चार लड़कियां नमिता नैना नीरू और निशा एक ही विद्यालय में पहली कक्षा से साथ-साथ पढ़ रही थी । चारों का नाम अंग्रेजी के एन अक्षर से शुरू होता था इसलिए वे N4 के नाम से प्रसिद्ध थी । उनकी दोस्ती पूरे विद्यालय में जानी जाती थी l चारों ही पढ़ने में अच्छी थी उनके घर भी पास पास थे
अतः वे अक्सर इकट्ठे ही पढ़ती और इकट्ठे ही खेलती थी दिन के 24 घंटे में से 12 घंटे तो वह जरूर ही साथ रहती बचपन में यह चारो सहेलियां खूब मिलजुल कर रही स्कूल के बाद कभी सब निशा के घर इकट्ठी हो जाती तो कभी नैना के घर। दिनभर खेलती पढ़ती और अपनी सारी चीज़ें एक दूसरे के साथ साझा करती। वे अक्सर टीचर टीचर का खेल खेलती और कहती हम सब बड़ी होकर टीचर बनेंगी ।
उनके मन में एक दूसरे के प्रति अपना पराया अमीर गरीब ऊंच नीच का कोई भेदभाव नहीं था । मगर जैसे-जैसे वे बड़ी होती गई दुनियादारी की इन बातों का प्रभाव उन पर पड़ने लगा । नीरू झके पिता एक बड़े उद्योगपति थे जबकि बाकी तीनों सहेलियां मध्यम वर्गीय परिवारों से थी नीरू को अपने धनवान होने का अभिमान हो गया ।
वह अपनी सहेलियों को हीन भावना से देखने लगी अपनी महंगी और नई-नई चीजें दिखाकर उन्हें चिढ़ाने लगी नैना बहुत समझदार थी उसने नीरू को समझाया कि इस तरह अभियान करना ठीक नहीं है हम सब दोस्त हैं और दोस्ती में कोई अमीर गरीब या छोटा बड़ा नहीं होता पर नीरू कहती यह तुम्हारी मध्यम वर्गीय सोच है क्योंकि तुमने पैसा देखा नहीं है
चारो सहेलियां अब 10वीं पास कर चुकी थी । 11वीं कक्षा में उन्हें अपने करियर के अनुसार विषय चुने थे नीरू के पिता उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे अतः उसने विज्ञान विषय का चयन किया नैना ने वाणिज्य तथा नमिता और निशा ने आर्ट्स विषय चुने अब उनकी कक्षाएं अलग-अलग हो गई थी विज्ञान के विद्यार्थियों को विद्यालय में अन्य विद्यार्थियों से श्रेष्ठ समझा जाता था
नीरू विज्ञान की विद्यार्थी थी और स्वभाव से ही घमंडी थी अब उसका अभियान और बढ़ गया उसने अपनी सहेलियों से दूरी बना ली और विज्ञान के विद्यार्थियों के साथ ही रहने लगी परंतु उसके घमंडी स्वभाव के कारण उस कक्षा में कोई उसकी दोस्त नहीं बनी वह अक्सर अकेली दिखाई देती नैना नमिता और निशा ने उसे फिर समझाया देख नीरू इतना अभिमान सही नहीं है तू हमसे _ना सही अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के साथ मिलजुल कर रह अन्यथा तू बिल्कुल अकेली पड़ जाएगी ।
पर नीरू कहती मुझे उपदेश मत दो यू मिडिल क्लास गर्ल्स मैं तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती ।समय बीतता गया नमिता ने 12वीं कक्षा पास करके प्राइमरी अध्यापिका की ट्रेनिंग कर ली क्योंकि उसके पिता उसे उच्च शिक्षा दिलाने में समर्थ नहीं थे जल्द ही उसे सरकारी नौकरी मिल गई नौकरी के साथ उसने पढ़ाई भी जारी रखी
नैना एसएससी की परीक्षा पास करके बैंक में पीओ के पद पर कार्य करने लगी थी निशा बी एड करके एक अच्छे प्राइवेट विद्यालय में अध्यापन कार्य करने लगी ।उसने भी अपनी पढ़ाई आगे जारी रखी ।
उधर नीरू को विज्ञान विषय कठिन लग रहा था प्रथम वर्ष में उसका परीक्षा परिणाम अच्छा नहीं रहा तो उसके पिता ने उसे पढ़ाई के लिए कोटा भेज दिया वहां भी उसका कोई दोस्त नहीं था पढ़ाई के दबाव एवं अकेलेपन के कारण वह अवसाद ग्रस्त हो गई पिता ने उसे कोटा से वापस बुला लिया ।
उसकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई ।अब उसे अपनी पुरानी सहेलियों की याद आती वह उनसे मिलना चाहती थी उनसे अपने मन की बात साझा करना चाहती थी ।पर अपने अभिमान के कारण जिस दोस्ती को उसने स्वयं ही तोड़ा था उसे जोड़ने का साहस वह नहीं कर पा रही थी ।उसकी तबीयत दिन पर दिन खराब हो रही थी माता-पिता बहुत चिंतित थे
नमिता निशा और नैना को जब नीरू के बारे में पता चला तो वे बहुत दुखी हुई।एक दिन तीनों मिलकर नीरू के घर गई उन्हें देखकर नीरू बहुत खुश हो गई उन्होंने आपस में बचपन की दोस्ती की खूब सारी बातें की । नीरू को खुश देखकर उसकी मां ने कहा बेटा तुम इससे मिलने आती रहना।
अब वे तीनों अक्सर उससे मिलने जाने लगी ।नीरू का अवसाद कम होने लगा था और कुछ ही समय में वह सामान्य हो गई उसने फिर से अपनी पढ़ाई प्रारंभ कर दी और बी एड करके अध्यापन कार्य करने लगी। N4 का ग्रुप फिर से जुड़ गया था ।नीरू को सबक मिल गया था कि अभिमान करना सही नहीं है ।अगर मैं अपनी सहेलियों के साथ मिलजुल कर रहती तो मेरी ऐसी हालत कभी
ना
होती ।
नीलम गुप्ता