अभागी – लतिका पल्लवी 

निशी विदा होकर ससुराल मे आई तो सभी औरतो नें एक एक करके दुल्हन को सिंदूर लगाकर दुल्हन का मुँह देखा। फिर दादी सास नें पूछा कि सभी नें देख लिया ना? कोई छूटा तो नहीं? बड़ी बहू के कहते ही की नहीं दादी जी सभी नें सिंदूर लगा दिया कोई नहीं छूटा तो दादी नें कहा तो अब तु अपनी देवर देवरानी को उतार कर घर के अंदर पूजा घर मे ले चल।

निशी नें सोचा सासु माँ नें तो नहीं देखा मुझे क्योंकि बुआ सास सिंदूर लगाते वक़्त सभी का परिचय दिए जा रही थी। उन्होंने तो किसी का परिचय सास कहकर नहीं करवाया। माँ ने यह तो कहा था कि लड़का के पिता की मृत्यु हो गई है इसलिए दादा दादी नें उसे पाला पोसा है।

पर मुझे क्यों लग रहा है कि बुआ जी नें रिश्ता बताते वक़्त कहा था लड़का की माँ है। संयुक्त परिवार है पर लड़का बाहर रहता है इसलिए बिटिया को भी बाहर लेकर चला जाएगा। दो चाचा चाची है।उनके बच्चे भी है। बड़के चाचा के एक बेटा बेटी का विवाह भी हो गया है।

इसलिए एक जेठानी भी है। पर सास है या नहीं निशी के मन मे यह प्रश्न बार बार उठ रहा था पर ससुराल मे यह बात भला वह किससे पूछती इसलिए वह चुपचाप बैठी थी। दिनभर गाँव की औरतो का आना जाना लगा रहा और तरह तरह के रीत रिवाज़ होते रहे, पर निशी को सास से नहीं मिलवाया गया।

निशी नें सोचा कि शायद सास नहीं होंगी मैंने ही गलत सुना होगा। जब रात हुई तो दादी सास नें फिर जेठानी को बोलकर निशी को उसके कमरे मे भेज दिया। रात बीती और सुबह के पांच बजे तो निशी की नींद खुली। उसे याद आया, माँ नें कहा था

कि एकदम सुबह उठकर नहा धोकर तैयार हो जाना। गाँव मे इन सभी बातो पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। उसके कमरा मे बाथरूम नहीं था इसलिए वह बाहर निकली। पर उसे बाथरूम का रास्ता नहीं पता था।अभी वह सोच ही रही थी कि किससे पूछे क्योंकि उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था।

शायद घर मे कोई अभी जगा नहीं था। तभी उसे एक औरत दिखाई दी जिसने साधारण सूती  साड़ी पहन रखी थी। निशी नें सोचा कि वह घर मे काम करने वाली होंगी और उसने उसे बुलाकर पूछा चाची नहाने का कमरा कहाँ है? उस औरत नें कहा चलो छोटी बहू मै तुम्हे पहुंचा देती हूँ पर तुम इतनी सुबह क्यों जग गई?

निशी नें कहा माँ नें कहा है कि नई बहू को सुबह ही उठकर तैयार हो जाना चाहिए इसलिए नहाने जाना है। उस औरत नें कहा तुम्हारी माँ नें तो बहुत ही अच्छे संस्कार दिए है चलो जाकर नहा लो यह कहकर उन्होंने निशी को बाथरूम मे पहुंचा दिया। सुबह उसकी जेठानी जब उसे उठाने आई तो देखा कि वह तो पहले से ही तैयार बैठी है।

यह सुनकर दादी सास भी बहुत खुश हुई और कहा शहर की है पर माँ नें अच्छे संस्कार दिए है। उस दिन कुलदेवी की पूजा होनी थी इसलिए सभी तैयार होकर पूजा करने चले गए। पूजा मे भी निशी को सास नहीं दिखी। उसने अब मान लिया था कि उसके पति के माता पिता दोनों ही नहीं है।

उसे सास के नहीं होने से थोड़ा बुरा लग रहा था क्योंकि अपनी सास अपनी ही होती है। चाची सास अपनी बहू की तरह ना तो प्यार कर सकती है और ना ही बहू की गलतियों पर पर्दा डाल सकती है। संयुक्त परिवारों मे प्रायः मेरी बहू अच्छी है का ज्यादा दिखावा रहता है।

पर उसने सोचा छोड़ो मुझे कौन सा इन लोगो के साथ रहना है जो इतनी चिंता करू। पूजा करके आने के बाद उसने देखा कि वही औरत जो सुबह मिली थी खाना बना रही है। उसने ध्यान दिया कि सारे काम वह औरत करती है पर कोई उससे सही से बात भी नहीं करता है।

आज के समय मे भी नौकरो के साथ ऐसा व्यवहार होता है उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ! रात मे उसने एकबार अपने पति से उसके माँ पापा के बारे मे पूछना चाहा पर फिर सोचा कल पूछ लुंगी पहला दिन है कहीं उन्हें बुरा ना लग जाए। सुबह उसने फिर देखा कि घर के सारे काम वह औरत ही कर रही है।

थोड़ी देर बाद निशी का भाई उसे विदा कराने आया और वह अपने मायके चली गई। वहाँ माँ नें पूछा ठीक से रही ना? तेरे व्यवहार से सास खुश थी ना? गहने कपड़े उन्हें पसंद आया ना? उन्होंने कुछ कहा तो नहीं? माँ क्या कह रही हो तुम? सास है ही नहीं तो सास को खुश कैसे करूंगी?

निशी नें झुंझलाते हुए कहा। सास नहीं है। यह क्या कह रही है? हाँ माँ सास नहीं है मेरी। माँ को आश्चर्य हुआ!उन्होंने पिताजी से पूछा दीदी जी नें तो कहा था कि सास है? है तो क्या कहेगी?  पापा नें कहा। पर निशी तो कह रही है कि नहीं है माँ नें कहा। ठीक है दामाद जी आएंगे तो पूछ लिया जाएगा।

दूसरे दिन जब निशी का पति उसे विदा कराने आया तो निशी नें आते ही उससे कहा मुझे आपसे एक बात पूछनी है पूछू? पूछो। वैसे बहुत जरूरी नहीं हो तो घर पर भी पूछ सकती हो अभी मै माँ पापा से बात करू तो उन्हें ज्यादा अच्छा लगेगा,पति नें कहा।

आप कह तो सही रहे है पर बहुत जरूरी बात है।ठीक है पूछो पति नें कहा।क्या आपकी माँ जिन्दा है? निशी नें पूछा। हाँ, जिन्दा है। तुम उनसे नहीं मिली क्या? वैसे यह तो तुम पहले भी पूछ सकती थी। पति नें कहा। नहीं उनसे तो किसी नें नहीं मिलाया। निशी नें बताया।

अरे! घर मे जो खाना बनाती थी उन्हें तुमने नहीं देखा? वही तो है मेरी अभागी माँ। क्या! वह तुम्हारी माँ है नौकरानी नहीं? निशी नें आश्चर्य से पूछा। हाँ मेरी माँ है मेरे पिताजी के मरने के बाद दादी मुझे उससे ज्यादा बात नहीं करने देती है। कहती है कि वह अभागी है मेरे बेटे को खा गई

अब मेरे पोते को भी खा जाएगी।पहले मै उससे पास जाने के लिए रोता था पर दादी के डर से जा नहीं पाता था। फिर अब तो आदत हो गई है मै उससे बात नहीं करता हूँ। फिर निशी के पूछने पर उसने बताया कि कैसे पिताजी के मरने पर दादी माँ को कोसती थी

और उनके मरने का सारा इल्जाम माँ पर डालकर सभी नें उन्हें अभागी घोषित कर दिया था। तबसे माँ से कोई ढंग से बात नहीं करता है और घर के सारे काम भी माँ से करवाते है। वह तो बचपन से ही हॉस्टल मे रहने चला गया। फिर नौकरी भी बाहर ही करता है तो घर से उसे कोई खास लगाव नहीं है

बस कभी कभी पर्व मे ही जाता है। पर दादा दादी उसे बहुत प्यार करते है।उसकी बातो को सुनकर निशी एकदम से आश्चर्चकित रह गई कि भला कोई कैसे किसी को पति के मृत्यु का जिम्मेदार ठहराकर उस पर इसतरह के जुल्म कर सकता है! आगे उसने अपने पति से कुछ नहीं कहा। घर जाने के दो दिन बाद निशी और उसके पति शहर जाने लगे तो निशी नें अपनी सास को बुलाकर कहा माँ आप भी हमारे साथ शहर चलेंगी।

यह क्या कह रही हो छोटी बहू मै क्यों चलूंगी? उन्होंने कहा।छोटी बहू नहीं सिर्फ बहू। और आप अपने बेटे के घर नहीं रहेगी तो कहा रहेगी? आप मेरी सास है यह मुझे पता है इसलिए आप भी हमारे साथ चलेंगी।यह सुनकर दादी सास नें गुस्साते हुए कहा यह क्या कह रही हो छोटी बहू? यह अभागी तुम्हारे साथ नहीं जाएगी।वह यही रहेगी। क्यों आप सब की सेवा टहल करने के लिए?

मेरी सास आपकी मुफ्त की नौकरानी नहीं है। यह हमारे साथ जाएगी। और बुरा मत मानिएगा दादी जी पर सच कह रही हूँ।किसी के मरने से ही कोई अभागा अभागी हो जाता है तो दुनिया के सबसे अभागे तो आप और दादाजी है जिसका बेटा उनके जीते जी मर गया।

पति के मरने के बाद पत्नी जब चाहे शादी करके सुहागन बन सकती है पर कोई माँ बाप बेटा बेटी के मरने के बाद जब चाहे तब माँ बाप नहीं बन सकते।चलिए माँ, कहकर उसने जैसे ही अपनी सास का हाथ पकड़ा तो देखा उनके आँखो मे आँसू भरे थे।

यह देखकर उसने कहा माँ आप रो क्यों रही है? क्या मैंने कुछ गलत कह दिया? नहीं बहू आज तक किसी नें भी मेरे बारे मे नहीं सोचा जबसे तुम्हारे ससुर जी गए है तब से सभी नें अभागी कहकर ही पुकारा है आज तुम्हे अपने बारे मे सोचते और मुझे माँ कहते देखा तो आँख भर आए।

मुहावरा –आँख भर आना 

लतिका पल्लवी 

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