आज सुबह उठने में देर हो गई बगल में देखा तो यह भी बिस्तर पर नहीं थे आज तो रविवार है फिर आज यह सवेरे कैसे उठ गये ,मैं भी उठकर बालकनी में चली गई ,तभी मेरे हाथों में चाय थमाते हुए बोले गुड मॉर्निंग, मैं भी चाय की प्याली हाथ में ले मुस्कुराने लगी ।
मेरी आज मीटिंग है थोड़ी देर के लिए जाना होगा कहकर तैयार होने चले गए मैं भी अपने हाथों में चाय का प्याला लेकर कुछ पिछली यादों में खो गई।
सुबह के 6:00 बजे अलार्म की घंटी बजी मैं फटाफट बिस्तर छोड़कर उठकर सीधे किचन की तरफ दौडी चाय चढ़ाने के लिए मैं चाय के बाद ही कोई काम करती हूं, इनकी आवाज़ आई,चाय बन गई क्या? मैंने कहा ला रही हूं और दो कप चाय लेकर दौड़ के आई एक इनके लिए एक सासू मां के लिए वापस आते समय बच्चों को आवाज़ लगाती हुई आई फिर किचन में फटाफट सबके लिए नाश्ता बनाने लगी और सबको नाश्ता लंच देकर बच्चों को छोड़ने के लिए स्कूल चली गई स्कूल में एक बच्चों की टीचर से मेरी दोस्ती हो गई थी ,जाते आते हाल-चाल पूछ लेती थी
घर आते ही मां बोली, बहू इस बार बहुत ठंड है, च्वयनप्राश लेकर नहीं आई ,हां ले आऊंगी तभी काम वाली बोली ,दीदी मेरे लिए एक चप्पल भी ले लेती ,मैंने कहा हां ले लूंगी और काम सब निपटाकर बिस्तर पर गई फिर याद आया महीना लगने को है सैलरी आने में देर है क्योंकि ऑफिस में 7तारीख से पहले पैसा नहीं मिलता पर देखा तो पर्स में कुछ ही पैसे थे ,और मुझे काफी दिन चलने में थे तभी बेटा स्कूल से आया और बोला मम्मी मेरी होमवर्क की कॉपी खत्म हो गई है ,मैंने कहा ठीक है ला दूंगी
घड़ी में शाम के 7:00 बज रहे थे , पतिदेव आ गये उनको चाय देकर बोली,कुछ पैसे देते क्योंकि घर में कुछ पैसे कम पड़ रहे हैं सुनते ही ज़ोर से बोले अभी से तुम्हारा शुरू हो गया ,अभी कितने दिन बाकी हैं सैलरी आने में ,तुमको घर चलाने नहीं आता है, मैं अपने लिए कुछ नहीं मांग रही हूं घर में कुछ काम था घर के लिए मांग रही थी ,मेरी बात ख़त्म भी नहीं हुई और वो उठकर चले गए।
आज मैं बच्चों को स्कूल छोड़कर आई तो मां बोली आज बहुत सुंदर सेब बेचने आया था, मैंने कहा तो आप ले लेती, मां गुस्सा होकर बोली, मैं कोई पेंशन नहीं उठाती हूं, मैं उनका मुंह देखने लगी, फिर सोचा ठीक ही बोल रही हैं, मुझे बुरा नहीं लगा, मन तो सबको होता है।
अगली सुबह फोन की घंटी बजी, डर गई मेरे पापा का फोन था ,इतनी सुबह-सुबह फोन,डर लग रहा था हेलो पापा जी नमस्ते, पापा बोले बेटा हैप्पी बर्थडे, मैंने कहा थैंक यू, और चुप हो गई ,क्योंकि मुझे खुद याद नहीं था, कि तभी पापा जी ने फिर आवाज लगाई , फिर आज क्या सब बनेगा ,कुछ अच्छा बना लेना, मां बोली गाजर का हलवा बना लेती, तुमको बहुत अच्छा लगता है, और ठंड भी है, मैंने कहा हां बना लूंगी ,पूरा दिन बीत गया किसी को याद भी नहीं था कि आज मेरा बर्थडे है ,और दूध और गाजर कैसे लाती ,कल ही गुस्सा हो गए थे मेरी फिजूलखर्ची पर,रात 9:00 बज रहे थे बच्चों को होमवर्क करा रही थी तभी फिर पापा जी का फोन आया बोले हलवा बनाई ?,और क्या सब हुआ, मैंने कहा बनाया और अच्छा खाना सब बना दी ,पास में बेटी बैठी थी ,बोली आज क्या था नाना जी क्यों बोल रहे थे अच्छा खाना बनाने के लिए, मैंने कहा आज मेरा जन्मदिन था ,तभी इन्होंने सुन लिया और बोले ,बताती तो कुछ मंगा देता, मैं चुपचाप उनका मुंह देखती रही। आज जब मैं बच्चों को छोड़ने स्कूल गई तभी मैंने उस टीचर को एक ऐसी साड़ी पहने देखी जो मैं कितने दिनों से मार्केट में देख रही थी ,और उसके लिए कुछ धीरे-धीरे पैसे जमा कर रही थी, लेकिन ले नहीं पाई ,मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया,
मैं इतनी भी असहाय नहीं हूं कि मनमुताबिक जीने के लिए के पति पर आश्रित रहूं, क्या मैं पढ़ी लिखी नही,एम.ए बी.एड हूं,अगले ही दिन मैंने उसी स्कूल में टीचर से बात की ,टीचिंग के लिए, और उन्होंने प्रिंसिपल से बात करके मेरी डिग्रियों को देखते हुए पढ़ाने की अनुमति दे दी। घर आकर इनसे बात की तो थोड़ी ना नुकुर के बाद ये भी मान गए।
दो महीने होने को आये घर , बाहर,अच्छे से मैनेज कर पा रही हूं अब तो ,
जिस दिन मैंने सैलरी उठाई उसी दिन आते समय अपने लिए अपने पसंद की एक अच्छी साड़ी लता की चप्पल और मां के लिए च्वयनप्राश ,फल फूल ,बच्चों के खिलौने और ज़रूरत की चीजें, और इनको कैसे भूल जाती, इनके लिए भी घड़ी लेकर आई ,घर में सबके लिए कुछ ना कुछ लेकर घर आई, सब ने बहुत सराहा।
किस सोच में डूबी हो, चाय ठंडी हो रही है ,पी लो मैं निकल रहा हूं, इनकी आवाज़ से तंद्रा भंग हुई और मैंने चाय की घूंट ली , और बालकनी से अंदर आ कर ये मीटिंग के लिए चले गये,दरवाज़ा बंद कर मैं घर के काम निपटाने लगी।।
बबिता झा ✍️