इज्जत – खुशी

इज्जत एक बहुत बड़ा शब्द है अमीर की हो तो लाखों की गरीब की हो तो दो कौड़ी की।सारंग राजस्थान के राजपुताना खानदान का चश्मों चिराग जो लाडो में पला।जिसके मुंह से बात निकली कि पूरी घर में मां बाप 2 भाई भाभी,बुआ दादा दादी ऐसा परिवार ।दादा सूरजमल का मार्बल का कारखाना था

जो इतने बड़ेअब पैमाने पर था जिसमें सभी दूरदराज के रिश्तेदार भी काम करते थे। बड़ा ही इज्जतदार परिवार था जिनका समाज में अपना ही वर्चस्व था।सारंग घर का लाडला बेटा सबसे छोटा तो हर कोई उसे बहुत प्यार करता।सारंग दिल्ली से पढ़ाई कर लौटा था और दादा जी चाहते थे कि वो भी फैमिली बिसनेस ज्वाइन करें।सारंग ने कहा ठीक हैं बाबासा पर पहले मै थोड़ा घूमना चाहता हूं।

दिल्ली से सारंग के दो दोस्त अविनाश और साहिल भी आए थे तो उन तीनों ने घूमने का प्लान बनाया। तीनों दोस्त उदय पुर निकले ।उदय पुर झीलों का शहर और उसी झील के शहर में सारंग टकराया मेनका से नाम के अनुरूप मेनका ही थी इतनी सुंदर भोली प्यारी सी छुईमुई सी लड़की जो अपने परिवार के साथ वहां आई थी।सारंग पहली नजर में ही दिल हार गया था।अविनाश और साहिल ने पता करा की कौन लड़की है

तो उन्होंने सारंग को बताया घबरा मत तेरे ही शहर की है शाम को उसके भाई साहब से टकरा गया और सब मालूमात पता कर ली ।समीर सहाय भाई रंजना भाभी ।पिता गौतम सहाय एक govt ऑफिस में क्लर्क है। माता जी रेणुका देवी हाउस वाइफ है। खुश हो जा दीवाने अब तो तीनों हस पड़े। उदयपुर में वो उसी होटल में शिफ्ट हो गए जहां मेनका ठहरी थी और उनके परिवार से नजदीकी बढ़ा ली ।बातों बातों में पता चला कि वो सूरजमल का  पोता है।

वो शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति है ये सभी को पता था सिर्फ सारंग ही नहीं मेनका भी उसकी तरफ आकर्षित थी।दोनो एक दूसरे के प्यार में डूब गये थे।एक बार दोनों को मेनका के भाई ने एक होटल से निकलते देख लिया था उसने मेनका को समझाया कि वो एक बड़े बाप की औलाद है और उनकी जात भी हमसे ऊंची है तो तुम सारंग से मिलना बंद कर दो।सारंग से कुछ दिन मेनका नहीं मिली सारंग उसे फोन करता वो जवाब नहीं देती

वो घर के चक्कर लगाता पर कोई नहीं दिखता एक बार तो उसके भाई ने देखा और सारंग को धमकाया भी की यहां ना आया करो पर कहते है ना इश्क पर जोर नहीं एक दिन कॉलेज से आते हुए सारंग ने मेनका को रोक लिया और उससे बोला क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती जो तुम मुझे इतना सता रही हो मै तुम्हारे बिना जी नहीं सकता।नहीं सारंग मै भी तुम्हे चाहती हूं

पर मैं और मेरा परिवार इस उच्च नीच के मामले में फसना नहीं चाहती। ऐसा कुछ नहीं होगा मेरा परिवार मुझे प्यार करता है कोई मना नहीं करेगा।मै अपने परिवार को भेजता हूं रिश्ता लेकर ।मेनका को छोड़ सारंग घर आया ।सारंग बोला बाबा सा अब मै बिज़नेस ज्वाइन करने के लिए रेडी हूं और मैं आप से कुछ बात भी करना चाहता हूं। हा बोल मेरे राजकुमार  वो बा सा मै किसी को पसंद करता हु

और उससे शादी करना चाहता हूं।कौन है वो ? मेनका उसके पिता गौतम सहाय एक govt ऑफिस में क्लर्क है।अच्छा और ये लड़की तुम्हे कहा मिली ।बा सा जब हम उदय पुर गए थे वही मिली थी। वो रहती कहा है पर है जी अपने ही शहर में अच्छा हम बात करते हैं।खाना होने के बाद सूरजमल ने सुहास और राघव को बुलाया सुहास अपने बेटे को समझाओ कि जिद छोड़ दे ऐसे छोटे लोगों में हम रिश्ता नहीं करेंगे।राघव तुम जरा पता करो ये क्या  चक्कर है

और उन लोगों को प्यार से समझा दो दूर रहे सारंग से।जी बाबा सा अगले दिन सुबह राघव मेनका के घर पहुंच।।और उन लोगों को धमका के आया कि अपनी बेटी को समझा लो यहां से दूर भेज दो सारंग को दिखाई नहीं पड़नी चाहिए आज ही ये काम हो जाना चाहिए।

नहीं तो तुम्हारी बेटी की खैर नहीं हमारी इज्जत पर आंच नहीं आनी चाहिए समझे। भाई समीर तुरंत मेनका को लेकर जोधपुर के लिए निकल पड़ा और बोला मेनका मैने तुम्हे समझाया था अब मामा जी के घर रहना और सारंग से कोई कॉन्टैक्ट नहीं समझ आया।हमारी इज्जत और जान तुम्हारे हाथ में है।मेनका जोधपुर आ गई वहां सारंग घर पहुंचा और बोला बाबा आप गए थे क्या मेनका के यहां ।

राघव बोला वहां तो कोई नहीं था कही बाहर गए हुए थे। बाहर गए हैं कहा चले गए मै पता करता हूं मेनका को फोन किया फोन बंद अगले दिन राघव फिर उनके घर पहुंचा बोला हम शाम को आएंगे रिश्ता लेकर  उससे पहले ही दिन में घर आ जाना और बता देना कि मेरी लड़की भाग गई। गौतम जी बोले ये क्या कह रहे हैं अगर खुद को और लड़की को जिंदा देखना है ना तो जो कह रहा हूं वो कर।दोपहर में सब खाना खा रहे थे

और शाम का दिखावा कर रहे थे कि क्या ले जाना है क्या तैयारी है।तभी नौकर आया और बोला कोई गौतम सहाय आए हैं,सारंग जल्दी से आया उसके पीछे राघव और सुहास आए । सूरजमल बोले रुको कोई नहीं जाएगा समधी होने वाले हैं उन्हें हॉल में बिठाओ चाय नाश्ता लगवाओ हम आते हैं।

सूरजमल ने सबको खाने का इशारा किया सबने खाना खाया और फिर वो हाल में आए। राघव बोले अरे गौतम जी आपने तो कुछ लिया ही नहीं।हम शाम को आने वाले थे आप यहां कैसे? गौतम जी बोले आपसे एक बात करनी थी ये रिश्ता नहीं हो सकता।

आप हमे मना कर रहे हैं राघव बोला।सुहास बोला उनकी बात तो सुनो बताइए क्यों मना कर रहे हैं आप।गौतम बोले मेरी बेटी ये शादी नहीं करना चाहती वो चली गई है घर छोड़ कर।सारंग बोला मैं नहीं मानता मेनका मुझे छोड़ कही नहीं जा सकती।तभी पीछे से राघव का आदमी आया और बोला जी इनकी बेटी तो किसी के साथ भाग  गई है।

सारंग बोला ये झूठ है।सूरजमल ने कहा गौतम जी कैसी छोरी है थारी इधर एक को पटाई और उधर दूसरे के साथ रफूचक्कर धंधा है क्या थारा।सूरजमल जी गौतम जोर से बोले राघव बोला अपनी औकात में रहिए बेटी संभली नहीं हमें ज्ञान बांट रहा है निकल यहां से और बाहर आकर बोला इस शहर में दिखाई मत देना दफा हो जाओ यहां से वहां सारंग का हाल बहुत खराब था।वो बिस्तर पर लेटा था

और मेनका के बारे में सोच रहा था।अविनाश और साहिल को उसने सारी बात बताई और बोला कि पता करो उधर शाम तक गौतम जी ने अपना घर मजबूरी में छोड़ा और वहां से किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो गए शहर छोड़ नहीं सकते थे क्योंकि नौकरी का सवाल था।

इधर अविनाश साहिल ने सब जगह पता किया कुछ पता नहीं चला बस इतना सुराग लगा कि वो अपने भाई के साथ गई थी इससे ये बात तो सिद्ध हो गई कि वो भागी नहीं है ।सारंग ने मेनका के परिवार को सब जगह ढूंढा पर वो नहीं मिला ।सारंग ना ढंग। से खाता नहीं पीता था उसकी सेहत गिर रही थी।सारंग की मां अर्पिता ने सुहास से कहा अपना बेटा दिन पर दिन गल रहा है कर दो उसकी पसंद से शादी क्या जाएगा

कही ये झूठी इज्जत हमारा बेटा हमसे ना छीन ले।सुहास भी सारंग की तरफ से चिंतित था।उसने गौतम सहाय के ऑफिस जाने का फैसला किया।गौतम सुहास को देख कर डर गया और बोला सुहास जी अब तो मेरी बेटी भी मुझसे दूर हो गई है अब क्या चाहिए पेट भरना है इसलिए नौकरी नहीं छोड़ सकते। भाई साहब आप मेरी बात सुनिए मेरे बेटे की हालत भी कुछ अच्छी नहीं हम बच्चों को दूसरे शहर भेज

उनकी शादी कर देते है।नहीं भाई साहब मै मेरी बेटी को मरना नहीं चाहता।कुछ नहीं होगा कल मैं सारंग को लेकर आऊंगा और हम मेनका बेटी को ले कर दूर चलेंगे।अगले दिन सुहास मुंह अंधेरे ही सारंग को लेकर गौतम के घर गया वहां से वो जोधपुर गए और वो बच्चों को लेकर मुम्बई आ गए वहां उनकी शादी करवा दी एक फ्लैट लेकर दिया और उन्हें बसा दिया।इधर घर में शोर था सारंग नहीं है

क्योंकि सुहास पहले ही घर में नहीं था तो किसी को शक नहीं हुआ।पर सारंग के जाने से सभी दुखी थे।सुहास और अर्पिता को पता था पर सब के सामने वो दुखी ही रहते ।सूरजमल को शक था कि सुहास को कुछ पता है उन्होंने गौतम के यहां भी पता करवाया तो उन्होंने यही कहा कि मेरी बेटी यहां है

ही कहा ।एक दिन फोन पर अर्पिता बच्चों से बात कर रही थी कि राघव आया अर्पिता कमरा बंद करना भूल गई थी।राघव ने वीडियो कॉल पर उन्हें देखा और सूरजमल को बताया।सूरजमल ने सुहास को बुलाया और बोले सारंग का पता चल गया है।सुहास बोले क्या ।सूरज मल बोलेसच बता कहा है सारंग तू मेरा खून है तूने मुझे धोखा दिया।नहीं बाबा सा मैने कोई धोखा नहीं दिया सारंग की मरने वाली हालत हो गई थी।

तूने हमारी इज्जत मिट्टी में मिला दी हम इज्जतदार परिवार है से है। बाबा क्या इज्जत होती है बच्चों की खुशी से बढ़कर बच्चे को मार कर परिवार। की इज्जत बचाता आज मेरे बेटा बहु खुश है और उनकी खुशी में मै।मै आपको कभी नहीं बताऊंगा कि बच्चे कहा है?

राघव गौतम के परिवार से दूर रहना मैने पुलिस में रिपोर्ट करवाई हुई है अगर उन्हें कुछ हुआ तो तुम जिम्मेदार होंगे।आज इस बात को 5 साल हो गए।सारंग और मेनका US में सेटल हो गए।

गौतम जी की फैमिली भी नोएडा शिफ्ट हो गई।सूरजमल आज भी सुहास और अर्पिता से नाराज़ है पर सुहास खुश है कि उसने अपनी झूठी इज्जत के लिए अपने बेटे का बलिदान नहीं दिया।आज वो खुश है क्योंकि वो दादा बन चुका है पर सूरजमल परदादा बन कर भी सुख नहीं भोग पाए।

स्वरचित कहानी 

खुशी

error: Content is protected !!