आग पर तेल छिड़कना – विनीता सिंह

सरला जी ने अपने बेटे की  शादी की थी ,उनकी बहू सुरभि जो की एक पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की है। लेकिन दोनों की सोच में जमीन आसमान का अंतर था ।सरला जी जहां परंपरा को मानने वाली और उनका विचार था

की बहू को घूंघट में रहना चाहिए, और वहीं दूसरी तरफ सुरभि  खुले विचारों की थी, उसका मानना था  कि हमें कायदे से रहना चाहिए घूंघट करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है ।एक दिन सुरभि रसोई घर में काम कर रही थी तभी समीर ने आवाज लगाई सुरभि एक मिनट इधर आना मुझे रूमाल 

देना, सुरभि रुमाल देने चली गई, उसी वक्त 

 गैस पर के उपर रखा 

 दूध बर्तन से बाहर निकल रहा था, यह देखकर सरला जी आई और उन्होंने गैस के बटन को बंद कर दिया ,तभी उनकी पड़ोसन आई और बोली सरला बहन जी आज-कल की बहू की तो बात मत करो ,उन्हें तो किसी बात का ध्यान नहीं रहता है।

तुम ही ध्यान रख लेती हो,देखो तुम्हारा कितना नुकसान कर दिया और अभी तक कमरे में से नहीं आई है ,आजकल की बहुएं तो बस हर समय फोन में लगी रहती है, या मायके से फोन पर बात करती रहती है।

इतना कहकर और पड़ोसन चली गई तभी सुरभि अपने कमरे से आई और बोली मां, मुझसे गलती हो गई इन्होंने आवाज लगाई थी, मुझे ध्यान नहीं रहा और गैस पर दूध निकल गया। आगे से ऐसा नहीं होगा।

थोड़ी देर बाद जब सुरभि अपने कपड़े छत पर सूखने के लिए डालने गई इस समय वही पड़ोसन सुरभि को मिली और बोली कैसी हो -बेटी सुरभि ने कहा आंटी जी मैं, ठीक हूं ,पड़ोसन बोली  तेरी सास बहुत तेज है मैंने देखा था आज तेरे घर में कुछ सामान लेने गई थी

तो गैस पर पर रखे बर्तन से दूध निकल रहा था ,तेरी सास तेरे लिए उल्टा सीधा बोल रही थी। फिर मैंने कुछ नहीं कहा चुपचाप चली आई । सुरभि ने कहा कोई बात नहीं आंटी जी फिर सुरभि के मन में आया मैंने तो मम्मी को  सॉरी बोल दिया था ,फिर मम्मी जी ने इसे क्यों कहा।

 धीरे-धीरे छोटी-छोटी बातों को लेकर सास बहू के मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष भावना पैदा होने लगी। अब समीर को प्रॉब्लम होती है ,कि जब घर पर आता तो मां भी गुस्से में दिखाई देती़ है, और सुरभि भी नाराज रहती है ,

तब समीर ने पूछा सुरभि क्या बात है, सुरभि ने कहा ” मैं कितनी भी कोशिश कर लूं ” पर मां कभी खुशी नहीं होती है ।और पड़ोस में जाकर आन्टी से मेरी बुराई करती हैं। समीर ने कहा चलिए आप दोनों के साथ में बैठता हूं,

फिर समीर अपनी मां सरला देवी के पास गया और मां के पैर पकड़ कर बोला मां चलो मुझे आपसे एक बात करनी है, फिर दोनों को लेकर कमरे में आ गया। एक तरफ सरला देवी बैठी दूसरी तरफ सुरभि बैठी समीर बोला की मां देखो,

आप हो बड़े, आपकी जितनी उम्र है, सुरभि को उतना बड़ा होने में अभी बहुत समय लगेगा और अगर इससे कोई गलती होती है तो आप स्वयं से डांटो इसे कहो यह आपकी बेटी है और अपने मन में एक दूसरे के प्रति नफरत मत  पैदा करो,

वरना मुझे मालूम है, कि आप दोनों ही मुझे प्यार करती हो और मुझे आप दोनों दुखी देखना नहीं चाहती, अगर आप दोनों का बर्ताव में कोई परिवर्तन नहीं आया तो मैं ही आप दोनों से दूर चला जाऊंगा, यह सुनकर सरला देवी और सुरभि दोनों ने कहा , तुम ऐसे काम मत करना। 

सरला देवी बोली मुझसे गलती हो गई मैं उसे पड़ोसन की बातों में आ गई तभी सुरभि ने सरला देवी के पैर पकड़ते हो कहां वहां आपकी गलती नहीं थी ,जब मैं छत पर जाती थी तब आंटी भी कहती थी कि आप मेरी उनसे बुराई करती हो

इसलिए मेरे मन में भी आपके लिए यह हो रहा था कि मैं मम्मी की इतनी सेवा करती हूं फिर भी मम्मी मेरी बुराई बाहर करती है, वह हमें गलती की हमें आपस में एक दूसरे से बात करनी चाहिए थी ना, कि लोगों की बातें विश्वास करना चाहिए था समीर ने जब उन दोनों ने अपनी गलती मानी जब सरला जी ने और सुरभि ने अपनी गलती मान ली तो समीर ने जी ने दोनों को अपने गले लगा लिया

कहा आप दोनों ही मेरे लिए सबसे प्यारी हो और आपसे बढ़कर कोई नहीं और आप अभी ,मुझसे वादा करो कि कभी किसी बाहर वाले की बातों में आकर अपने घर की खुशियों को बर्बाद नहीं करोगे 

इस कहानी से हमें ये,शिक्षा मिलती है कि कुछ लोग आग में घी छिड़कने का काम करते हैं।

विनीता सिंह 

बीकानेर,राजस्थान

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