प्रमिला एक बेटे नरेंन की मां थी उसके पिता गल्फ में नौ करी करते थे। तो उसके पास अनाप-शनाप पैसा था। जिसे वह जैसे चाहे खर्च करती । क्योंकि उसके पति तीन-चार साल। में घर आता पर महीने में अच्छा पैसा भेजता।जिससे प्रमिला और नरेन बहुत घमंडी हो गए थे उस पर सोने पर सुहागा की नरेन बहुत जहीन था पढ़ने लिखने में होशियार और देखने में भी बहुत सुंदर स्मार्ट तो बस प्रमिला का अभिमान देखते ही बनता था। उसकी दो जेठानियां और एक देवरानी थी।बहन पूनम भी उसी शहर में थी जिसकी माली हालत अच्छी नहीं थी कभी-कभी प्रमिला का पति मोहन उसकी भी सहायता कर देता था क्योंकि वह उसे अपनी छोटी बहन समान मानता था उसके बुरे वक्त में पूनम और उसके पति निखिल ने उसकी बहुत सहायता की थी। जिस समय प्रमिला ने अपने पति को घर से निकाल दिया था तो वह अपनी रातें या तो सड़क पर या कभी-कभी इन्हीं के घर गुजारता था। इस बात का प्रमिला को पता नहीं था वरना वह बखेड़ा खड़ा कर देती। मोहन जब भी यहां आता तो वह अपने भाइयों उनके बच्चों और भाभियों के लिए भी उपहार लाता जो प्रमिला को पसंद ना आता पहले प्रमिला अपने जेठानियो के साथ ही रहती थी। तब इनकी गरीबी के कारण जेठानिया सब जिम्मेदारी इसके सर पर सौंप कर बाहर चली जाती यह अकेली लगी रहती। सब खाना खा लेते रात को दुकान बंद कर मोहन देर से आता और दोनों पति-पत्नी बचा कूचा खाना खाते। पर मोहन के भाई मोहन का ख्याल रखते और उसे अपने ही दुकान में जमाने की कोशिश कर रहे थे परंतु यह प्रमिला को पसंद नहीं था वह चाहती थी की मोहन अपना कारोबार करें परंतु कारोबार के लिए पैसा चाहिए इसीलिए प्रमिला ने एक छोटे से स्कूल में नौकरी करनीशरू कर दी। वह सबको यही दिखाई कि मैं नौकरी कर रही हूं और मोहन मुफ्त की रोटियां तोड़ रहा हैं। इसी कारण से एकबार दोनों मे इतना झगड़ा हुआ की मोहन घर से बाहर चला गया पूरी रात वह घर नहीं आया सुबह उसके दोनों भाइयों पूछा मोहन कहां है। प्रमिला ने उत्तर दिया मुझे बात कर नहीं गए मुझे कुछ नहीं बताते वह।उधर मोहन नौकरी ढूंढ रहा था पर रहते हैं ना किस्मत साथ नहीं देती वही उसके साथ हो रहा था प्रमिला अपने बेटे को भी यही जताती थी कि मेरी नौकरी से ही घर चलता है मैं काम कर रही हूं। ट्यूशन पढ़ा रही हूं तेरा सारा खर्चा मैं ही उठ।ती हूं। कुछ टाइम के बाद प्रमिला ने अपने स्कूल के पास ही घर देख लिया और वह एक कमरे के घर में शिफ्ट हो गई धीरे-धीरे मोहन और प्रमिला के संबंध बिगड़ते गए और फिर अचानक किसी के द्वारा पता चला की गल्फ में नौकरियां निकली है मोहन ने भी आवेदन कर दिया और वह चला गया अब मोहन तगड़ा पैसा भेजता अपने बेटे के लिए परंतु फिर भी प्रमिला यही जताती कि मैं ही सब कर रही हूं। किराए के घर से अपने तीन मंजिला घरमे आ गए। बेटा बेटा इंजीनियरिंग कर रहा था नित नई साड़ियां गहने यह सब 2000 की नौकरी और 4000 की ट्यूशन मे नहीं हो सकता। पहली बार जब मोहन भारत आया था तब उनके परिवार के हिस्से बांट हुए तब प्रमिला की सास का सारा चांदी का बर्तन मोहन ने खरीद लिया और भाइयों को उसके बराबर पैसा दे दिया। इस समय बेटे को सोने की चेन और गोल्ड बिस्कुट खरीद कर वह प्रमिला को बैंक लॉकर में रखने के लिए दे गया अब तो प्रमिला इतनी घमंडी हो गई थी कि किसी की भी इज्जत खड़े खड़े उतार देती थी। एक बार पूनम के घर लगातार बारिश की वजह से पानी भर गया बैठने तक की जगह नहीं थी उसने प्रमिला को फोन किया कि क्या हम लोग एक-दो दिन तुम्हारे यहां आ जाए प्रमिला ने साफ मना कर दिया और वो अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टी कर रही थी वह तो प्रमिला की जेठानी आभा पूनम को 15दिन बाद किसी फंक्शन में मिली तो उसने बताया की पूनम तुम्हारी बहन तो आजकल बहुत बड़ी हो गई है। वह तो किसी को मुंह ही नहीं लगाती देखो पिछले हफ्ते इतनी बारिश थी और वह घर में पार्टी कर रही थी। पूनम बोली नहीं दीदी उसके यहां भी तो पानी की परेशानी थी वो तो आप लोगों की तरफ ही आई हुई थी। आभा बोलि यह कब की बात है? पिछले सोमवार की पिछले सो तोअपने घर पार्टी कर रही थी पीछे ही पूनम का पति निखिल खड़ा था।पूनम सकपका गई उन्होंने हमेशा उनके बुरे वक्त में उनकी मदद की थी अपनी हैसियत ना होते हुए भी फिर भी उसने ऐसा किया फिर एक हफ्ते बाद प्रमिला पूनम के घर पहुंची और चार बाते सुनाई तू मेरी जेठानी से मेरी बुराई कर रही थी नहीं बुलाना था मुझे तुम लोगो को तू तेरी बेटियां फटीचर हालत में मेरे घर आती तो मेरी बेज़्जती होती। मेरा दो महीने पहले का प्रोग्राम था बस इसलिए।पूनम शर्मिंदा सी खड़ी थी फिर तो ये हर बार ही होता किसी ना किसी बात पर वो पूनम की बेज़्जती करती। एक बार तो हद हो गई प्रमिला की जेठानी नंदिनी की बहु की गोदभराई का फंक्शन था वहां पूनम को भी बुलाया था।शाम हो गई थी पूनम घर के लिए निकल रही थी।पूनम ने जल्दी में प्रमिला की चप्पल पहन ली जो कंपनी की थी और पूनम की लोकल पर दिखने में एक जैसी थी जैसे ही पूनम घर पहुंची प्रमिला का फोन आ गया तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी चप्पल पहनने की अपनी टूटी फूटी चप्पल छोड़ गई मेरी चप्पल देकर जा अभी। पूनम बोली सुबह भिजवाती हूँ इनके हाथ। निखिल बहुत गुस्से में था बोला इतना अभिमान अच्छा नहीं भगवान सब देखता है दिन पलटते देर नहीं लगती तुम अब उससे कोई सम्बन्ध नहीं रखोगी। समझ गई तुम निखिल अगले दिन सुबह उसके घर पहुंचा और बाहर दरवाजे से ही चप्पल देकर ऑफिस के लिए निकलने लगा पर प्रमिला ने उसे अंदर बुला लिया बोली अरे कल मुझे गुस्सा आ गया था बस इसलिए मैने पूनम को इतना कुछ सुना दिया ।निखिल ऑफिस के लिए निकल गया शाम को प्रमिला का फोन आया पूनम तेरे जीजाजी आए हैं उनकी तबियत बहुत खराब है बुखार है पिछले तीन महीने से क्या तू कल आएगी उनके टेस्ट करवाने पूनम निखिल इतना होने पर भी अगले दिन पहुंच गए टेस्ट में पता चला टीबी के साथ साथ एड्स भी है।प्रमिला सिर पकड़कर बैठ गई।प्रमिला और उसका बेटा नरेन हॉस्पिटल कम ही जाते बिचारी पूनम बहन की मदद करने की नियत से हॉस्पिटल में दिन भर बैठती ना खाना ना पीना मिलता।उधर नरेन अपनी ताई के घर होता खाता पीता पढ़ता और खेलता ।प्रमिला स्कूल और एक ट्यूशन करके आती और घर में आराम करती। 6 महीने अपना घर त्याग कर पूनम उसकी मदद में लगी रही और फिर 6 महीने बाद उसके पति मोहन का देहांत हो गया सारी दुनिया में वो यही कहती रही कि मेरे बेटे और मैने सब कुछ किया खर्चा भी हमने ही उठाया और भी जाने क्या क्या ।मतलब निकलने के बाद प्रमिला फिर वैसी ही हो गई।बेटा सेटल हो गया बेटे की शादी की तो बोली नरेन कहता है मौसी को कम बुलाया करो इतना लाउडली बोलती है राशि क्या सोचेगी।फिर उसने बहु आने के बाद पूनम पर अंगूठी चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया जो बाद में उसके पर्स में मिली ।पूनम की बेटी की जॉब मुंबई हो गई तो वो वही चली गई उनकी अच्छे घरों में शादी हुई।कहा प्रमिला कहती थी तेरी बेटियो की शादी पता नहीं कैसे होगी होगी भी की नहीं।उधर प्रमिला का बुरा टाइम शुरू हो गया बहु उसे घास भी नहीं डालती हफ्ते के 6 दिन ऑफिस और संडे को वो दोनों घूमने निकल जाते जिस बेटे का दंभ प्रमिला भर्ती थी वो तो उससे बात भी नहीं करता था आज उसे अपनी बहन याद आ रही थी जिसका उसने सदैव अपमान किया।तभी खबर आई पूनम का देहांत हो गया प्रमिला उसके घर गई वहां 10 दिन रही वापस आई तो बेटा बोला क्यों आ गई तेरी जरूरत नहीं थी कोई फर्क नहीं पड़ता तेरे होने ना होने से।प्रमिला आज रोती मेरा अभिमान धरा का धरा रह गया जिसके लिए मैंने सब किया वो ही मेरा सगा ना हुआ।नरेन ने सब कुछ अपने नाम करवा लिया अब प्रमिला खाने और पैसों के लिए तरसती अपने पति और बहन को याद करती पर सब व्यर्थ था और एक दिन वो इसी चुभन और तड़प को ले कर मर गई घर में कोई नहीं था दो दिन वो ऐसे ही पड़ी रही।फ्लैट्स में कौन पूछता है कि पड़ोस में कोई है या नहीं वो तो तीन तीन दिन बाद कामवाली आती थी उसने दरवाजा खोला तो वो चिल्लाती हुई आई पड़ोसी आए बेटे को फोन कर बुलाया गया आज वो अकेली थी क्योंकि सब अपनी दुनिया में मस्त थे अंतिमसंस्कार हो गया दिन पूरे कर बेटा बहु अपनी दुनिया में मस्त हो गए।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी