सुबह सूरज निकल रहा है, सूरज की किरणें चारों दिशाओं में फैल रही पक्षियों के चहकने की आवाज कानों आ रही तभी, आरती जी घर के मन्दिर में पूजा कर रही है, तभी पूजा की घंटी की आवाज सुनकर आरव सोकर उठ गया और तकिए का सहारा लेकर बैठ गया ,
तभी मां आई और अपने हाथों से आरती देने लगी लेकिन, आरव अपने दाएं पैर को देख रहा था उस पर पट्टी बंधी हुई थी मन में बहुत दुखी हो रहा था और मन में सोच रहा था वह अपने कालेज की क्रिकेट टीम का कैप्टन था। वह बहुत बढ़िया मैच खेलता था। लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया
एक दिन मोटरसाइकिल से घर आ रहा था, तभी उसका ट्रक से एक्सिडेंट हो गया जब होश आया तो आरव ने खुद को अस्पताल में पाया मां-बाप उसके पास खड़े हुए थे। जब आरव को होश आया ,तो उसके माता-पिता भगवान का धन्यवाद करने लगे डॉ साहब ने कहा आरव की तबीयत पहले से बेहतर है, लेकिन यह अब क्रिकेट नहीं खेल सकेगा
यह सुनकर आरव के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई और वह बहुत दुखी हो गया। डाक्टर साहब ने कहा चलने फिरने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन दौड़ नहीं सकता।आरव बहुत उदास रहने लगा वह अपने घर के बाहर दरवाजे पर बैठ था ।
सामने कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे उनकी गेंद आरव के पास आ गई एक लडका बोला भईया गेंद देना। लेकिन आरव गेंद उठाने में असमर्थ था ।तब वह लडका बोला भईया आप एक गेंद नहीं उठा सबके,तो क्रिकेट कैसे खेलोगे। यह बात सुनकर आरव का दिल टूट गया और वह बहुत दुखी हो गया।
तब आरव के पिता ने आरव को परेशान देखा वह आरव के पास आये और बोले बेटा “”हिम्मत करने वालो की कभी हार नहीं होती” तुम दौड नहीं सकतें कोई बात नहीं लेकिन तुम क्रिकेट के बारे सब कुछ जानते हो तो क्यों ना अपने कालेज के लड़कों को क्रिकेट की बारिकियों कों सिखना शुरू कर दो अपने पिता की बात सुनकर आरव के अन्दर आत्म विश्वास पैदा हुआ
और फिर आरव अगले दिन डाक्टर के पास गया डॉ साहब आरव की हिम्मत और आत्म विश्वास देखकर खुश हुए उन्होंने आरव को दवाईयां खाने और मालिश करने के लिए कहा। एक दिन आरव के घर उसके कालेज के प्रिंसिपल साहब आये और उन्होंने कहा आरव तुम अपने कालेज की क्रिकेट टीम के कोच बन जाओ ,आरव ने उनकी बात स्वीकार किया अगले दिन वह मैदान पर गया और अपने कालेज टीम के खिलाड़ी को सब बैठे बैठे सब बताने लगा
उसके आत्म विश्वास से सारे खिलाड़ी प्रभावित हुए और जब मैच हुआ तो उसके कालेज की टीम ने अपने प्रदेश में चैंपियन टीम बनी सब अखबारों में यह खबर छप गई और आरव कों बेस्ट कौच का ईनाम मिला सब ने स्टेज पर आरव का फूल मालाओं को पहनाकर स्वागत किया
और पूरी टीम के साथ आरव का फोटो खींचा। यह सब देख कर आरव और उसका पूरा परिवार बहुत खुश था इस लिए कहते हैं की असमर्थ कुछ भी नहीं है अगर हमारे अन्दर आत्म विश्वास है,तो हम हर परिस्थितियों में भी सफल हो सकते हैं
हमे कभी भी हार नहीं माननी चाहिए ।
विनीता सिंह, बीकानेर राजस्थान।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है हमे अपने कमजोरी को ही अपनी ताकत बनानी चाहिए और कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए
विनीता सिंह बीकानेर