सुबह-सुबह आनंदी ने रजत को जल्दी से नहा धोकर कहीं जाने के लिए तैयार होते हुए देखा तो वह समझी कि रजत अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने के लिए जा रहा होगा क्योंकि वह पहले भी ऐसे ही
सुबह-सुबह तैयार होकर कई कई दिनों के लिए अपने दोस्तों के साथ बाहर घूमने निकल जाता था
परंतु ,यह क्या वह तैयार होकर बाहर जाने की बजाय दुकान की चाबी लेकर आनंदी से बोला” मम्मी में दुकान पर जा रहा हूं आज से पापा की दुकान में ही देखा करूंगा”रजत की बात सुनकर आनंदी आश्चर्य रजत की तरफ देखने हुए बोली” बेटा दुकान पर भूखा मत जाना मैं तेरे लिए अभी तुरंत पराठे
बना कर लाती हूँ “ठीक है मम्मी आप परांठे बना कर तैयार कर दो तब तक में मंदिर में पूजा कर लेता हूं” कहते हुए रजत मंदिर में पूजा करने चला गया था उस वक्त रजत के बाबा दादी भी घर में बैठे हुए थे दोनों मां बेटे की बात सुनकर बाबा आश्चर्य से अपनी पत्नी सुनीता से बोले” आज यह दोनों इतना कैसे बदल गए? जो कल तक किसी काम को हाथ नहीं लगाते थे?
पति की बात सुनकर सुनीता की आंखें नम हो गई थी कभी भरा पूरा परिवार था उसका जिसमें उसका पति संजय बेटा आनंद पत्नी आनंदी व एक बेटे रजत के साथ खुशी से समय बिताते थे उसका बेटा आनंद बेहद सीधा ,मेहनती व जिम्मेदार इंसान था जो सुबह 4:00 बजे से उठकर घर की साफ
सफाई से लेकर खाना बनाने तक सारा काम करके फिर दुकान पर जाता था एक बार तबीयत खराब होने पर जब उसने रजत से दुकान पर जाने को कहा तो रजत उसकी बात का मजाक उड़ाते हुए
बोला “अपनी दुकान आप ही संभालो मुझे तो दोस्तों के साथ घूमने फिरने में ज्यादा आनंद आता है” रजत की बात सुनकर आनंद का दिल दुखी हो जाता था ।
उन्होंने रजत को पढ़ा लिखा कर इस योग्य बना दिया था कि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर कोई नौकरी कर सके या फिर दुकान पर उनका हाथ बटाये परंतु, रजत कोई काम करने की बजाय अपने
दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमने में समय बर्बाद कर देता था अपने पापा को सीधा साधा समझकर उनकी बातों को नजर अंदाज कर देता था।
यही हाल उसकी पत्नी आनंदी का भी था वह घर में काम करने की बजाय दिन भर फोन पर अपनी मम्मी पापा और दोस्तों से बात करती रहती थी जब आनंद उसे खाना बनाने को कहता तो वह बीमारी का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेट जाती थी और आनंद के कुछ कहने पर उसकी शिकायत अपनी
मम्मी पापा से करके उसे बुरी तरह से अपने मम्मी पापा द्वारा अपमानित करा देती थी जिससे दुखी होकर आनंद आनंदी से कहता” वक्त से डरो जब वक्त कर्मों का हिसाब करता है तो वह इंसान को भगवान के मंदिर पर बार-बार प्रार्थना करने पर भी माफ नहीं करता।”
पति की बात सुनकर आनंदी लापरवाही से कहती “मैं वक्त से नहीं डरती”तब पत्नी की बात सुनकर आनंद दुखी मन से उससे किसी काम के लिए नहीं कहता था पत्नी को फोन में व्यस्त देखकर खाना बनाकर अपने मम्मी पापा को खिलाकर वह दुकान पर चला जाता था एक दिन दुकान से लौटते वक्त
एक गाड़ी में उसे ऐसी टक्कर मारी कि उसके सारे शरीर में गंभीर रूप से चोट आ गई थी तब उसके मम्मी पापा ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए उसे एक अच्छे अस्पताल में दाखिल कर दिया था जहां
पर डॉक्टर के द्वारा अच्छा इलाज करने पर भी उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था तब पति की सलामती के लिए आनंदी मंदिर में कई कई घंटे प्रार्थना करती थी।
लेकिन आनंदी की प्रार्थना से आनंद की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि उसकी हालत और भी ज्यादा बिगड़ गई फिर कई दिन जीवन और मृत्यु से संघर्ष करने के बाद आनंद ने दम तोड़ दिया था। पति की मौत ने आनंदी को बुरी तरह से तोड़ दिया था उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वक्त
एक दिन उसको ऐसा दिन दिखाएगा। पति के जाने के बाद घर के कामकाज के साथ-साथ घर पर आर्थिक संकट भी आ गया था।
जिसे दूर करने के लिए रजत ने अपने पापा की बातों को याद करके प्रायश्चित स्वरूप दुकान पर जाने का मन बना लिया था वैसे भी कोई उसे इतनी जल्दी नौकरी तो देता नहीं। उसकी मम्मी आनंदी को भी अपने पति के साथ किए हुए दुर्व्यवहार को याद करके मन ही मन ग्लानि होने लगी थी जिसे
याद करके वह बार-बार अपने पति की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर माफी भी मांगती थी वक्त ने पति का दिल दुखाने पर उसे ऐसा दर्द दिया कि अब उसका फोन चलाने को भी मन नहीं करता था तब घर का काम करके किसी तरह से वह अपना समय काट लेती थी।
जब रजत मंदिर से पूजा करके आया तो उसने पराठे बना कर उसके लिए थाली तैयार करके रजत के सामने रख दी थी जिसे देखकर उसकी दादी सुनीता बेटे को याद करके पति से बोली”वक्त
सबको बदल देता है अब मां बेटे काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या? परंतु ,यह भी जीवन की सच्चाई है कि भगवान सबसे पहले घर के सबसे सीधे साधे , कमाऊ और जिम्मेदार इंसान को ही अपने पास
बुलाता है बुरे को नहीं ताकि वह लोगों को उसके कर्मों का आइना दिखा सके।”पत्नी का जवाब सुनकर पति के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी उसने भी अपने जीवन में ऐसे लोगों को सबसे पहले जाते
देखा था जो घर के सबसे खूबसूरत ,लायक, और जिम्मेदार इंसान थे क्या आपने भी अपने समाज में कुछ ऐसा ही देखा है तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं? शायद ऐसा करने से लोग अपने जीवन
साथी का अपमान करने की बजाय उनका सम्मान करना सीख जाए।
लेखिका : बीना शर्मा
# वक्त से डरो