अरे तन्वी निकल रही हूं मैं घर से और तेरे ही घर आ रही हूं। तु तो एक बार बुलाने लगती है,तो फिर रूकती ही नहीं है। बस मैं दो मिनट में तेरे घर पहुंच जाऊंगी । लगता है आंटी ने आज गरम-गरम समोसे बनाए हैं,इसीलिए तो तु मुझे इस तरह बुला रही है। वह सब तुझे यहां आकर ही पता चलेगा । बस तू आजा कहते हुए तन्वी ने फोन रख दिया । मैं भी तन्वी से बात कर के घर से निकल पड़ी ।
अचानक देखा किसी मोटर-साइकिल वाले ने सड़क पार कर रही बूढ़ी अम्मा को टक्कर मार दी ! वहां बहुत सारी भीड़ इकट्ठी हो गई!
मैं भीड़ को चीरते हुए उस बूढ़ी अम्मा के पास पहुंची ! मैंने देखा बूढ़ी अम्मा के बदन से खून बह रहा था। वो मोटर साइकिल वाला जिसने, बुढ़ी अम्मा को टक्कर मारी थी । वह मौके का फायदा उठाकर दौड़ पड़ा क्योंकि क्या बच्चे,क्या बूढ़े सभी लोग बूढ़ी अम्मा की मदद करने की बजाय उस बूढ़ी अम्मा का अपने मोबाइल फोन में वीडियो बनाने में लगे हुए थे !
मैं उस वक्त लोगों का यह बर्ताव देखकर अपने आंसू पीकर रह गई क्योंकि कहती किसे?? वहां कौन सुनने वाला था?? राह चलते हम किसी को ऐसे मजबूर तो नहीं कर सकते ।
मैंने फिर खुद पर संयम रखते हुए भीड़ में सभी से प्रार्थना की ! कृपया यह वीडियो बनाना छोड़कर बूढ़ी अम्मा पर ध्यान दे क्योंकि यह बहुत घायल हो चुकी है और इनके बदन से खून भी बहुत बह चुका है।
आइए इन्हें अस्पताल पहुंचा कर इनकी मदद करते हैं। मेरा इतना कहना था कि धीरे-धीरे पूरी भीड़ छठ गई। वहां रह गये। बस मैं और बूढ़ी अम्मा ! घायल तो बूढ़ी अम्मा थी मगर उनकी यह दुर्दशा देखकर आज मेरा मन घायल हो गया। एक पल के लिए मुझे लगा ।
अगर इस भीड़ में यह बूढ़ी अम्मा किसी की रिश्तेदार होती, तो क्या लोग इन्हें इस तरह छोड़ कर चले जाते, शायद नहीं । अक्सर ऐसी परिस्थितियों में ही एक इंसान की इंसानियत को पहचाना जा सकता है।
जिस इंसान में इंसानियत जिंदा होगी। वह इस तरह किसी को घायल अवस्था में देखकर चला नहीं जाएगा मगर मुझे वहां किसी के अंदर इंसानियत नजर नहीं आई । मैंने फिर देर ना करते हुए अपने पिताजी को फोन पर इस घटना की जानकारी दी । वह तुरंत हमारे पास आ गए !
हम दोनों ने ही किसी तरह उस बूढ़ी अम्मा को अस्पताल पहुंचाया और उनका इलाज शुरू करवाया। मैं सोचने लगी, ऐसा क्यों होता है ! जब भी कोई मददगार को हमारी जरुरत होती है, तो हम उसकी मदद करने की बजाय मोबाइल फोन पर वीडियो बनाने लगते है।
क्या हो गया है हमारी सोच को ?? क्या करेंगे ऐसे वीडियो बनाकर ?? अपने बनाए हुए ग्रुप में भेजेंगे और उसकी चर्चा करेंगे और फिर बाद में उसे डिलीट कर देंगे यही ना !!
मुझे लगता है,इंसान की जिंदगी बहुत कीमती होती है। इसका पता हमें तब चलता है। जब कोई अपना हम से दूर चला जाता है । ईश्वर ने एक इंसान का दूसरे इंसान से इंसानियत का रिश्ता बनाया है। जिसे हमें कभी भूला नहीं चाहिए।
आज के दौर में बिना मोबाइल फोन के चलना मुश्किल है, मगर इसका इस्तेमाल हमें कब और कहां करना है । इतना तो हम समझ ही सकते हैं और बच्चों को भी सिखा सकते हैं ।
सुनों आंसू पीने को ना मजबूर करो कहती है यह घटना
सोचों क्या होगा उस दिन,जब घायल होगा तुम्हारा कोई अपना !
स्वरचित
सीमा सिंघी
गोलाघाट असम