एक रात माँ को सपना आया कि उसके बेटे की मौत हो जाती है माँ एक दम बदहवास सी होकर उठती है और जोर से भैया का नाम लेकर चिल्लाने लगती है मैं तब पन्द्रह साल की थी मुझसे छोटी तीन और बहनें थी जिनकी उम्र तेरह, ग्यारह और नौ साल थी। चार बहनों के बाद छोटा भाई सोमेश हुआ था। जो अभी तीन साल का था मां बताती है कि देवी मां से मन्नत मांग मांगकर उन्हें बेटा हुआ था। पापा जमींदार के यहां खेतों की रखवाली करने जाते तो महीना महीना भर बापिस नही आते थे।
मां के चिल्लाने की आवाज सुनकर हम चारों बहने दूसरे कमरे से भागकर मां के पास आई रोशनी जलाई तो देखा मां भैया को सीने से लगाकर जोरजोर से रो रही थी। किसी अनहोनी की आशंका को लेकर हम भी चिल्लाने लगे। हमारी आवाज से भाई की नींद टूटी तो वो भी रोने लगा उसे रोता देखकर माँ के चेहरे पर एक खुशी छा आ जाती है और वो उसे अपने सीने से लगा कर और जोर से रोने लगती है। हमने मां को पूछा तो उन्होंने हमारी बात को टालते हुए कहा की कुछ नही हुआ जाओ और जाकर सो जाओ बस एक बुरा सपना था। हम थोड़ी देर रुककर फिर अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह होते ही माँ तैयार हुई भैया को तैयार किया और मुझे घर का ख्याल रखने को बोलकर देवी मां के मंदिर चली गई। क्योंकि माँ की देवी माँ के मंदिर में बहुत आस्था थी। बहां जाकर पुजारी को रात के सपने के बारे में बताती है तो पुजारी मां को कहता है कि देवी मां तुमसे नाराज है उसने तुम्हारी मन्नत पूरी की तुमने बदले में मां को क्या दिया तू तो भूल ही गई थी कि ये बेटा तुझे देवी मां की की किरपा से हुआ है। माँ अपनी गलती मानते हुए हाथ जोडकर पुजारी से इससे मुक्ति का उपाय पूछती हैं।
पुजारी थोड़ा इधर उधर की बात करके उसे और डराकर कहता है कि देवी मां चाहती है कि तेरी बड़ी बेटी मां की सेवादार बने वो यहीं मंदिर मे देवदासी बनकर रहे। उसके बाद तेरे घर मे धन दौलत शोहरत किसी चीज की कभी कमी नही आएगी।
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और अगर ऐसा नही हुआ तो तुम्हारे घर मे कयामत आएगी तुम्हारा बेटा ही नही पति भी अकाल मृत्यु को प्राप्त होगा। मां बुरी तरह डर जाती है पापा जब घर आते हैं तो उन्हें इस सब के बारे में बताती है। पापा भी गरीब अनपढ़ और अंधविश्वासी थे उन्हें भी लगता है कि पुजारी सच बोल रहा था क्योंकि तीन दिन पहले ही एक बहुत बड़ा सांप खेतों में उनका रास्ता रोककर खड़ा हो गया था उस घटना के बारे में माँ को बताया तो दोनों का विश्वास और बढ़ गया।
अगले दिन सुबह मां ने मुझे अपने पास बिठाया और सारी बात बताई मां ने मुझे कहा कि तेरी शादी भगवान से होगी तुझे मंदिर में रहना होगा भगवान की सेवा करनी होगी इससे हमारे घर की गरीबी मिट जाएगी और तेरे सारे भाई बहन अच्छे से पढ़लिख सकेंगे उन्हें अच्छा खाने को मिलेगा अच्छे कपड़े मिलेंगे और
तेरे पापा को भी महीनों खेतों में चाकरी नही करनी पड़गी। बोल बेटा तू अपने परिवार के लिए ये सब करेगी न? अब मैं क्या ही कहती अगर मेरे करके पूरा परिवार सुखी रह सकता है तो मैं इतना तो कर ही सकती थी और करना भी क्या था भगवान से शादी और मंदिर की सेवा। मैंने माँ को हाँ कर दी।
अगले ही हफ्ते मंदिर में ले जाकर मेरी शादी एक मूर्ति से कर दी बदले में घरवालों को पैसे कपड़े और एक दो सोने की अंगूठियां मिल गईं। मैं मंदिर में ही रुक गई। मंदिर के पास ही एक कमरा मुझे दे दिया गया यहां मेरे खाने पीने की ब्यवस्था कर दी गई और एक बिस्तर जमीन पर लगा दिया गया।
मैंने जो सोचा था बैसा कुछ नही था मेरी शादी भगवान से जरूर हुई थी मगर जब रात को पुजारी मेरे कमरे में आया तो बोला कि भगवान खुद नही आते वो तो मेरे माध्यम से तुम्हारे पास आएंगे तुम मुझे खुश करोगी तो भगवान खुद खुश हो जाएंगे तुम मेरी सेवा करोगी तो वो भगवान की सेवा होगी।
और देखना अगर भगवान खुश ओ जाएंगे तो तुझे स्वर्ग मिलेगा और तेरे पूरे परिवार को खुशियों से भर देंगे बस जैसे जैसे मैं कहता हूँ तू बैसे करती रहना। मैं भी पुजारी की बातों में आ गई। पुजारी रोज मेरा शोषण करता रहा जब उसका मन भर गया तो कुछ ही दिनों बाद वो आसपास के धनाड्य लोगो को बुलबाकर मेरा शोषण करवाने लगा। बो लोग बदले में मुझे पैसे दे जाते वो पैसे में अपने घरवालों को दे देती इस तरह से मैं देवदासी से वैश्या बन गई। अब हर रोज मेरे साथ शोषण होता स्वर्ग के सपने देखते देखते मेरी जिंदगी कब नरक बन गई कुछ पता ही नही चला।
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कुछ ही महीनों में मैं बुरी तरह टूट चुकी थी मगर अब रोने के सिवा मेरे पास कोई चारा नही था मगर मेरे आँसुओ को देखने वाला अब कोई नही था। एक रात की बात है एक आदमी घूमने के लिए उस गांव में आया हुआ था कोई बड़ा ब्यापारी था पुजारी ने पैसे लेकर उसे मेरे पास भेज दिया।
वो पहला शख्स था जिसने मेरी खूबसूरती को नही बल्कि मेरे चेहरे के पीछे छिपे दर्द को महसूस किया था उसने बड़े प्यार से मुझसे बात की और बोला की डरो मत मैं बैसा नही हूँ जैसा तुम समझ रही हो उसने बताया कि कुछ साल पहले उसकी पत्नी की मौत हो गई थी वो अब बिल्कुल अकेला हो गया है अपना अकेलापन किसी के साथ बांटने के लिए वो ऐसी जगह जाता है मगर कभी किसी के साथ गलत नही किया।
वो पहला इंसान था जिसने मुझसे इतनी इज्जत से बात की मेरे दर्द को महसूस किया और मेरे आंसुओं को देख पाया था। मैं भी अंदर ही अंदर आंसुओं का सैलाब लिए बैठी थी आज वो बांध टूट गया मैंने उसे सारी बात बता दी। मेरी बात सुनकर मेरे आंसुओं को पोंछते हुए उसने कहा की इन आँसुओ को जाया मत करो ये आंसू नही मोती हैं आज के बाद में इन्हें यूँही बहने नही दूंगा। सुबह वो मुझे पुजारी के पास लेकर गया और पुजारी से मेरी आज़ादी की कीमत पूछी पुजारी ने पहले तो उसे देवी का डर दिखाकर आनाकानी की मगर जब उसने एक मोटी रकम की बात की तो पुजारी मान गया।
फिर हम मेरे माँ पापा के पास गए उन्होंने मां पापा को भी भरोसा दिलाया और कहा कि आज के बाद आप लोगो को किसी चीज की चिंता करने की जरूरत नही अब से आप सब मेरी जिम्मेदारी हो मेरे भाई और बहनों को भी अच्छी शिक्षा का बायदा किया।
सच मे वो इंसान नही भगवान ही था उसके आने के बाद मेरी जिंदगी खुशियों से भर गई थी अब आंसू आते भी तो खुशी के आते थे। शायद भगवान ने मेरी सुन ली थी और मुझे नरक से निकालकर स्वर्ग में भेज दिया था। अपनी एक ही जिंदगी में मैंने नरक और स्वर्ग दोनो देख लिए आज मेरे दो बच्चे हैं मगर उनको मेरे अतीत के बारे में कुछ पता नही है क्योंकि हम शहर में ही रहते हैं बच्चों को बहुत कम गांव लेकर जाते हैं। मेरे आंसू कब मोती बन गए मुझे आज भी भरोसा नही होता।
अमित रत्ता
अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश