अपनो से तो गैर अच्छे – खुशी

रागिनी के पति हेमंत की बदली झारखंड के एक छोटे से शहर बिलासपुर में हुई ।कहा रागिनी एक भरे पूरे परिवार में रहती थी।घर में मां पिताजी,चाचा चाची दो भाई भाभियां उनके बच्चे चाचा के दो बेटे और एक बेटी नंदिनी जो उसके बराबर थी ऐसा उसका मायका था जो हैदराबाद में था।

उसकी शादी हेमंत से हुई हेमंत के परिवार में भी माता पिता दो बड़े भाई भाभी बहने जिनकी शादी हो गई थी सबसे छोटा हेमंत था ।माता पिता ने शादी इसी कारण की बड़ा घर है और रागिनी अकेला महसूस नही करेगी। पर जब रागिनी की शादी हुई उसके कुछ समय बाद ही वो झारखंड आ गए।

रागिनी ने अपनी सास से कहा मां आप चलिए पर वो बोली ना बहु मै ना जा पाऊंगी तुम्हारे बाबूजी ना मानेंगे।तुम तैयारी पकड़ लो फिर रागिनी अकेले ही सब करती रही कोई नहीं आया घर मे सास भाभी सब थे।उसे अपना मायका याद आ रहा था कैसे किसी भी काम के लिए सब लोग खड़े होते थे।

फिर रागिनी हेमंत संग झारखंड आ गई।वहां वो जिस मकान में रहने आए उस के पड़ोस में शीला आंटी और उनके पति रहते थे एक बेटा था मोहित जो इंजीनियरिंग कर रहा हैं।जब हेमंत और रागिनी पहुंचे तो रात हो रही थी। शीला आंटी ने दरवाजे पर गाड़ी की आवाज सुनी तो वो बाहर आई  बोली मुझे लगा मोहित आ गया।

आप लोग रागिनी बोली आंटी हम यहां नए आए हैं ये मेरे पति हेमंत है इनकी बदली यहां हुई है।शीला आंटी बोली अच्छा बेटा ऐसा करो तुम यहां हमारे यहां आ जाओ अभी रात भी हो गई है ठंड भी है तो तुम लोग यही आराम करो।रागिनी और हेमन्त ने मना भी किया पर शीला आंटी मानी नहीं अंदर ले आई ।

घर इतना साफ सुथरा की आइने जैसा ।उन्होंने उन्हें हाथ मुंह धोने को कहा फिर तब तक चाय बनाई उनके पति मनोहर जी भी आ कर उनके साथ बैठे पता चला कि हेमंत और मनोहर का दफ्तर एक ही है। चाय हुई तब तक मोहित भी आ गया मोहित पुने में इंजीनियरिंग पढ़ रहा था।

छुट्टियों में घर आया हुआ था।शीला आंटी की एक बेटी थी पूजा जिसका विवाह हो गया था वो पुणे में ही थी परंतु उसके पति के प्रोजेक्ट के कारण वे लोग आजकल बाहर थे। शीला आंटी ने बहुत अच्छा खाना बनाया था साधा था पर स्वादिष्ट खाना खा कर रागिनी शीला की मदद करने लगी उधर हेमंत ने घर फोन कर इनफॉर्म किया।

शीला आंटी ने रागिनी की घर जमाने में और भी बहुत कामों में मदद की मोहित भी दीदी जीजाजी करता रहता उसकी छुट्टियां खत्म हो रही थी तो वो वापस जाने वाला था इसलिए शीला आंटी दुखी थी।रागिनी बोली मां आपकी बेटी है ना फिर क्यों दुखी हो रहे हों मै और हेमंत आपका और अंकल का ध्यान रखेंगे।

उधर हेमंत को ऑफिस के काम से 6 दिन के लिए त्रिसूर जाना था वो टेंशन में था कि रागिनी अकेली कैसे रहेगी उसने अपनी मां को फोन किया मां आप कुछ दिन के लिए मेरे पास आ जाओ मै बाहर जा रहा हूं तो रागिनी अकेली है उसकी मां ने साफ मना कर दिया बेटा मै नहीं आ सकती

तेरे पिताजी को कौन देखेगा तो भाभियों को उन्होंने भी कहा नहीं हमारे बच्चे स्कूल जाते हैं हम भी नहीं जा सकते।शीला आंटी बोली बेटा तुम जाओ चिंता मत करो हम ध्यान रखेंगे।शीला आंटी बहुत ध्यान रखती थी रागिनी का रागिनी ने अपनी मां को भी कहा वो बोली बेटा मेरे पैरों का ऑपरेशन हुआ है

तो मै तो बिल्कुल चल फिर नहीं सकती और बहु बच्चे सब व्यस्त हैं।तेरे बड़े भाई 15 दिन बाद सपरिवार अमेरिका जा रहे हैं उन्हें नया प्रोजेक्ट मिला है तो 2 साल वो वही रहेंगे।रागिनी बोली ठीक है मां।रागिनी की भाभी भाई सबका फोन आया सबको दुख था कि वो नहीं आ पा रहे पर ससुराल से एक फोन नहीं आया।हेमंत जब वापस आए तो उन्होंने पूछा सब ठीक था रागिनी बोली हा शीला आंटी ने बहुत ध्यान रखा।

घर से फोन आया रागिनी ने कहा नहीं घर पर बात हुई तो सास बोली हम करते थे ये उठाती ही नहीं थी।इसी बीच एक सुबह रागिनी चक्कर खा कर गिर पड़ी हेमंत ने शीला आंटी को बुलाया और डॉक्टर के पास गए । डॉक्टर बोली इन्हें हाई बीपी का इश्यू है तो कोई इनके पास रहे ।

हेमंत ने अपनी मां को फोन किया उन्होंने अपनी तबियत खराब है बोल कर पल्ला झाड़ लिया।भाभी को बोला अभी  बच्चों की छुट्टियां है तो आप आ जाओ उन्होंने कहा मै अपने मायके जा रही हूं मैं नहीं आ सकती ।सबने मना कर दिया शीला आंटी बोली बेटा मैं हु तू मत घबरा पूरे नौ महीने शीला आंटी ने रागिनी का बेटी जैसा ध्यान रखा उसे बिल्कुल भी नहीं उठने देती ।

नौ महीने बाद रागिनी ने प्यारे से बेटे को जन्म दिया।बेटा हुआ है सुन कर सास ननद भाभी सब खुश हुए ।बहने बोली भाई हमे ये नेग चाहिए।2 महीने बाद बेटे के नामकरण का कार्यक्रम था सब रिश्तेदार आए सबके इसरार पर नामकरण ससुराल में होना तय हुआ पूरी बिरादरी आई हुई थी तभी वहां पर गाड़ी रुकी हेमंत बाहर लेने गया

शीला आंटी और मनोहर अंकल दोनों आए थे।हेमन्त उन्हें लेकर आया।नामकरण विधि शुरू हुई नाम कौन रखेगा बुआ बोली मै और कौन भाभी बोली नहीं मैं ।रागिनी बोली नहीं ये अधिकार सिर्फ शीला आंटी का है जिन्होंने मां जैसे मेरा ध्यान रखा ये अधिकार उनका है ।

शीला आंटी बोली मै जी मां आप सास ,ननद भाभी सबका मुंह बन गया और रागिनी के मायके वालो को भी फंक्शन हुआ और शीला आंटी खाना खा कर उस होटल में चले गए जहां वो ठहरे थे।रागिनी ने उन्हें कानों के टॉप्स दिए और मनोहर जी को भी कपड़े दिए जैसे नाना नानी और दादा दादी को दिया था।

सबके जाने पर सास ससुर बोले बहु तुमने हमारा अपमान किया मेरी बेटी बहु का मान छीन लिया किसी गैर औरत को वो सम्मान दिया।हेमंत बोला माफ करना मां वो गैर नहीं है अपने है।और अपनों से भले वो गैर ही होते हैं जो अपना सब कुछ छोड़ हमारे लिए खड़े थे और हमारे अपने अपनी दुनिया में मसरूफ थे मैने सबको बताया रागिनी की हालत अच्छी नहीं है

किसी ने नहीं सुना कोई हमारी मदद को नहीं आया तब ये गैर ही हमारे लिए खड़े थे मेरे लिए वही मेरे अपने है।रागिनी ने अपनी मां से भी कहा मां आपको भी नहीं लगा कि मुझे बेटी के पास जाना चाहिए छोड़िए मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है आपकी अपनी दुनिया है हमारी अपनी और मै अपने परिवार के साथ खुश हूं।

रागिनी और हेमन्त अपने कमरे में तैयारी करने चले गए और वो अगले दिन सुबह ही निकलने वाले थे शीला आंटी और अंकल के साथ रागिनी की मां कमरे में आई बोली बेटा हमे माफ कर दो।मां आप माफी मत मांगिए मै सिर्फ आपको सच्चाई बता रही थीं।

सबसे मिल भारी मन से रागिनी के माता पिता चाचा चाची और भाई भाभी विदा हुए।हेमन्त भी अपने माता पिता को बोलने गया हम भी कल सुबह निकल रहे हैं क्यों अभी से क्यों यही रहो बहु को तो छोड़ जा नहीं मा मै बार बार नहीं आ पाऊंगा ऑफिस भी है तो हम कल ही जाएंगे।वहां से आने के कुछ दिन बाद हेमंत के ट्रांसफर ऑर्डर आ गए।

रागिनी और हेमन्त बहुत रोए।शीला आंटी बोली बेटा मैं आऊंगी ना तेरे पास ।रागिनी मुंबई आई फिर दिल्ली ,फिर चंडीगढ़ इस बीच वो एक और बेटे की मां बनी पर शीला आंटी को नहीं भूली उनसे बराबर कॉन्टैक्ट में रही ।आज रागिनी के बेटे आदर्श की शादी थी घर में हलचल थी सब रिश्तेदार आए थे बारात निकलने का समय हो रहा था सब हेमंत को ढूंढ रहे थे।

तभी दरवाजे पर गाड़ी आई उसमें से हेमंत शीला आंटी और मनोहर जी उतरे ।रागिनी की सास बोली आज ये फिर से यहां सबको अनसुना कर आदर्श को आगे लेकर रागिनी आई और बोली बेटा नानू नानी का आशीर्वाद लो। आदर्श ने उनके पैर छू कर आशीर्वाद लिया और बारात निकल पड़ी।रागिनी हेमंत खुश थे

कि आज वो अपने अपनो के साथ बेटे की शादी कर रहे थे और रागिनी की सास और मां इस बात से खुश नहीं थी।रागिनी की बेटी छाया भी शीला आंटी और मनोहर जी के आगे पीछे घूम रही थी।ये दिल के रिश्ते है जब किसी से जुड़ते हैं तो टूटते नहीं कभी कभी सगे रिश्तों पर भी भारी पड़ जाते है।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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