मीनाक्षी की बेटी नैना की विदाई धीरे-धीरे सभी मेहमान विदा हो गये । ज्यादातर तो अपने इसी शहर में रहते तो दोपहर तक घर खाली हो गया । कल तक कितनी चहल-पहल इसलिए आज आँगन की रौनक फीकी लग रही थी । वैसे विवाह कार्यक्रम तो वैडिंग प्वाइंट में सम्पन्न हुए और आधे दूर दराज के रिश्ते दार भाई बंधू वहीं से विदा हो लिए थे।
मीनाक्षी ने बेटी की विदाई घर से ही की तो कुछ खास रिश्तेदार घर पर मौजूद रहे शाम तक सारा घर व्यवस्थित कर रिश्ते दारों के दिए उपहारों के पैकेट लिफाफे सम्भाल कर रखने लगी। तभी उसकी नज़र बैड पर रखे सुनहरे पैकेट ननद मालती के द्वारा दिये
उपहार पर पड़ी उसने जल्दी से खोला एक सस्ती सी साड़ी और हल्की सी चांदी की पायजेब एक पल तो वो उसे तीक्ष्ण निगाहों से देखती रही उसकी भंवे तन गई ये क्या ? बुरा सा मुंह बनाकर फिर उठाकर एक तरफ पटक दिया बड़बड़ाते हुए, इसकी जगह ये ही है।
गुस्से से भुनभूनाती बोली जाने कैसे भूल जाते हैं ये देने वाले ? लेते समय तो खूब ले लेंगे देते समय शर्म नहीं आती इनको अरे इसकी शादी में भले ही तब सास ससुर जिन्दा थे गले का सोने का सेट बनवाकर दिया मैंने, और ननदोई जी को सोने की चैन चढ़ाई अब इकलौती भतीजी मेरी बिटिया की शादी अरे कुछ तो शर्म लिहाज करती ये ननद रानी..
फिर अपने भाई भाभी द्वारा दिये गये हीरे के सेट के उपहार को खोलकर निहारते हुए अलमारी में संभाल कर रख बोली इसे कहते हैं उपहार.. कल बेटी आकर ससुराल ले जायेगी तो कितनी इज्जत बढ़ेगी देखों मामा मामी ने दिया है बेटी भी सम्मान से दिखायेगी ।
अब बुआ ने जो दिया ये दिखाने लायक है भला…दे दूंगी घर की कामवाली पदमा को काम भी बहुत किया उसने हफ्ते भर से यहीं रूकी है। वैसे भी बरसों से हमारी सेवा कर रही बिल्कुल घर जैसे सम्बन्ध रखती है
खानदानी जो है। माँ दादी के जमाने से घर में जमी है। सास ससुर की भी तो वो कितनी लाडली रही । इसी ननद की शादी में उन्होंने सोने की अंगूठी दी थी पदमा को ज्यादा वजन की तो नहीं थी मगर कितनी खुश हो गई थी कहती थी जब उसकी बहु आयेगी तो उसको पहनायेगी इस अंगूठी को वो …
अभी मीनाक्षी गुस्से से भरी बड़बड़ा रही तभी गृह सहायिका पदमा आवाज लगाती आती है ।
भाभीऽऽ भाभी, घर सब व्यवस्थित कर दिया मैंने, किचन भी साफ कर दिया और कुछ काम है तो बतायें । मगर कमरे में आते ही मीनाक्षी की तरफ देखकर थोड़ा सहम सी गई बोली अरे भाभी कितने गुस्से में हो कैसे चेहरा तमतमा रहा है कोई अनहोनी हो गई क्या ?
मीनाक्षी ने उसको देखा बोली- “ अरे पदमा क्या बताऊं ये ननद मालती का गिफ्ट देख उठा हाथ में, ये दिया बुआ ने भतीजी को इससे अच्छा तो देती ही नहीं ले जा तू अपने साथ मुझे तो घर में रखने में भी शर्म आ रही। ये गिफ्ट देख हीरे का सेट दिखाते हुए.. मेरे भाई भाभी ने दिया, इसको कहते हैं गिफ्ट मीनाक्षी तुनकर बोली “!
पदमा ने मालती का दिया गिफ्ट हाथ में लिया और बोली भाभी ऐसी ग़लती मत करना नैना बिटिया ने मुझे इसको कमरे में संभाल कर रखने को कहा था वो कह रही वापस आयेगी तो ले जायेगी उसे, आप तो जानती हीं है बुआ भतीजी में कितना प्रेम है दोनों एक दूसरे को कितना चाहती है। जैसे नैना बेबी वैसे ही जीजी भी है..आखिर जीजी भी इस आँगन की रौनक रही हैँ।
और भाभी आप ऐसा कैसे सोच सकती है ? आप तो इतनी समझदार है आज आपको क्या हो गया ? आप कब से कीमत आंकने लगीं ।
बुरा मत मानना भाभी आपको लालच भरी बातें शोभा नहीं देती है आपका तो ऐसा स्वभाव नहीं है । ये जो लालच होता है न इंसान में सही ग़लत के फर्क करने की क्षमता को खो देता है।
कभी भी किसी के दिए उपहार की क़ीमत नहीं आंकनी चाहिए देने वाले की भावनाओं को देखना चाहिए। जीजी शादी में आ गई ये क्या कम नहीं है भाभी ? आज उनके माता-पिता जिन्दा नहीं है फिर भी इस घर से इसके आँगन से उनकी यादें जुड़ी हुई है। सुबह अपने देखा नहीं क्या ? अपने घर जाते समय जीजी की आँखें कितना नम थीँ । मुड़ मुड़ कर देखती सबको निहारते जा रहीं थी।
आपने देखा ही है मालती जीजी कितने स्नेह से यहां चार दिन पहले ही आ गई यहीं, कितना काम किया उन्होंने सभी रिश्तेदारों के खाने रहने की व्यवस्था दौड़ दौड़ कर कर रहीं पूरी जिम्मेदारी से घर की हर चीज पर निगाह बनाये रखी उन्होंने, और जमाई बाबू भी मेहमान की तरह नहीं रहे पूरे दौड़-भाग हर काम में अपना सहयोग बनाए रखा।
आप तो अच्छी तरह जानती है अब जहां जीजी की शादी हुई वहां ससुर भी नहीं उनके अकेली सासूमां और उनकी तीन ननद जंवाई बाबू इकलोते बेटे घर के ननदों की शादी में जीजी ने अपने गहने तुड़वाकर उनके लिए गहने बनवाये। अम्मा ने बताया था मुझे आपके ही सामने हुई थी
सारी बातें जवाई बाबू की नौकरी भी बहुत बड़ी नहीं है आज जीजी की क्या पता कैसी परिस्थिति इस समय ? वरना तो वो जरूर महंगा उपहार देतीं नैना बिटिया को आखिर वो उनकी चहेती इकलौती भतीजी हैं। जीजी अपनी परिस्थितियों का रोना कभी नहीं रोती बस गुमसुम सी रहती हैं ।
माना आपके भाई भाभी ने बहुत मंहगे उपहार दिए मगर आये कितनी देर रात बारात के समय ही पहुंचे कह रहे एक जरूरी बिजनेस मीटिंग जो वो छोड़ नहीं सकते थे। और आपकी भाभी कह रहीं थी उनके मायके में भी कुछ कार्यक्रम तो इसलिए देर हो गई उनको अब आप ही अंदाज लगाये केवल उपहार देखकर सही ग़लत इंसान का चुनाव करना न्याय संगत है क्या ?
मीनाक्षी पदमा की बातें सुनकर नरम पड़ जाती है उसका दिल बैठने लगता है। वो कहती हैं पदमा सच तुम इस घर की गृह सहायिका नहीं शुरू से ही असली शुभ चिंतक रही हो तुमने तो मेरी बन्द आँखें खोलकर रख दी है।
मेरा तो दिमाग ही खराब हो गया था जाने क्या उल्टा सीधा सोचने बैठ गई मेरा दिल लालच से भर गया ।
सच ही कहते हैं वो बोली – लालच या लोभ धन शक्ति समाज के लिए एक अंतहीन और अतृप्त इच्छा है यह नकारात्मक मानवीय गुण जो इंसान के नैतिक मूल्यों को गिराता है। और विवेक को नष्ट कर देता है। जिसके कारण गलत निर्णय और व्यवहार होने लगते हैं। इंसान की बरबादी का मुख्य कारण मन का ये लालच ही है।
मैंने इस लालच में अपना विवेक ही खो दिया था। उसने मेरे अन्दर स्वार्थ को बढ़ावा दिया इस लालच के कीड़े को कभी मन में पनपने नहीं देना चाहिए। ये लालच का कीड़ा एक बार इंसान को पकड़ लेता तो फिर कभी नहीं छोड़ता।
मीनाक्षी कहती हैं पदमा तुमको इतना सुन्दर ज्ञान कहां से मिला कितना अच्छा सोचती हो मुझे भी गलत करने से बचा लिया आज ।
पदमा नम्र दिल से बड़ी ही विनम्रता के साथ उत्तर देती है भाभी मेरी भी दो ननद है।मेरा भी परिवार है भगवान की कृपा से अच्छे भले सम्बन्ध है हमारे बीच में दुख सुख में आना जाना बराबर रहता है। वो मुझे मैं उनको बराबर मान सम्मान देते हैं।
मीनाक्षी पहले ही पदमा की बातों से प्रभावित उसकी सभी बातें सुनकर बहुत खुश होती है मन ही मन उसकी दिल से सराहना करती है ।
मीनाक्षी कहती हैं पदमा कल शाम नैना बिटिया के यहां ससुराल में शादी के उपलक्ष्य में विशाल पार्टी का आयोजन रखा गया है हमको बोला है हम अपने रिश्तेदारों को भी आमंत्रित करें तो ऐसा करती हूँ ननद मालती को मै खुद घर जाकर आमंत्रित कर आती हूँ। बल्कि ऐसा करती हूँ…
साथ ही लेती आऊंगी उसको जवाई राजा और बच्चों को शाम सब यहीं से फंक्शन में चले चलेंगे और फिर कौन सा दूर है ननद मालती का ससुराल दो घंटे का रास्ता ही तो है सारा उसके घर का…
और सोच रही हूँ मालती को बिटिया की शादी में मैंने कुछ उपहार भी नहीं दिया तो कुछ घरवालों बच्चों के लिए कपड़े और ननद के लिए कुछ सोने का बना उपहार, गले का सेट भी लेती जाऊंगीं …
फिर बड़े ही जिम्मेराना लहजे में बोली -अच्छा चल अब पदमा तू ज्यादा बातें मत बना खुद भी काम से रह जायेगी और मुझे भी खोयेगी समय कम और हमारे पास काम बहुत ज्यादा है। ऐसा कर कुछ मिठाई के डब्बे फल फूल मेवे की दो टोकरियां अच्छे से सजवाकर मंगवा ले या ड्राइवर के साथ गाड़ी में तु खुद ही जाकर ले आ
तुझे इन चीजों की समझ भी खूब है। पहले भी कई बार तेरा काम सबने बहुत पसंद किया हाँ ध्यान रहे टोकरियां दो सजवाकर लाना जिसमें एक ननद के यहां ले जानी है और एक आज शाम नैना बिटिया के यहां उसके ससुराल में, आखिर दोनों ही इस आँगन की रौनक रही है और रहेंगी यह मैं कैसे भूल सकती हूँ भला ?
गृह सहायिका पदमा के चेहरे पर खुशी की जगमगाहट उसकी वफादारी ईमानदारी दिल की स्वच्छता और मालिक के प्रति प्रेम को साफ जाहिर कर रही थी।
लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया
20.12.25