इस घर में मुझे कभी शांती मिलेगी या नहीं , रोज रोज तुम सास- बहु का क्लेश सुनकर कान गर्म हो गए हैं मेरे , मानव अपना ऑफिस का बैग पटकते हुए बोला , ऑफिस से थककर घर आता हुं और यहां तुम दोनों की किचकिच सुनने को मिलती हैं !
मानव के पिता राजेश जी जो अब तक चुपचाप बैठे थे वे बोले- मानव तू , अपनी पत्नी को समझाता क्यों नहीं हैं ? वह हर छोटी बात का बतंगड बनाती हैं , आज मेरे सिर में दर्द हो रहा था इसलिए तुम्हारी मां ने मुझे दो बार चाय बनाकर दी , बस इतनी सी बात पर तुम्हारी पत्नी ने घर में झगड़ा शुरू कर दिया ,
वह बोली तुम लोग मेरे पति के पैसे उड़ाते हो , फिजूल खर्ची करते हो , अब यह बता जरा क्या तू अकेले इस घर का खर्चा संभालता हैं? क्या मेरी पेंशन नहीं इस्तेमाल हो रही घर खर्च में , तेरी पत्नी तो इस तरह बात करती हैं जैसे हम दोनों बोझ हो तुम लोगो पर !
मानव गुस्से में बोला -क्या गलत कह रही हैं मेरी पत्नी ? अगर मैं घर में राशन ना भरवाऊं तो आप लोगो का गुजारा आपकी पेंशन में नहीं चल सकता !
आप मां को समझाते क्यों नहीं हैं कि दो वक्त की रोटी चुप रहकर खा लिया करें , हमेशा मेरी पत्नी से बहस करने की क्या जरूरत हैं ? अरे बुढ़ापे में हम लोग आपके साथ रहते है आपके लिए तो बस यही काफी होना चाहिए लेकिन यह रोज रोज की किचकिच देखकर तो लगता हैं कि मैं ही घर छोड़कर चला जाऊं तब आप लोगो की अक्ल ठिकाने आएगी !
राजेश जी बेटे के मुँह से कड़वे शब्द सुनकर सन्न रह गए फिर बेटे को बाहर दरवाजे की ओर धकेलते हुए बोले – तो एक काम कर , निकल जा मेरे घर से , नहीं चाहिए तेरा राशन और ना ही अब तेरी शक्ल देखनी हैं ! अरे , तू इतना सा था तब कम कमाई में भी तुझे पाला- पोसा , बड़ा किया , पढ़ाया- लिखाया ,
काबिल बनाया और आज तू यह सोच रहा हैं कि हम तेरे रुपयो के मोहताज हैं तो तू गलत सोच रहा हैं बेटा , अगर हम तुझे पढ़ा- लिखाकर इतना काबिल बना सकते हैं तो तू सोच हम हमारे लिए क्या क्या नहीं कर सकते ? कहते कहते राजेश जी का गला रुंध सा गया था !
मानव की मां राधा जी अपने आंसू पोछते हुए बोली – मानव , माना मुझमे और बहू में बहस होती रहती हैं मगर मुझे यह नही पता था कि तू हमारे साथ रहना ही नही चाहता और बहू की तरह तु भी राशन- पानी गिनाएगा !
मानव बोला – क्या गलत कह रहा हूं मैं , मुझे नहीं रहना आप लोगो के साथ !
अब हम अकेले ही रहेंगे और अपनी लाईफ अपने हिसाब से जिएंगे फिर अपनी पत्नी मोना से बोला – मोना , जाओ हमारा सामान पैक कर दो , मैं कल से ही किराए का मकान ढुंढ़ता हुं ! मोना यह सुन खुश हो गई जैसे इसी दिन का इंतजार कर रही हो , वह जल्दी से अपने कमरे में जाकर सामान पैक करने लगी !
मानव और मोना एक सप्ताह के अंदर किराए के मकान में शिफ्ट हो गए !
अब खाली घर राधा जी को काटने को दौड़ता , मगर वे पति को देख आंसू छुपाने की कोशिश करती ! एक दिन राजेश जी बड़े प्यार से राधा जी को समझाते हुए बोले – राधा , देखो जिसके मन में जो होता हैं वह कर ही लेता हैं और किस्मत में जो लिखा होता हैं वह होकर ही रहता हैं !
अगर बेटे- बहु का सुख हमारी किस्मत में लिखा हैं तो वे लोग लौटकर जरूर आएंगे और अगर उनका सुख हमारी किस्मत में नहीं लिखा तो तुम चाहे लाख कोशिश कर लो वे लोग कभी लौटकर नहीं आएंगे इसलिए तुम व्यर्थ की चिंता करती हो , बस यही सोचकर खुद को तसल्ली दे दो कि जो होना लिखा था वही हो रहा हैं !
यह बोलकर राजेश जी चुप हो गए ! हालांकि अंदर से वे भी बहुत दुःखी थे यह सोचकर कि क्या बेटे को इसी दिन के लिए बड़ा किया था कि वह पत्नी के आने के बाद घर छोड़कर चला जाए मगर वे उपर से अपने आप को मजबुत दिखा रहे थे ताकि राधा जी मजबुत बन पाए !
राधा जी भी पति की बाते सुन थोडा संभल गई और दोनों एक दूसरे के सहारे जीने लगे , अपनी पेंशन का बजट बनाकर दोनों घर खर्च निकालने लगे ! मोना के मायके वालों को जब यह बात पता चली कि मोना ससुराल से अलग हो गई हैं तो वे लोग मोना से बोले कितने अच्छे सास- ससुर हैं
तुम्हारे और फिर भी तुम उन लोगो से अलग हो गई , अब हमसे मदद की कोई उम्मीद मत रखना ! अब मोना ने अपने मायके वालो से भी बातचीत करना बंद कर दिया था ! अब मानव और मोना के पाँव जमीन पर नहीं थे , आजादी का वे लोग भरपूर फायदा उठाने लगे ,
रोज रात को घूम- फिरकर घर आते और खाना भी बाहर ही खाकर आते ! सुबह मोना की नींद देर से उड़ती इसलिए नाश्ता भी मानव बाहर से ही आर्डर कर देता , कभी- कभार लंच भी बाहर करने चले जाते इस वजह से खर्चे बहुत बढ़ गए थे ! महिने के आखिर में जब हिसाब लगाया
तो मानव को घर का किराया तक देना भारी पड़ गया था ! इस बार जब मोना ने बाहर से खाना आर्डर करने कहा तो मानव झुंझलाकर बोला – तुम घर पर खाना क्यों नहीं बनाती ? बाहर का खाना हेल्दी भी नहीं होता और महंगा होता हैं वह अलग !
मोना चिढ़कर बोली – क्यों तुम्हें तो तुम्हारी कमाई का बहुत घमंड था , अब क्या हुआ , अब तो हम तुम्हारे माता- पिता का खर्चा भी नहीं उठा रहे तो कहां जा रहे हैं सारे पैसे ?
मानव बोला- हम लोग किराए के घर में रह रहे हैं , इस घर का भाड़ा भी देना होता हैं ! लाईट बिल भी मुझे ही भरना होता हैं , उपर से तुम्हें रोज घूमने और बाहर का खाना चाहिए मानव चिल्लाकर बोला ! मोना की आंखों में आंसू आ गए और वह बोली मुझे नहीं पता था कि अकेले निकलकर तुम मुझसे इतना झगड़ा करोगे ,
वहां मां- बाबुजी के सामने तो तुम्हारी जबान तक नहीं खुलती थी ! मानव बोला मम्मी- पापा से लड़ाई तुम्हारी वजह से ही तो हुई हैं , तुम मुझे अकेले में भी भड़काती थी इसलिए इतना बड़ा फैसला ले लिया था मैंने मगर अब समझ आ रहा हैं कि वे लोग सब सही ही कहते थे !
घर में बड़े बुर्जुग होते हैं तो बच्चों को सही राह चलने की सलाह देते हैं मगर बच्चों को लगता हैं कि वे उन्हें टोक रहे हैं , अब हमें ही देख लो इस आजादी का क्या फायदा जो अपने कर्तव्य ही भूला दे ! अब तुम अपने आप को ही देख लो दो दिन हो गए तुमने घर में झाडू तक नहीं लगाया हैं !
गंदे कपड़े भी ऐसे ही बिखरे पड़े हैं , कम से कम जब हम मम्मी- पापा के साथ में रहते थे घर चकाचक रहता था ! मोना झल्लाते हुए बोली तो ऐसा कहो ना तुम्हें पत्नी नहीं नौकरानी चाहिए ! मानव भी ओर गुस्से में आ गया फिर बोला- तुम्हारी मां इतने सालो से उनकी गृहस्थी संभाल रही हैं
तो क्या वह तुम्हारे पापा की नौकरानी हैं ? 3न्होने तुम्हारी परवरिश की , तुम्हें बड़ा किया तो क्या वह तुम्हारी नौकरानी हैं ? घर के काम हम दोनों मिलकर भी कर सकते हैं मगर तुम्हें तो बस आजादी एंजाय करनी हैं ! तुम्हारे भैया- भाभी भी कल के दिन हमारी तरह तुम्हारे मम्मी- पापा से अलग होकर अपनी लाईफ इंजाय करे तो तुम्हें कैसा लगेगा ?
मोना अब एकदम चुप थी ! तुम्हें याद हैं ना तुम मेरे रोज कान भरती थी कि मम्मी पापा रूटीन से काम खत्म करने कहते हैं , रोक- टोक करते हैं , बाहर से खाना आर्डर करने नहीं देते इसलिए मैं भी उस दिन गुस्से में घर छोड़ आया मगर अब मुझे मेरी गलती का एहसास हो रहा हैं ,
मैंने गलत किया लेकिन अब मैं मेरे घर वापस जा रहा हुं , तुम्हें मेरे साथ चलना हो तो ठीक हैं वर्ना इस घर में अकेले रहो और अपना खर्चा- पानी उठाओ , मानव अपना बैग पैक करने लगा ! मोना सोचने लगी अगर अब पति ने मुझे छोड़ दिया तो लोग तरह तरह की बातें बनाएंगे , सास- ससुर को छोड़कर मैं खुद यहां चली आई ,
मेरे मम्मी- पापा ने तो पहले ही हाथ खड़े कर दिए हैं ! सब सोचकर वह घबरा गई और मानव के साथ चलने राजी हो गई ! सर झुकाकर वह मानव के साथ ससुराल आ गई ! दरवाजे पर पहुंचकर मानव से डोरबेल तक बजाने की हिम्मत नहीं हो रही थी , उतने में मानव के मम्मी- पापा मंदिर जाने घर से निकले , सामने बेटे- बहू को देखकर दोनों हतप्रभ रह गए ,
उतने में सासू मां ने बहु को गले लगाकर कहा – बेटा, कैसी हो तुम ? सास का स्नेहिल स्पर्श पाकर मोना फुट- फुटकर रो पड़ी ! मोना बोली- मम्मी जी , हमें माफ कर दिजिए , घर में बड़े बुर्जुगो का क्या मतलब हैं यह हमें बाहर जाकर समझ आया ! पत्नी को माफी मांगते देख मानव को भी थोड़ी हिम्मत मिली और वह भी अपने पिताजी से हाथ जोड़कर बोला- पापा ,
मैंने आपसे बदतमीजी से बात की , मुझे माफ कर दीजिएगा ! राजेश जी बेटे को गले लगाकर बोले- तुम लोगो को अपनी गलती का अहसास हो गया बस मुझे उम्मीद हैं अब तुम लोग ऐसी गलती कभी दोबारा नहीं करोगे !
सभी लोग खुशी खुशी घर के अंदर आए , मानो ऐसा लग रहा था जैसे रिश्तों की नई शुरुवात हुई हो ! बेटे-बहू को परिवार का महत्व समझ में आ गया था !
दोस्तों , कभी कभी बच्चे आजादी की चाह में घर से दूर होना चाहते है मगर जब असलियत सामने आती हैं तब पता चलता हैं कि परिवार केवल जिम्मेदारी नहीं बल्कि सहारा और सीख देने वाला
स्थान होता हैं !
इस कहानी को लेकर आपकी क्या राय हैं कमेंट करिएगा !
आपकी सहेली
स्वाती जैंन