हो।”

प्रिया भी हैरान थी, सच पूछो तो सबने उसको भी सासू मां के गर्म स्वभाव की बहुत सी कहानियां सुनाई थीं| लेकिन सासू मां किसी के लिए भी सासू मां हो उसके लिए तो सिर्फ एक मां थी और आज उसे एहसास हो रहा था कि वह भी अब किसी से अपनी मां के लिए कोई बुराई ना तो सुनेगी और ना ही करेगी।

– मधु वशिष्ठ

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