वह मेरे घर में साफ सफाई का काम करती थी ।लंबी छरहरी ,गोरा रंग ,किसी दिन अच्छी सी साड़ी पहन कर आती तो लगता किसी संभ्रांत घर की बहू बेटी है । तीन बेटे हैं उसके बड़े दोनों तो 22 और 24 साल के हैं दोनों पढ़ लिखकर नौकरी पर लग गए हैं ।छोटा अभी पढ़ रहा है ।
पति कुछ नहीं करता अभी तक बीवी की कमाई खाता रहा अब बच्चों का मोहताज है । बड़े लड़के पढ़ लिख गए कमाने लगे तो कहता है देख मेरे बेटे कितने लायक हैं । छोटा लड़का पढ़ाई से जी चुराता है तो कहता है इसे तूने बिगाड़ रखा है । भला मां बेचारी का इसमें क्या कसूर है ?
वह तो सुबह सबका खाना नाश्ता बनाकर घर का सारा काम निपटाकर निकलती है तो शाम को 6 : 7 बजे थकी हारी घर पहुंचती है घर पहुंचते ही रात का खाना चौका बर्तन सब करना पड़ता है ।
उसके पास फुर्सत ही कहां रहती है कि वह बच्चों को देखें । पिता घर में रहता है तो उसे ध्यान देना चाहिए ना बच्चों पर ।छोटे लड़के के कारण घर में रोज क्लेश होता । पिता उसे नालायक आवारा कहता और कहता तू निकल जा मेरे घर से ।बीच वाला लड़का भी उसे हर समय ताने देता रहता था ।
बड़ा भाई समझदार था वह उसे समझाता परंतु 16 वर्ष का वह किशोर समझ नहीं पाता कि अगर पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता है तो वह क्या करे ? घर में कोई पढ़ाई में उसकी मदद करने वाला नहीं है ट्यूशन लगाने की सामर्थ्य नहीं है ,वह कुछ मैकेनिकल काम सीखना और करना चाहता है।
पर माता-पिता चाहते हैं वह पढ़ लिखकर कुछ अच्छा काम करे । अध्यापकों से भी उसे रोज डांट खानी पड़ती क्योंकि वह अपना काम पूरा नहीं कर पाता था अब उसने स्कूल जाना छोड़ दिया कई कई दिन स्कूल से गायब रहता कभी बीमारी का बहाना बनाता तो कभी कुछ और । घर में पता चला तो पिता ने उसकी खूब पिटाई की भाइयों ने भी फटकार लगाई और आज तो मां ने भी डांटकर कह दिया – तेरी वजह से रोज घर में क्लेश होता है
तूने सब को दुखी कर रखा है निकल जा इस घर से। लड़का बहुत दुखी हुआ उसने मन ही मन कुछ निश्चय किया की इतना असहाय भी नहीं हूं मैं ! मैं कुछ करके दिखाऊंगा उसने मां से कहा मुझे 1 साल का समय दे दो मैं मेहनत करूंगा और कुछ कर के दिखाऊंगा। एक दिन आपको मुझ पर गर्व होगा । मां ने कहा इसे एक मौका देना चाहिए। लड़का सीधे अमर भैया के पास गया । अमर भैया का एक छोटा सा गैराज था ।
स्कूटर कार मरम्मत करने के काम में उसे रुचि थी इसलिए वह अक्सर उनके पास जाकर बैठ जाता था और उन्हें काम करते देखा करता। उसने कहा – अमर भैया मुझे काम पर रख लो । पर तुम्हें तो यह काम आता नहीं है । लड़के ने कहा भैया मैं जल्दी ही काम सीख लूंगा । ठीक है मैं एक सप्ताह तुम्हारा काम देखूंगा फिर मुझे ठीक लगेगा तो तुम्हें काम पर रख लूंगा। लड़के ने कहा ठीक है अमर भैया , मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता इसलिए घर में सब मुझे डांटते हैं।
मैं आपकी तरह मोटर मैकेनिक बनना चाहता हूं। अमर समझ गया । उसकी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। लड़के ने खूब मन लगाकर मेहनत से काम किया ।जल्दी ही वह काम सीख गया। उसके आने से अमर का काम खूब चल निकला। उसने लड़के को अपना सहायक नियुक्त कर लिया और उसकी तनख्वाह 15000 रुपए कर दी।
लड़का बहुत खुश था। वह अपनी रुचि का काम कर रहा था। ना कोई डांट ना फटकार। माता-पिता भी खुश थे। समय बीतता रहा। दो साल में ही उसने अपना अलग काम शुरू कर दिया। वह एक अच्छे मैकेनिक के रूप में प्रसिद्ध हो गया। आज पीतमपुरा में उसका अपना गैराज है। सच में वह असहाय नहीं था।
नीलम गुप्ता