आंसू बेबसी के – बालेश्वर गुप्ता :  Moral Stories in Hindi

             सेठ जी,एक अर्ज थी।

      कहो रामदीन क्या बात है?

   सेठ जी,वो क्या है,छत पर जो टीन पड़ा है,वह 14 आदमियो के सोने के लिये छोटा पड़ता है।यदि साइड में एक टुकड़ा टीन का और डलवा दे,तो मेहरबानी होगी।

      देखो रामदीन,अभी नई मशीनें खरीदी है, काफी खर्च हुआ है, अभी और खर्च की कोई गुंजाइश नही है।अरे रात में सोना ही तो होता है।होली बाद सोचेंगे।

        दिल्ली के गांधीनगर में सेठ दामोदर जी ने रेडीमेड कपड़ो के लिये एक हाल कमरे में 30 मशीन लगाई हुई थी।सिलाई और अन्य काम के लिये जो कामगार थे उनमें 14 बिहार प्रदेश के थे,उनको सोने आदि के लिये सेठ जी ने हाल के ऊपर छत पर टीन का पड़ाव डलवा दिया था,

जिसमे वे रात्रि विश्राम कर लेते थे।खाना आदि उस पड़ाव के आगे पड़ी छत पर पर सामूहिक रूप से बना लेते थे।कम खर्च में काम चल जाता था।

टीन के पड़ाव में जगह कम पड़ने के कारण रामदीन सेठ जी अन्य टीन टप्पड़ डलवाने की गुहार कर रहा था,जिसे सेठ जी ने टाल दिया था।अपना मुंह लटकाये रामदीन चुपचाप आकर सिलाई का काम करने लगा।

      रामदीन को अपने गांव गये साल भर हो गया था।रामदीन के दो सपने थे कि जरा अच्छे से पैसे जमा हो जाये तो गांव में जो उसका छोटा सा जमीन का टुकड़ा पड़ा है,उसमें वो छोटा ट्यूब वेल लगवा लेगा उससे उसके खेत को तो पानी मिलेगा ही,

और बाकी पानी वह दूसरे खेत वालो को बेच दिया करेगा,जिससे अलग से आमदनी  हो जाया करेगी,दूसरा वह अपनी पत्नी कमली को मोबाइल फोन देना चाहता था,जिससे वह कभी भी उससे बात कर सके।अकेलेपन में उसे कमली की बहुत याद आती थी ना।

अबकी बार छट के त्यौहार पर घर जाने की उसने ठान ली थी।अब उसने रात दिन सिलाई का काम करना शुरू कर दिया जिससे खूब पैसे जमा हो जाये और वह अपने दोनो सपने पूरे कर सके।

     एक दिन वह पालिका बाजार से एक मोबाइल फोन खरीद ही लाया।आज उसका मन शांत था,कमली मोबाइल देख कितना खुश होगी,अब उसे उसकी इतनी कमी नही खलेगी।सपने में भी उसे यही दिखाई दिया कि वह कमली से मोबाइल फोन से खूब बात कर रहा है।

अब उसे इंतजार बस छट के त्यौहार पर घर पहुंचने का था।उसके सामने बार बार कमली का चेहरा घूम रहा था।कैसे उसके बिन रहती होगी,ये पेट की आग भी पता नही कहाँ कहाँ पहुंचा देती है।पेट के लिये ही तो घर से हजार कोस दूर आना पड़ा।वहां गांव में कही काम मिला ही नही,

वो तो भला हो किशन का जो यहां दिल्ली में काम करता था, उसने ही रामदीन को यहां सेठ जी के यहाँ रखवा दिया।

ये अच्छा रहा कि बड़े भैय्या जगबीर वही गांव में रह गये उन्हें वही पुराने जमीदार के यहां नौकरी मिल गयी थी।भाभी तो स्वर्ग सिधार गयी थी,

सो अकेले थे,जमीदार जी की चाकरी करते और उसकी खेती की देखभाल कर लेते।उनकी वजह से ही वह कमली की तरफ से निश्चिंत हो गया था,भैय्या तो वहां देखभाल को हैं ही।

       विचारों को झटका देकर रामदीन ने आज एक निश्चय कर लिया कि खेत पर ट्यूब वेल लगवाने के बाद अब वह दिल्ली वापस नही आयेगा,

वही अपनी कमली के पास रहेगा।ट्यूब वेल के पानी की बिक्री से अतिरिक्त आमदनी से ही काम चल जायेगा।इस निश्चय के बाद उसे बड़ी राहत मिली और रामदीन कमली को याद करते हुए नींद के आगोश में चला गया।

        ट्रैन में बैठा बैठा रामदीन कमली के पास पहुंचने को आतुर था, बस उड़ कर एकदम पहुंच जाए, उसका हाथ बार बार कमली को दिये जाने वाले मोबाइल पर पहुंच जाता।मानो कमली का हाथ उसके हाथ मे हो। एक साल से भी अधिक समय कमली से मिले हो गया था।

आखिर मंजिल आ गयी ,रामदीन का उतावलापन बढ़ गया था,वह घर की ओर बढ़ चला वह कमली को अचंबित करना चाहता था।

       पर घर मे तो ताला लगा था,भैय्या और कमली दो दिन से बाहर गये थे।रामदीन को बड़ी निराशा हुई।ताला तुड़वाकर रामदीन घर मे अंदर तो चला गया पर उसे पश्चाताप हुआ कि इससे तो वह अपने आने के बारे में पहले ही सूचना दे देता तो कम से कम कमली इस समय घर तो मिलती।पर अब क्या हो सकता था।

          अगले दिन वह पटवारी के पास पहुंचा, यह जानने को कि वह अपनी जमीन में ट्यूब वेल लगवाना चाहता है, उसमें उसे किसी की अनुमति की जरूरत तो नही है।पटवारी नये नये आये थे,उन्हें रामदीन जानता नही था।

पटवारी ने रामदीन से उसके खेत का खसरा नंबर पूछा और अपने खाते को देखकर पटवारी बोले भई यह खेत तो जगबीर का है।रामदीन बोला हां हां जगबीर मेरे बड़े भैय्या हैं, मैं उनका छोटा भाई हूँ, उनके खेत के बराबर में ही तो मेरा खेत है,रामदीन नाम से।

पटवारी जी ने अबकी बार और छान बीन भरी निगाहों से कागजात देखे और बोले भई ये तो ठीक है रामदीन जगबीर का सगा छोटा भाई है,पर वह तो मर चुका है, इस कारण उसका खेत जगबीर के नाम चढ़ा हुआ है, वह भी मेरे यहां आने से पहले से।जगबीर के पांव तले की जमीन खिसक गयी।

उसने कहा भी पटवारी जी मैं तो जिंदा खड़ा हूँ आपके सामने,पटवारी जी बोले देखो भाई अब मैं तो कुछ कर नही सकता, यह तो कलेक्टर साहब ही कर सकते हैं, पर तुम ही रामदीन हो इसका पक्का सबूत तो तुम्हे देना ही होगा।रामदीन बोला यह कुछ गलत फहमी में हुआ होगा 

भैय्या आ जायेंगे तो वे ही बता देंगे कि मैं ही उनका छोटा भाई हूँ और मेरी कमली तो आपके सामने ही मुझसे चिपट जायेगी।

      गांव वाले कुछ बोल तो नही रहे थे पर उनकी निगाहे अचरज भरी अवश्य थी।रामदीन सोच रहा था,उसके लंबे समय से घर न आ पाने के कारण पिछले पटवारी ने गड़बड़ की है, वह उससे खुंदक भी खाता था,उसका एक दो बार उसके अधिक रिश्वत मांगने पर कहा सुनी हो गयी थी।खैर भैया जगबीर आकर सब ठीक कर देंगे।

     अगले दिन जगबीर और कमली भी आ गये।दोनो को रामदीन को देखकर आश्चर्य हुआ।जगबीर ने बस इतना कहा कि तू कब आया,

सब ठीक है ना।हाँ भैय्या सब ठीक है।कमली ने रामदीन को इतने दिन बाद भी  देखकर कोई उत्साह नही दिखाया।रामदीन कुछ समझ ही नही पा रहा था,बस उसे अंदर से लग रहा था जैसे वह अपने ही घर मे अनचाहा मेहमान है।शाम के समय रामदीन ने पटवारी हुई बात बताई

कि सरकारी कागजातों में उसे मृत दिखाया हुआ है तथा मेरा खेत भी भैय्या आपके नाम चढ़ा हुआ है। सुनकर जगबीर बोले अरे इससे क्या होता है तुझमे और मेरे में क्या फर्क है।तू चिंता मत कर।

रामदीन चुप रह गया।कमली जब से आयी, उसके सामने ही नही पड़ रही थी।रामदीन उसे मोबाइल फोन भी देना चाहता था,इतने दिन बाद मिल रहा था तो एकांत में पत्नी से सुखदुख की बात भी कहना और सुनना चाहता था,पर कमली से मिलने का अवसर ही नही मिल रहा था। रात को खाना खाने के

बाद जगबीर भैय्या जैसे ही बाहर किसी के आवाज देने पर बाहर को गये तभी रामदीन लपक कर  कमली के पास पहुंच गया उसका हाथ पकड़ कर रामदीन ने उसे अपने आगोश में लेना चाहा तो कमली कसमसा कर उससे अलग हो गयी।

रामदीन को ताज्जुब तो हुआ पर अगले ही क्षण मानो धरती फट गई,आसमान टूट पड़ा,उसने देखा कि कमली तो गर्भवती है।रामदीन इतना भोला तो था नही जो कुछ भी ना समझे आखिर वह दिल्ली जैसे शहर में रहता था।उसकी समझ मे सब आ गया।कलयुग के बाली की करतूत वह समझ चुका था।

        रात में वापस ट्रैन में आते हुए उसके सामने कमली का पहला और अबका चेहरा बार बार आ रहा था।एक क्षण में ही उस गांव से  जहां उसका जन्म हुआ था,मानो उसकी अर्थी उठ गई थी।तभी ट्रैन के चलने में तेज आवाज आने लगी,

किसी पुल से रेल गुजर रही थी,उसने खिड़की से झांककर नीचे बहती नदी को देखा और जेब से मोबाइल फोन निकाल कर पूरे दम से उसे नदी की ओर उछाल दिया।

       नदी में गिरते हुए फोन को देख रामदीन की आंखों से बेबसी के आंसू छलक पड़े।अपने चेहरे को ढक कर रामदीन फफक पड़ा।कलयुग है ना कोई भगवान राम नही आये जो बाली से उसका प्रतिकार ले लेते।

         बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

           मौलिक एवम अप्रकाशित

#विश्वासघात

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