शिवानी अपनी नन्ही सी परी को लेकर रेलवे स्टेशन पर बैठी थी और सोंच रही थी अब क्या करूं कहां जाऊं कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है । मां को फोन करूं, फिर मन से आवाज आई अरे नहीं इतनी रात को फोन सुनकर मां परेशान हो जाएगी।और जिस घर में खुद मां को ही रहने का ठिकाना नहीं है वहां भला मैं इस छोटी सी परी को लेकर कैसे रह पाऊंगी।
वैसे भी जब कभी मां से अपनी कुछ परेशानी कहानी चाही तो मां कह देती थी बेटा अब तो वहीं तेरा घर है और वही तूझे रहना है । यहां मेरा ही ठिकाना नहीं है तो मैं तूझे कैसे रख लूंगी। तेरे पापा के जाने के बाद अपने भाभी भइया को देखती तो है मेरे साथ कैसा व्यवहार करते हैं ।दो रोटी भी देना उन्हें भारी लगता है । इसलिए बेटा अब तेरा घर वहीं है और तूझे अब वही रहना है।
शिवानी की शादी के छै साल हो गए थे ।चार बहनें और एक भाई थे शिवानी। सभी भाई बहनों में शिवानी सबसे छोटी थी । सभी बहनों और भाई की भी शादी हो चुकी थी। तभी अचानक से पिताजी चल बसे ।अब सबकुछ घर का और बिजनेस भाई भाभी के कब्जे में आ गया।
शिवानी उस समय पढ़ रही थी । इंग्लिश में एम ए कर रही थी,और देखने सुनने में भी काफी अच्छी थी ।पढ़ाई के साथ साथ शिवानी को संगीत का भी बड़ा शौक था और वो उसकी शिक्षा भी ले रही थी । लेकिन अचानक पिताजी की मौत ने इन सब चीजों पर विराम लगा दिया ।उनको ये गाना बजाना बिल्कुल पसंद नहीं था । शिवानी के एम ए कोर्स पूरा होने पर पढ़ाई और संगीत दोनों पर ही रोक लग गई और शिवानी घर बैठ गई ।
धीरे धीरे शिवानी की बस उम्र बढ़ रही थी 28 की हो चुकी थी पर घर में उसके शादी व्याह की कोई बात नहीं करता था।बस मां को ही चिंता रहती थी वो अक्सर बेटे दीपक से कहती कि बेटा सबकी शादी तो हो चुकी है अब शिवानी के लिए भी कोई लड़का देखो ।पर दीपक टाल जाता और कहता मां शादी व्याह में बहुत पैसा खर्च होता है । लेकिन बेटा करना तो है ही न, शिवानी अपने घर की हो जाए तो मेरी भी चिंता दूर हो जाए ।
लेकिन दीपक एक कान से सुनता और दूसरे कान से निकाल देता। आखिर परेशान होकर शिवानी की मां ने अपनी दूसरी लड़कियों से कहा कि शिवानी के लिए कोई रिश्ता देखो। कुछ समय बाद बड़ी बहन ने एक रिश्ता बताया जो उसके ससुराल की तरफ से दूर के रिश्ते में था।
लेकिन बड़ी बहन सुहानी भी उस परिवार के बारे में अच्छे से नहीं जानती थी ।बहन ने शिवानी के लिए वो रिश्ता बताया तो मां ने जोर दिया कि बेटा देखो कोशिश करो सबकुछ ठीक हो तो शादी कर दें शिवानी की बड़ी चिंता होती रहती है शिवानी की ।घर में तेरे भाई से कहती हूं तो वो कोई ध्यान ही नहीं देता है ।
शिवानी की बड़ी बहन सुहानी ने शिवानी को अपने घर बुला कर लड़के वालों से मिलवाया । लड़का देखने सुनने में बहुत अच्छा नहीं था लेकिन पढ़ा लिखा परिवार था । संगीत का माहौल था घर में ।लड़के के पापा और छोटा भाई संगीत का शौक रखते थे। शिवानी देखने सुनने में अच्छी थी
तो उन लोगों को पसंद तो आ गई समझौते के तौर पर शिवानी ने भी हां कर दिया। क्योंकि उसे लग रहा था कि कोई घर में ध्यान दें नहीं रहा है तो शायद उसकी शादी न हो पाए । क्यों कि पापा तो थे नहीं और भाई कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था। शिवानी की मां ने भी सोचा बेटी से लड़का थोड़ा कमतर है तो क्या बेटी अपने घर की हो जाएगी।
और बहुत ज्यादा लम्बा चौड़ा प्रोगाम न बना कर छोटे से रूप में शादी हो गई। शिवानी खुश थी लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिन रह न पाई । कुछ दिया नहीं शादी में सास दिनभर शिवानी को बोलती रहती ।छै महीने हुए थे कि शिवानी प्रेगनेंट हो गई।अब उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती तब भी उससे हर काम करवाया जाता। शिवानी की सांस हमेशा शिवानी से कहती डिलीवरी के लिए मायके चली जाओ अपने मुझसे न होगा । लेकिन शिवानी कुछ जवाब न देती उसे तो मायके की स्थिति पता थी तो वो क्या जवाब देती।
शिवानी ने एक बेटी को जन्म दिया। आपरेशन से बेटी हुई । अस्पताल से घर आने पर शिवानी की ढंग से देखभाल नहीं हो रही थी और नहीं उसके खाने पीने कि ध्यान रखा जा रहा था। आपरेशन का शरीर था तो आराम की भी जरूरत थी । पंद्रह दिन बाद ही उसका पति संजय कहने लगा कबतक आराम करोगी उठो और घर का काम करो । शिवानी बोली लेकिन मुझसे अभी ज्यादा चलते फिरते नहीं बनता फिर अभी बच्चे को भी संभालना है ।
सास बोली अरे तो बच्चा तुम्हारा है तो तुम्हीं तो संभालोगी कि कोई और संभालेगा।सास भी हर समय कहती रहती अब घर का काम देखो मुझसे नहीं होता। मजबूरी में शिवानी धीरे धीरे घर का काम करने लगी । लेकिन उसके पेट में बराबर दर्द रहता था । डाक्टर को दिखाया तो बताया कि टांके पक गए हैं आराम की जरूरत है इनको ध्यान रखिये इनका।घर आकर संजय शिवानी पर बरस पड़ा कि कहीं की महारानी हो क्या कि आराम की जरूरत है कितना आराम करोगी। कुछ नहीं दवा खाओ और काम करो।
डिलिवरी के बाद शिवानी की ढंग से देखभाल नहीं हो पाई ंनहीं पौष्टिक आहार मिला । ऐसे ही एक दिन रसोई में काम करते शिवानी चक्कर खाकर गिर पड़ी। थोड़ी देर बाद सास आई और संजय को आवाज दी कि देखो मेमसाब फर्श पर पड़ी है । संजय ने दो तीन आवाज लगाई लेकिन शिवानी नहीं उठीं।तब संजय ने पानी लाकर उसके मुंह पर डाल दिया।और बोलने लगा इसके तो नखरे ही नहीं खत्म होते।
शिवानी का हाथ पकड़कर घसीटता हुआ बाहर ले आया तो शिवानी उठकर बैठ गई।सास बोली अब कितने नखरे दिखाएगी एक बच्चा क्या पैदा कर लिया महारानी के तो नखरे ही खत्म नहीं हो रहे हैं । दहेज के नाम पर तो कुछ लेकर आई नहीं है अब बीमार बेटी भी टिका दी क्या हम लोगों को ।ले जा इसको मायके छोड़ आ ।अरे नहीं भाई को फोन कर दें आपके लिए जाए इसको। तभी शिवानी बोली पड़ी मेरी तबियत ठीक नहीं है
और आप लोग मेरे साथ ऐसा सुलूक कर रहे हैं ।अरे घर का काम नहीं करेंगी क्या कबतक आराम करेगी । बहुत कमजोरी है मांजी मुझसे काम नहीं हो रहा है।तो जा मायके में आराम कर । क्यों मायके में क्यों आराम करूं यहां क्यों न करूं । अच्छा तो अब तू जुबान भी लडाएगी
और संजय ने एक चांटा रसीद कर दिया। शिवानी अपमान से तिलमिला उठी। उठकर कमरे में आई और सोचने लगी इतना तिरस्कार सहकर मैं यहां क्यों रह रही हूं । लेकिन मैं जाऊं कहां कोई ठिकाना भी तो नहीं है । मां कहती हैं ससुराल में रहो यहां तुम्हारे भाई भाभी नहीं रखेंगे और बहनें हैं तो वो पता नहीं रखेंगी कि नहीं रखेंगी । मुसीबत में कोई साथ नहीं देता। क्या करूं कहां जाऊं।
अब तो संजय का ये रोज का काम हो गया जरा सी कोई बात होती तो वो शिवानी पर हाथ उठा देता।आज सुबह से 11 से गए शिवानी रसोई में खाना बनाने नहीं गई बेटी को बुखार था और शिवानी को खुद भी दो दिन से हल्का बुखार आ रहा था कोई दवा , खाना को नहीं पूछ रहा था ऐसे ही वो काम कर रही थी लेकिन बेटी को बुखार आ गई तो वो खाना बनाने नहीं गई ।अभी उठी और रसोई में जाकर अपने लिए चाय बनाई और दो ब्रेड लेकर खाने को बैठी ही थी कि सास आ गई और एक हाथ मारकर चाय गिरा दी और बोलने लगी सबेरे से कुछ काम नहीं किया और खाने बैठ गई ।
हमारे घर में बिना काम के खाना नहीं मिलता । लेकिन मां जी मुझे बुखार आ रहा था और परी को भी बुखार है तो काम नहीं किया ।मर तो नहीं गई थी न , मांजी ऐ कैसी बात कर रही है आप मेरी तबियत ठीक नहीं है किसी ने एक बार पूछा तक नहीं और आप कह रही है कि काम नहीं किया।तो आप सुन लीजिए यही रहूंगी और काम भी नहीं करूंगी और खाना भी खाऊंगी ।तभी संजय आ गया और एक थप्पड़ फिर शिवानी को मार दिया पलटकर शिवानी ने भी संजय को एक थप्पड़ मार दिया।
तिरस्कार से तिलमिला गया संजय।सास बोली पकड़कर इसका हाथ निकालो इसको घर से । संजय शिवानी को घसीटता हुआ ले गया और बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया। शिवानी रोती रही अरे मेरी बच्ची कमरे में है मैं उसके बिना नहीं रह सकती ।वो चिल्लाती रही लेकिन किसी ने दरवाजा न खोला।
शिवानी सोचती रही और सुबकती रही क्या करूं कहां जाऊं ।शाम को उषा ,सास ने दरवाजा खोला देखने के लिए कि शिवानी है कि नहीं । शिवानी गेट की ओट में छिपा गई और फिर मौका लगते ही घर के अंदर घुसकर कुछ कपड़े बेग में रखे और बच्ची को उठाया और बाहर निकल आई।आजीज आ गई थी इस रोज़ रोज़ के तिरस्कार से लेकिन अब नहीं।
रात भर एक पार्क के बेंच पर बैठी रही । हल्का उजाला होने पर चौकीदार आया और पूछा कौन हो तुम यहां क्यों बैठी हो । शिवानी बोली भइया पति और सास ने घर से निकाल दिया है मेरा कोइ नहीं है कहा जाऊं। पढ़ी लिखी है हां भइया मुझे कहीं पर काम और कुछ रहने की जगह दिला सकते हो क्या, चौकीदार ने कहा यहां पास में एक स्कूल है वहां एक चपरासी की जरूरत है और स्कूल की जो प्रिंसिपल है
उन्हें घर के कामों के लिए कोई चाहिए । मुझे ले चलो भइया। चौकीदार शिवानी को ले गया प्रिंसिपल से मिलवाया तो उन्होंने उसे घर के कामों के लिए रख लिया। झाड़ू पोंछा बर्तन और खाना भी बना देती थी । रहने का कोई ठिकाना न था तो स्कूल के पीछे एक छोटा सा सर्वेंट क्वार्टर था वहीं शिवानी रहने लगी ।
अब शिवानी खुश रहने लगीं।रोज़ रोज़ के तिरस्कार से शिवानी यहां सुकून से रह रही थी। ऐसे ही एक दिन काम से निपटकर बच्चे को लोरी गाकर सुना रही थी तो प्रिंसिपल मैडम ने सुन लिया पूछा तुम्हारा गला तो बहुत अच्छा है क्या तुमने गाना सीखा है क्या।हां मैडम मैं पढ़ी लिखी हूं और संगीत की भी शिक्षा ली है मैंने। अच्छा तो तुम मेरे स्कूल में छोटे बच्चों को खाना सिखाओगी । हां मैडम शिवानी खुशी से झूम उठी।
आज शिवानी मैडम के स्कूल में संगीत की टीचर बन गई है । प्रिंसिपल मैडम का भी सारा काम कर देती है और समय पर स्कूल में अपनी क्लास भी ले लेती है।।और अपनी बेटी को भी जो तीन साल की हो गई है उसी स्कूल में नाम दर्ज करा दिया।अपनी पहचान को छिपाए भी रखा ।अब एक तिरस्कार पूर्ण जीवन से सम्मानित जीवन जी रही है। दोनों मां बेटी खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रही है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
8 जून