अब बस और नहीं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

आज बहुत दिनों बाद रमा की सहेली नेहा उसके घर आई तो रमा बहुत खुश हुई।कहने को दोनों एक ही बिल्डिंग में रहती थीं पर दोनों का मिलना लिफ्ट में या फिर मॉर्निंग वॉक के समय ही होता था।रमा चाय नाश्ता लेकर आ गई।बातों ही बातों में नेहा के पति का जिक्र चला तो नेहा का चेहरा उतर गया।उसकी आंखों में आसूं आ गए।”

तुम रो क्यों रही हो नेहा? क्या कमी है तुम्हें…ईश्वर का दिया सब कुछ तो है तुम्हारे पास।”

“क्या बताऊं दीदी? यही तो रोना है कि सबको मेरा गाड़ी,मकान सुख सुविधाएं सब दिखाई देता है पर मेरा दर्द किसी को दिखाई नहीं देता।”

“ऐसा क्या हुआ तुम्हारे साथ?” रमा दुखी होते हुए बोली।

“हमारा प्रेम विवाह हुआ था।रोहित और मैं एक ही कंपनी में काम करते थे।रोहित आकर्षक व्यक्तित्व का धनी था मैं उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी।रोहित भी मुझे पसंद करने लगा। हम दोनों ने शादी करने का निर्णय कर लिया।रोहित के घर वालों को कोई एतराज नहीं था पर मेरे घर वालों को ये रिश्ता पसंद नहीं था।इसका एक कारण तो ये था कि रोहित ने सिर्फ इंजीनियरिंग किया था

जबकि मैने इंजीनियरिंग और एम.बी ए.किया था।दूसरा रोहित दूसरी जाति का था।जैसे तैसे मैंने अपने माता-पिता को विवाह के लिए राजी कर लिया।शादी के कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चला।मेरी तरक्की होती गई और रोहित वहीं के वहीं रहा गया।मेरे व्यवहार में कोई अंतर नहीं आया पर रोहित हीन भावना से कुंठित रहने लगा।

बात बात पर मुझसे झगड़ा करता और कहता कि मुझे अपने एम.बी ए.का बहुत घमंड है।मैं शांत रहकर उसे समझाती कि ऐसा कुछ भी नहीं है पर वो अपनी हीन भावना से उबर ही नहीं पा रहा था।वो दिन प्रतिदिन और उग्र होता जा रहा था। बात बात पर मुझपे हाथ उठाने लगा।कभी कभी तो मेरे चरित्र पर भी छींटाकशी करता।उसे लगता कि मेरी तरक्की इसलिए हो रही है

क्योंकि मेरे बॉस से नजायज रिश्ते हैं।जबकि ऐसा कुछ नहीं था मैं अपनी मेहनत के दम पर आगे बड़ रही थी।अब तो यह हाल है कि नौकरों के सामने भी वो मुझे प्रताड़ित करने से नहीं चूकता।सच कहती हूं दीदी मैं इतनी परेशान हो गईं हूं कि ब्लड प्रेशर भी हाई रहने लगा है।मम्मी पापा से भी कुछ नहीं कह सकती क्योंकि अपनी मर्जी से विवाह किया था।मैं जिल्लत भरी जिंदगी से तंग आ गईं हूं

इसलिए अब रोहित से तलाक ले रहीं हूं।इसके अलावा और मेरे पास कोई और विकल्प नहीं हैं।”नेहा एक सांस में सब बोल गई।उसकी आंखें नम थीं।

नेहा का ये निर्णय रमा को अंदर तक उद्वेलित कर गया।वो जानती थी कि नेहा के पास तलाक के अलावा और कोई विकल्प नहीं है फिर भी एक बार उसे समझाने के लिए बोली -“थोड़े दिन और इंतजार कर ले क्या पता रोहित को समझ आ जाए?”

“दीदी अब बस और नहीं…बहुत जुल्म सहे सिर्फ इसलिए कि किसी रोशनी की तलाश थी,किसी चमत्कार के इंतजार में थी पर अब अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आता।”नेहा की बात सुनकर रमा निरूतर हो गई।थोड़ी देर बाद नेहा अपने घर चली गई।

कुछ दिनों बाद रमा को नेहा के तलाक की खबर मिली तो उसके मुंह से बस यही निकला..मेरे सहेली को दुखों से मुक्ति मिल गई…!!!

दोस्तों पति पत्नी का रिश्ता ‘ विश्वास की डोर ‘ से बंधा होता है।और जब ये डोर टूटती है तो पति- पत्नी का रिश्ता भी टूटकर बिखर जाता है और फिर तलाक का सिवा और कोई विकल्प नहीं बचता।

कमलेश आहूजा

#विश्वास की डोर

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